लखनऊ: सामान्य बीमारियों के साथ असाध्य रोगों में भी होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति कारगार साबित हो रही है. लोगों का इसके प्रति विश्वास बढ़ा है. ये बातें जानकीपुरम विस्तार स्थित केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान की प्रभारी अधिकारी डॉ. लिपिपुष्पा देबता ने कही. वह आयुष मंत्रालय भारत सरकार के 100 दिन की उपलब्धियों पर सोमवार को संस्थान में आयोजित हुई प्रेसवार्ता में जानकारी साझा कर रहीं थी.
डॉ. लिपिपुष्पा ने बताया, कि इस पैथी में रोगों को जड़ से ठीक करने की क्षमता है. होम्योपैथी में रोगों का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है. असाध्य रोगों में यह पद्धति काफी कारगर है. इसके दुष्प्रभाव नहीं हैं. शोध और अनुसधान से होम्योपैथ का उपचार में दायरा बढ़ा है. चर्मरोग, कैंसर, डायबिटीज, माइग्रेन, मानसिक रोग, पथरी, गठिया, आंतों में संक्रमण, फैटी लीवर, स्त्री एवं प्रसूति और एलर्जी समेत दूसरी बीमारियों का इलाज होम्योपैथ में उपलब्ध है.
डॉ. अमित श्रीवास्तव ने संस्थान में एनएबीएल एवं एनएबीएच की मान्यता के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी. डॉ. अमित ने बताया संस्थान में पोषण माह के तहत मरीजों को निशुल्क हीमोग्लोबिन की जांच की गई. एवं स्वच्छता ही सेवा, हिंदी दिवस एवं हिंदी पखवाड़ा, पौधरोपण एवं स्वच्छता हेतु सफाई तथा बीमारियों से बचाव के लिए सुझाव एवं ट्रेनिंग दी जा रही है. स्वच्छता अभियान के तहत खेल प्रतियोगिता, मोटरसाइकिल रैली एवं विद्यालयों में भी जन जागरूकता कार्यक्रम करवाया गया है. संस्थान की ओर से प्रत्येक सप्ताह अनुसूचित जनजाति के लिए कठवारा के मिश्रीपुर में निशुल्क शिविर आयोजित कराया जाता है.
डॉ. दिव्या वर्मा ने संस्थान में चल रही ओपीडी और नैदानिक शोधों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया, कि बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 18 सितंबर 2023 को 85 मरीज से शुरुआत हुई थी. वर्तमान में ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या 300 के करीब हो गई है. संस्थान में 6 ओपीडी चल रही है. जिसमें से 4 सामान्य ओपीडी, 1 विशेष और 1 रिसर्च ओपीडी है.