बागेश्ववर: बाबा बागनाथ धाम में सामूहिक होली की महफिल सज गई है. कई गांवों से आई होल्यारों की टोली ने खड़ी होली गायन का भगवान शिव की स्तुति की. ढोलक और मंजीरों की थाप पर होल्यारों ने अनूठे लय और ताल के साथ होली गायन कर समा बांधा. हर साल बागेश्वर में होली की धूम रहती है. कुमाऊंनी होली में खड़ी होली का विशेष महत्व है. बागेश्वर की कुमाऊंनी होली भी अपनी खास शैली के लिए जानी जाती है. आज भी सैकड़ों की तादाद में आए होल्यारों ने बाबा बागनाथ धाम में होली का अनोखा समां बांधा.
बागनाथ मंदिर में करीब एक बजे से होल्यारों का जुटना शुरू हुआ. इससे पूर्व सभी क्षेत्रों से आई होल्यारों की टोली बाबा बागनाथ मंदिर में एकत्र हुई. जहां ढोलक- मंजीरे की धुन पर नाचते-गाते होल्यारों ने जमकर होली गायन किया. मनकोट, आरे, पंत क्वेराली क्षेत्र से आने वाली होलीया आज बाबा के दर पर पहुंची. इसके बाद कल अन्य टोलिया आएंगी. इस बार पहली बार दो दिन बाबा बागनाथ मंदिर में होलियों का भव्य गायन हो रहा है. होल्यारों ने भगवान शिव को अबीर और गुलाल अर्पित किया.
होल्यारों ने हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला..., शिव के मन माही बसे काशी..., मथुरा के ठाकुर हो हो... आदि होली गीतों का गायन किया. करीब तीन घंटे तक मंदिर में होली गायन का सिलसिला चला. सैकड़ों की तादाद में होल्यारों ने मंदिर में होली गायन करते हुए भगवान शिवा और गजानन की स्तुति की. होल्यारों ने बताया वह अपनी पारंपरिक शैली को बचाए रखने का प्रयास कर रहे हैं. सालों से चतुर्दशी की होली को बाबा बागनाथ पहुंचते हैं. यहां घंटे तक होली गायन कर भगवान शिव और गजानन की स्तुति करते हैं. उन्होंने कहा वह अपनी पारंपरिक शैली को बचाए रखने का लगातार प्रयास कर रहे हैं.
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