मेरठ: ढाक के पेड़ पौधों का जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है. ढाक को पलाश पलास, छूल, परसा, टेसू, किंशुक, केसू के नाम से भी लोग जानते हैं. ढाक एक ऐसा पेड़ है जिसके फूल अगर कहीं दूर से खिलते हुए नजर आ जाएं तो ऐसा प्रतीत होता है मानों आग की लपटें दिखाई दे रही हों.
पलाश के पत्ते, फूल, जड़, बीज सभी हैं गुणकारी: ढाक या पलाश के नाम से प्रचलित इस पेड़ के फूल तो उपयोगी होते ही हैं इसके साथ ही इसकी जड़, बीज, पत्ते समेत छाल भी बेहद ही गुणकारी होती है. महाभारत काल में तो पांडव जब वनवास को गए थे तो ऐसा माना जाता है कि लाक्ष्यागृह में आग लगाए जाने के संकेत को उनके चाचा विदुर ने जंगल में पलाश क़े फूलों का जिक्र करते हुए उन्हें समझाने का और आगाह करने का प्रयास किया था.
मेरठ के आसपास के क्षेत्र को महाभारत कालीन धरा माना जाता है. हस्तिनापुर भी मेरठ जिले की सीमा में ही है और वहीं पर पूर्व में इस क्षेत्र में ढाक के पेड़ों के बड़े-बड़े जंगल हुआ करते थे.
पलाश के धार्मिक के साथ औषधीय गुण भी: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. विजय मलिक बताते हैं कि पलाश या ढाक का पेड़ या पौधे को कई नामों से पुकारा जाता है. इसका धार्मिक महत्व भी है, मेडीशनल वेल्यू भी इसकी बहुत अधिक है.
वह बताते हैं कि ढाक के पेड़ पर जब पत्तियां आती हैं तो वह हमेशा तीन के क्रम में होती हैं. सबसे पहले इसके फूल की बात करें तो जब यह जंगल में खिलता है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरे जंगल में आग फैल गई हो.
पलाश के फूल से बनता है हर्बल गुलाल: पलाश या ढाक के फूल हर्बल गुलाल बनाने में खूब काम आता है. वहीं मंदिरों में या पूजा घर में पूजा करने के लिए तो उपयोग में ले सकते हैं. अगर किसी को नकसीर (नाक से खून आने की समस्या है) की समस्या है तो इसके फूल को रात में पानी में भिगोकर सुबह उस पानी का सेवन करने से नकसीर की समस्या का समाधान हो जाता है.
पलाश की जड़ के क्या हैं फायदे: प्रोफेसर विजय मलिक बताते हैं कि अगर इसकी जड़ के गुण की बात करें तो अगर किसी को रतौंधी होने की संभावना है नेत्र विकार संबंधी कोई समस्या है तो इसकी जड़ में से निकलने वाले अर्क की दो बूंद नियमित डालने से नेत्र रोगों में लाभ मिलता है.
पलाश की छाल का काढ़ा दूर करता मूत्र विकार: विजय मलिक बताते हैं कि पलाश के काढ़े का उपयोग योनि संक्रमण और मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने में बेहद ही कारगर है. अगर किसी व्यक्ति के पेट में अफारा है, डायरिया है तो इसका काढ़ा बेहद ही लाभकारी है.
पलाश के बीज का चूर्ण पेट के कीड़े मारता: प्रोफेसर डॉ. विजय मालिक इसके बीज के भी गुणों का जिक्र करते हैं. वह बताते हैं कि ढाक या पलाश के बीज का चूर्ण ऐसे रोगियों के लिए उपयोगी है जिनके पेट में कीड़े हैं. इसके बीज का पेस्ट या पाउडर बनाकर स्किन पर लगाने से एक्जिमा और अन्य त्वचा विकार जैसे खुजली आदि में यह रामबाण का काम करता है.
पलाश के पत्तों का चूर्ण कंट्रोल करता शुगर लेवल: आयुर्वेदाचार्य बृज भूषण शर्मा बताते हैं कि मधुमेय को नियंत्रित करने में भी पलाश के पत्तों का चूर्ण लाभ देता है. इसमें रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से डायरिया, लिवर और अन्य समस्याओं से भी निजात मिलती है.
ढाक के पत्तों का पत्तल बनाकर भोजन करने से भी शरीर में निश्चित लाभ मिलता है. जानकार डॉक्टर्स और वनस्पति विज्ञान के जानकार मानते हैं कि तेजी से होते आधुनीकिकरण और कंक्रीट के जंगलों के फैलते हुए स्वरूप के चलते ढाक के पौधे विलुप्त होते जा रहे हैं. अगर इस पौधे को हर घर में लगाया जाए तो जहां एक तरफ इसके अनेकों गुणों का लाभ मिल सकता है, वहीं यह संरक्षित भी होगा.
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