रायपुर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि आने वाले तीन सालों के भीतर नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सल हालात की समीक्षा बैठक के दौरान ये बात कही. सूत्रों की मानें तो शाह ने बैठक में कहा कि तीन सालों के भीतर पूरी तरह से वामपंथी हिंसा का खात्मा कर दिया जाएगा. शाह ने प्रशासन से कहा कि वो विकास कार्यो में तेजी लाएं. जिन इलाकों में पिछड़ापन और विकास की कमी है वहां पर विकास के कामों में तेजी लाई जाए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है. हिंसा और भौगोलिक बाधा में लगभग 80 प्रतिशत की कमी आई है.छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति पर रायपुर में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों के प्रयासों के कारण यह खतरा कुछेक इलाकों तक सीमित रहा है. इन क्षेत्रों को इस समस्या से मुक्त करना होगा. अगले तीन साल में छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा. शस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (एएफएसपीए) अब उत्तर पूर्व के लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्रों से हटा लिया गया है.
नक्सलवाद के खात्मे के लिए ब्लूप्रिंट: नक्सली समस्या को लेकर चल रही बैठक में शाह ने कहा कि नक्सलियों का आर्थिक नेटवर्क तोड़ा जाए. लाल आतंक को जहां से पैसा मिलता है उस स्रोत को पहले बंद किया जाए उनकी कमर अपने आप टूट जाएगी. केंद्रीय गृहमंत्री ने अफसरों से कहा कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए एक ब्लूप्रिंट भी तैयार करें और उसपर काम करें. शाह ने कहा कि नक्सली समर्थकों की भी पहचान की जानी चाहिए. नक्सली समर्थक न सिर्फ उनको जानकारी मुहैया कराते हैं बल्कि माओवादियों को आर्थिक मदद भी देते हैं.
सुरक्षाबलों को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी: गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जवानों की संख्या बढ़ाई जाएगी, नक्सलियों से लड़ने के लिए जवानों को और बेहतर संसाधन दिए जाएंगे. गृहमंत्री ने कहा है कि जो विकास की योजनाएं है उनको जमीन पर लाने के लिए सुरक्षाबलों को भी काम करना होगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक पिछले 10 सालों में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है. दस सालों के आंकड़ों के मुताबिक नक्सली घटनाओं में होने वाली मौतों में 70 फीसदी की गिरावट भी देखी गई. एक अनुमान के मुताबिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 96 से घटकर 45 हो गई है और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित पुलिस स्टेशनों की संख्या 495 से घटकर 176 रह गई है. केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर, केंद्रीय गृह सचिव ने अत्यधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों के साथ एक विस्तृत बातचीत की है.
(सोर्स पीटीआई)