सिरमौर: हिमाचल प्रदेश वन विभाग का वन्यजीव विंग वन्य प्राणियों को गोद लेने और दान योजना के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण को प्रोत्साहित कर रहा है. इसके लिए साल 2022 में शुरू की गई योजना का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों, संस्थानों और कॉर्पोरेट जगत को प्रदेश के चिड़ियाघरों और पक्षी विहारों में रखे गए जानवरों की देखभाल में सहभागी बनाना है. इसी के तहत जिला सिरमौर के श्री रेणुका जी मिनी जू में भी वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए योजना के तहत काम किया जा रहा है.
बड़ी बात यह है कि यहां सिर्फ एक तेंदुए को ही अब तक गोद लिया गया है. हालांकि इस तेंदुए को अम्बुजा सीमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पिछले साल गोद लिया था. संबंधित कंपनी ने इस साल 13 सितम्बर को इसे पुनः गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा किया. इसके अलावा अब तक किसी अन्य प्राणी को गोद लेने के लिए किसी ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
वन्य प्राणी विभाग ने लिखा पत्र
डीएफओ वन्य प्राणी विभाग शिमला शाहनवाज भट्ट ने बताया "वन्य प्राणी विभाग ने कॉर्पोरेट जगत के तहत बड़ी-बड़ी कम्पनियों को पत्र लिखकर यहां वन्य प्राणियों को गोद लेने का आग्रह किया है, लेकिन इस दिशा में फिलहाल अब तक कोई कम्पनी आगे नहीं आई है. लिहाजा अब भी रेणुका जी मिनी-जू में मौजूद वन्य प्राणियों को गोद लेने वालों का इंतजार है."
सिरमौर जिला के नेता भी नहीं आए आगे
इस योजना के तहत प्रदेश में अब तक करीब दो दर्जन जानवरों को गोद लिया जा चुका है. लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मोनाल और लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जाजुराना को गोद लिया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि रेणुका जी मिनी जू के किसी वन्य प्राणी को जिला सिरमौर के किसी भी नेता ने अब तक गोद लेने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है और ना ही कोई इस दिशा में आगे आया है.
कोई भी ले सकता है गोद, आयकर में मिलेगी छूट
उपरोक्त योजना के तहत कोई भी व्यक्ति मिनी जू में वन्य प्राणी को गोद ले सकता है. इसकी एवज में संबंधित व्यक्ति को गोद लिए गए वन्य प्राणी के निवास, खान-पान, टीकाकरण, दवाओं इत्यादि पर आने वाला साल भर का खर्च देना होता है. इसके साथ-साथ योजना के तहत आयकर अधिनियम के तहत कर में भी छूट मिलती है.
नाम को भी मिलेगी पहचान
मिनी जू में रखे गए वन्य प्राणियों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है और उसी हिसाब से गोद लेने वाले वन्य प्राणी के चार्जिज भी निर्धारित हैं. इसकी एवज में संबंधित व्यक्ति के नाम को भी पहचान मिलेगी. ऐसा करके लोग वन्य प्राणियों के कल्याण में अपना योगदान दे सकते हैं.
वर्तमान में मिनी जू में ये मेहमान मौजूद
वर्तमान में रेणुका जी मिनी जू में 3 तेंदुए, 1 नर हिमालयन काला भालू, 4 काले हिरण, 5 अन्य हिरण सहित 5 कक्कड़, 5 चीतल, 3 हॉग डियर, 20 बारहसिंगा, 13 इंडियन गीस, 11 लाल जंगली मुर्गे और 1 ईमू मौजूद हैं. हालांकि यहां बंगाल टाइगर के जोड़े को महाराष्ट्र से लाने की मंजूरी भी मिल गई है और उम्मीद है कि CZA (सेंट्रल जू अथॉरिटी) की अप्रूवल के बाद अगले साल मार्च माह तक ये दो नए मेहमान भी यहां पहुंच जाएंगे.
तेंदुए और भालू के लिए देने होंगे इतने रुपये
रेणुका जी मिनी जू में वन्य प्राणियों के लिए गोद लेने को 4 अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है. इनके साल भर के चार्जिज निर्धारित किए गए हैं. पहली श्रेणी में रखे गए सामान्य तेंदुए के लिए डेढ़ लाख रुपये, हिमालयन काले भालू के लिए 60 हजार रुपये की राशि निर्धारित की गई है. इन दोनों जानवरों को गोद लेने पर संबंधित व्यक्ति को 5 लोगों के साथ एक साल का निशुल्क पास, साल में 12 विजिट, गोद लेने का सरकारी सर्टिफिकेट, गोद लिए वन्य प्राणी के बाड़े के बाहर उक्त व्यक्ति के नाम को भी डिस्प्ले किया जाएगा. साथ ही जू की वार्षिक रिपोर्ट और जू वेबसाइट पर भी उल्लेख होगा. सम्मान के तौर पर शख्स को एक किट भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
दूसरी व तीसरी श्रेणी में ये वन्य प्राणी शामिल
साम्भर को गोद लेने के लिए 50 हजार रुपये तय किए गए हैं, जिसकी एवज में संबंधित व्यक्ति को 5 लोगों के साथ एक साल का पास, 6 विजिट, बाड़े के सामने नाम, सरकारी सर्टिफिकेट, जू की वार्षिक रिपोर्ट व जू वैबसाइट पर भी गोद लेने वाले व्यक्ति का उल्लेख किया जाएगा. इसी तरह तीसरी श्रेणी में यहां मौजूद ईमू के लिए 15 हजार और कक्कड़ के लिए 20 हजार रुपये देने होंगे. इसके बदले में उक्त व्यक्ति को 5 लोगों के साथ निशुल्क पास, साल में 3 विजिट, सरकारी सर्टिफिकेट, जू की वार्षिक रिपोर्ट व जू बैवसाइट पर उल्लेख और बाड़े के सामने नाम डिसप्ले होगा.
चौथी श्रेणी में लाल जंगली मुर्गे
उधर अंतिम व चौथी श्रेणी में यहां मौजूद लाल जंगली मुर्गे के लिए 12 हजार रुपये राशि निर्धारित है. इसके लिए व्यक्ति को 5 लोगों के साथ निशुल्क पास, सरकारी सर्टिफिकेट, बाड़े के बाहर नाम का डिस्प्ले और वार्षिक रिपोर्ट में संबंधित शख्स का जिक्र होगा. यह भी बता दें कि योजना के तहत वन्य जीव को घर नहीं ले जाया जा सकता. संबंधित व्यक्ति को गोद लेने की प्रक्रिया के तहत केवल वन्य जीव के भरण-पोषण के लिए ही वार्षिक शुल्क चुकाना होगा.
डीएफओ वन्य प्राणी विभाग शिमला शाहनवाज भट्ट ने बताया "यह योजना ना केवल वित्तीय सहायता के लिए है, बल्कि इसका उद्देश्य पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाना और आम लोगों को संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय भागीदार बनाना भी है. इस राशि को वन्य प्राणियों के खान-पान और दवाइयों पर खर्च किया जाता है. रेणुका जी मिनी जू में वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए कॉर्पोरेट जगत के तहत बड़ी-बड़ी कम्पनियों को भी लिखा गया है"
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