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राजनीति में जातिवाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खोखले दावे...यहां सभी ज्ञान देते हैं, फॉलो कोई नहीं करता - Bihar Politics

पिछले तीन दशकों से बिहार की राजनीति में परिवारवाद, भ्रष्टाचार और जातिवाद प्रमुख मुद्दे रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हीं तीन मुद्दों के आधार पर एक गठबंधन ने दूसरे गठबंधन को घेरने के प्रयास किया. लोकसभा का चुनाव परिणाम आ गया है. जनता ने अपना जनादेश सुना दिया है. लेकिन, आप भी जानइये किस तरह से परिवारवाद, जातिवाद और भ्रष्टाचार सिर्फ मुद्दा बनकर रह गया. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से इसे परिभाषित करते हैं.

बिहार की राजनीति.
बिहार की राजनीति. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 7, 2024, 8:38 PM IST

पटनाः बिहार की राजनीति में तीन महत्वपूर्ण मुद्दे - जातिवाद, परिवारवाद, और भ्रष्टाचार, ने हमेशा ही अहम भूमिका निभाई है. इन्हीं मुद्दों के संगम में बिहार की राजनीतिक परिभाषाओं में बदलाव आता रहा है. इन मुद्दों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार की राजनीति को प्रभावित किया. जातिवाद, परिवारवाद, और भ्रष्टाचार के ये तीन स्तंभ क्या हैं, और कैसे इन्होंने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया, इसे हम यहां जानेंगे.

प्रो नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेषक. (ETV Bharat)

परिवारवाद की नई परिभाषाः परिवारवाद पर प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि परिवारवाद को दो रूप में देखने की जरूरत है.एक वह जिसमें पूरी पार्टी एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है. दूसरा वह जिसमें बड़े नेता के पुत्र को पार्टी टिकट देती है. बिहार में एनडीए की तरफ से कई उम्मीदवार ऐसे हुए जिनके पिता राजनीति में रहे हैं और उनके संतानों को टिकट दिया गया. बीजेपी ने सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को टिकट दिया तो लोजपा ने अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को टिकट दिया. खुद चिराग पासवान और उनके बहनोई अरुण भारती चुनाव मैदान में नजर आए.

परिवारवाद का मुद्दा कमजोर हो रहाः प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि लेकिन दूसरी तरफ आरजेडी ऐसी पार्टी है जिसमें पूरी पार्टी का कंट्रोल एक परिवार कर रहा है. लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पूर्व चीफ मिनिस्टर रहे हैं. दो बेटा विधायक और एक बेटी अब सांसद बन गई हैं. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद पर बिहार में हमला बोला था. प्रो चौधरी का कहना है कि अब परिवारवाद की धार धीरे-धीरे कमजोर होने लगा है, क्योंकि देश में अनेक ऐसे राजनीतिक परिवार हैं जिनके इर्दगिर्द उनकी पार्टी की राजनीति घूम रही है.

भ्रष्टाचार पर आमने-सामनेः भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि यह मुद्दा अभी भी है. बिहार में चारा घोटाले के कारण ही अभी तक आरजेडी इस मुद्दे पर बैकफुट पर रही है. लेकिन, बीजेपी ने कई ऐसे नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाया या उनसे गठबंधन किया जिस पर करप्शन का आरोप लगा है. यही कारण है कि इस चुनाव में करप्शन का जो मुद्दा था वह धीरे-धीरे कमजोर होता दिखा. जहां तक बिहार की बात है तो बिहार के लोगों को अभी भी भ्रष्टाचार, परिवारवाद एवं जातिवाद प्रभावित करता है. जिसका परिणाम चुनाव के रिजल्ट में देखने को मिला.

ETV GFX
ETV GFX (ETV Bharat)

भ्रष्टाचार बना मुद्दाः 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य बड़े नेताओं ने चुनावी जनसभा में लालू यादव के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार का मामला उठाया. जमीन के बदले नौकरी का मामला हो या पशुपालन घोटाला इन तमाम घोटालों की जिक्र चुनावी जनसभा में हुई. वही इंडिया गठबंधन की तरफ से राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी को ऐसी वाशिंग मशीन करार देने का प्रयास किया जिसमें कोई भी भ्रष्टाचारी जाता है तो साफ होकर निकल आता है. लेकिन, भ्रष्टाचार का मुद्दा इस लोकसभा चुनाव में बहुत ज्यादा इफेक्ट नहीं डाल सका.

जातिवाद का कार्डः 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. महागठबंधन की सरकार में बिहार में पहली बार जाति आधारित गणना करवाई. इसके बाद पूरे देश में जाति आधारित गणना करवाने की मांग होने लगी. इंडिया गठबंधन के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार चुनाव से कुछ दिन पहले फिर से एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए. तो महागठबंधन ने चुनाव के समय में जाति का कार्ड खेला. आरजेडी का राजनीतिक समीकरण MY था. उसने इस बार अति पिछड़ों पर दांव खेला. लोकसभा चुनाव 2024 में जाति कार्ड के कारण ही इंडिया गठबंधन 9 सीट जीतने में कामयाब हुई.

