रायपुर : जहां पर मन और शक्ति दोनों मिल जाते हैं, व्यक्ति की कार्य क्षमता बढ़ जाती है और सफलता भी बढ़ जाती है. इसलिए चंद्र और मंगल की युति व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर तेजी से ले जाती है. उसके मन की एकाग्रता और उसकी ऊर्जा शक्ति, उसका पराक्रम उसके साथ होता है. जिससे व्यक्ति सफलता के ऊंचे मापदंड स्थापित करता है. चंद्र-मंगल की युति को या परस्पर दृष्टि को अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति को उसके लक्ष्य की ओर सफलता दिलाता है.
अन्य ग्रहों के साथ चंद्र-मंगल की युति का असर: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया, "चंद्र-मंगल की युति के साथ यदि अन्य ग्रहों की युति हो तो व्यक्ति की सफलता का क्षेत्र उस ग्रह के आधार पर बदल जाता है." आइए जानें कि चंद्र-मंगल के साथ किन ग्रहों की युति से कैसा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.
- चंद्र-मंगल के साथ यदि सूर्य की युति हो जाए. ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने मन, अपनी ऊर्जा, अपनी प्राण शक्ति के साथ उसमें तेजस्वीपन भी आ जाता है. उसके ऊर्जा का प्रकाश उसके मन का ध्यान व्यक्ति को सफलता दिलाता है. उसका प्रभाव बढ़ता है.
- बुध ज्ञान का कारक है, वाणी का कारक है. यदि चंद्र-मंगल के साथ बुध की युति हो जाए तो ऐसे व्यक्ति की वाणी, मन-वचन और कर्म से बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है. व्यक्ति अपनी वाणी से श्रोताओं को वशीभूत कर लेता है.
- यदि चंद्र-मंगल के साथ गुरु का योग हो जाए तो ऐसा व्यक्ति संतों की तरह सौम्य ज्ञान की वाणी बोलने वाला हो जाता है. उसके लाखों फॉलोअर हो जाते हैं, उसकी मन, उसकी ऊर्जा, उसकी शक्ति, उसकी सक्रियता, उसका अध्ययन उसे उच्च कोटि के आध्यात्मिकता की ओर ले जाते हैं.
- यदि चंद्र और मंगल के साथ शुक्र की युति हो जाए तो ऐसे व्यक्ति का हृदय, उसका मन, उसकी ऊर्जा, उसकी शक्ति भोग विलास की ओर प्रेरित हो जाती है. शुक्र-मंगल की युति का अनेक ज्योतिष गलत अर्थ लगाते हैं और इसका संबंध स्वच्छंद कर्म भाव से लगाते हैं, जो सही नहीं है. चंद्र मंगल की युति पर शुक्र का प्रभाव है तो व्यक्ति अपने सुख सुविधा की और भोग की सामग्री, जो वह चाहता है, प्राप्त कर लेता है.
- चंद्र-मंगल के साथ शनि का योग व्यक्ति को भीतर से रूखा बना देता है. क्योंकि शनि, न्याय और आध्यात्म का ग्रह है. अतः उसकी ऊर्जा, उसका मन, काफी कष्ट पाने के बाद, संघर्षों के बाद अध्यात्म में बहुत ऊंचाई पर ले जाता है. अतः इस योग से घबराना नहीं चाहिए. क्योंकि यह भौतिक नहीं आध्यात्मिक राज योग का कारक है.
- इसी प्रकार चंद्र और मंगल के साथ राहु और केतु की युति भी शनि और मंगल की युति का प्रभाव देता है.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.