नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को 58 मिनट के भाषण के साथ मौजूदा मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश किया. यह अंतरिम बजट है, क्योंकि अप्रैल-मई में आम चुनाव होने हैं. नई सरकार बनने के बाद पूर्ण बजट जुलाई में पेश होने की उम्मीद है. इस बजट से देश की जनता को काफी उम्मीद थी कि इनकम टैक्स, बैंक लोन, पेट्रोल डीजल की कीमतों और जीएसटी में कोई रियायत दी जाएगी.
देश के प्रमुख व्यापारी संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बजट पर निराशा जाहिर किया. उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स में 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाना चाहिए था. मीडिल क्लास की चिंता है कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है, इसको 5 लाख करना चाहिए था.
वहीं, कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन 8 - 10% की ब्याज दर से मिल जाता है. लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है, उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है, इसको लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं की गई है. सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर या पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब बनाकर पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती करनी चाहिए थी. इसके अलावे जीएसटी में बहुत सारे कठिन कानूनों और नियमों को लेकर भी कोई रियायत नहीं दी गई है.
कमला नगर मार्किट ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नितिन गुप्ता का कहना है कि अंतरिम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई भी राहत प्रनहीं दी गई. इससे व्यापारी वर्ग बहुत निराश है. व्यापारी वर्ग भारत का सबसे बड़ा टैक्स पेयर है. बाजारों का आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनः विकास किया जाना चाहिए. विदेश के बाजारों की तर्ज़ पर यहां पर भी बड़े बदलाव करने चाहिए. सरकार को छोटे और मध्य व्यापारी वर्ग के लिए पुनः विचार करना चहिए.
खान मार्किट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संजीव मेहरा ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि आम चुनाव को देखते इस बात अनुमान पहले से था कि इस बार के बजट में आम नागरिक के लिए बजट के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. वहीं, देश के विकास मामले के लिए यह बजट बेहतर है. इस बार उन्हीं चीजों को शामिल किया गया है, जिससे देश के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. वैसे अनुमान है कि अलगी बार भी केंद्र में BJP की ही सरकार होगी, लेकिन अगर कोई अन्य पार्टी केंद्र में आती है तो उनके लिए यह बजट काफी मददगार होगा.
भारतीय उद्योग व्यापर मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता ने बताया कि यह बजट इलेक्शन से पहले का बजट था. ऐसे में माना जा रहा था कि यह बजट लोक लुभावना होगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ. पिछले कुछ वर्षों में इनकम टैक्स और जीएसटी के कनेक्शन में काफी बढ़ोतरी हुई है. अधिक टैक्स पे करने वालों को सरकार को राहत देनी चाहिए थी. लेकिन इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. हालांकि, स्टार्ट अप बिजनेस वालों को लाभ दिया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11% का खर्च बढ़ाया गया है. 2 लाख नए मकान बनाने की बात कही गई है. पर्यटन को बढ़ाने की बात कही गई है. इन सबसे रोजगार बढ़ेगा इकोनामी फास्ट होगी.
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वहीं, कृषि में हमारे देश में जिन तिलहनों की पैदावार होती है, जैसे सरसों सोयाबीन सनफ्लावर बिनोला इनको बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. वर्तमान में देश में 240 लाख टन खाद्य तेलों की खपत है, जिसमें 155 से 160 लाख टन आयात करते हैं. उत्पादन बढ़ने से खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. इनकम टैक्स में जो 2010 से पहले 25000 रुपए तक की डिमांड थी. उसके बाद 2015 तक जिन लोगों की 10000 रुपए की डिमांड थी उसको खत्म करके राहत दी गई है. हेमंत गुप्ता ने कहा कि कुल मिला करके यह बजट लोक लुभावना बजट तो नहीं मगर एक साधारण और एक संतुलित बजट है.