"2024 के लोकसभा चुनाव में परिवारवाद, भ्रष्टाचार एवं जातिवाद को मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया था. इस चुनाव में परिवारवाद हर राजनीतिक गठबंधन में देखने को मिला है. बिहार की राजनीति का आधार ही जातिवाद रहा है."- प्रो नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेषक

इसे भी पढ़ेंः 'इस बार के लोकसभा रिजल्ट से साफ है कि 2025 विधानसभा का चुनाव हम जीतेंगे, तेजस्वी यादव बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री' - Sudhakar Singh

इसे भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की वापसी: 9 सीटों पर जीत के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, जीत की क्रोनाेलॉजी समझिये - Return Of Mahagathbandhan

इसे भी पढ़ेंः काराकाट में नहीं चला 'पावर स्टार' का जलवा, Cpiml के राजाराम सिंह की बड़ी जीत, उपेंद्र कुशवाहा तीसरे स्थान पर खिसके - Bihar Lok Sabha Election Results 2024

पटनाः बिहार की राजनीति में तीन महत्वपूर्ण मुद्दे - जातिवाद, परिवारवाद, और भ्रष्टाचार, ने हमेशा ही अहम भूमिका निभाई है. इन्हीं मुद्दों के संगम में बिहार की राजनीतिक परिभाषाओं में बदलाव आता रहा है. इन मुद्दों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार की राजनीति को प्रभावित किया. जातिवाद, परिवारवाद, और भ्रष्टाचार के ये तीन स्तंभ क्या हैं, और कैसे इन्होंने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया, इसे हम यहां जानेंगे.

प्रो नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेषक. (ETV Bharat)

परिवारवाद की नई परिभाषाः परिवारवाद पर प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि परिवारवाद को दो रूप में देखने की जरूरत है.एक वह जिसमें पूरी पार्टी एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है. दूसरा वह जिसमें बड़े नेता के पुत्र को पार्टी टिकट देती है. बिहार में एनडीए की तरफ से कई उम्मीदवार ऐसे हुए जिनके पिता राजनीति में रहे हैं और उनके संतानों को टिकट दिया गया. बीजेपी ने सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को टिकट दिया तो लोजपा ने अशोक चौधरी की बेटी शांभवी को टिकट दिया. खुद चिराग पासवान और उनके बहनोई अरुण भारती चुनाव मैदान में नजर आए.

परिवारवाद का मुद्दा कमजोर हो रहाः प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि लेकिन दूसरी तरफ आरजेडी ऐसी पार्टी है जिसमें पूरी पार्टी का कंट्रोल एक परिवार कर रहा है. लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पूर्व चीफ मिनिस्टर रहे हैं. दो बेटा विधायक और एक बेटी अब सांसद बन गई हैं. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद पर बिहार में हमला बोला था. प्रो चौधरी का कहना है कि अब परिवारवाद की धार धीरे-धीरे कमजोर होने लगा है, क्योंकि देश में अनेक ऐसे राजनीतिक परिवार हैं जिनके इर्दगिर्द उनकी पार्टी की राजनीति घूम रही है.

भ्रष्टाचार पर आमने-सामनेः भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रो नवल किशोर चौधरी का कहना है कि यह मुद्दा अभी भी है. बिहार में चारा घोटाले के कारण ही अभी तक आरजेडी इस मुद्दे पर बैकफुट पर रही है. लेकिन, बीजेपी ने कई ऐसे नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाया या उनसे गठबंधन किया जिस पर करप्शन का आरोप लगा है. यही कारण है कि इस चुनाव में करप्शन का जो मुद्दा था वह धीरे-धीरे कमजोर होता दिखा. जहां तक बिहार की बात है तो बिहार के लोगों को अभी भी भ्रष्टाचार, परिवारवाद एवं जातिवाद प्रभावित करता है. जिसका परिणाम चुनाव के रिजल्ट में देखने को मिला.

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ETV GFX (ETV Bharat)

भ्रष्टाचार बना मुद्दाः 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य बड़े नेताओं ने चुनावी जनसभा में लालू यादव के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार का मामला उठाया. जमीन के बदले नौकरी का मामला हो या पशुपालन घोटाला इन तमाम घोटालों की जिक्र चुनावी जनसभा में हुई. वही इंडिया गठबंधन की तरफ से राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी को ऐसी वाशिंग मशीन करार देने का प्रयास किया जिसमें कोई भी भ्रष्टाचारी जाता है तो साफ होकर निकल आता है. लेकिन, भ्रष्टाचार का मुद्दा इस लोकसभा चुनाव में बहुत ज्यादा इफेक्ट नहीं डाल सका.

जातिवाद का कार्डः 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. महागठबंधन की सरकार में बिहार में पहली बार जाति आधारित गणना करवाई. इसके बाद पूरे देश में जाति आधारित गणना करवाने की मांग होने लगी. इंडिया गठबंधन के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार चुनाव से कुछ दिन पहले फिर से एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए. तो महागठबंधन ने चुनाव के समय में जाति का कार्ड खेला. आरजेडी का राजनीतिक समीकरण MY था. उसने इस बार अति पिछड़ों पर दांव खेला. लोकसभा चुनाव 2024 में जाति कार्ड के कारण ही इंडिया गठबंधन 9 सीट जीतने में कामयाब हुई.

"2024 के लोकसभा चुनाव में परिवारवाद, भ्रष्टाचार एवं जातिवाद को मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया था. इस चुनाव में परिवारवाद हर राजनीतिक गठबंधन में देखने को मिला है. बिहार की राजनीति का आधार ही जातिवाद रहा है."- प्रो नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेषक

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