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17 मार्च से शुरू हो रहा होलाष्टक, जानिए इन 8 दिनों में क्यों नहीं होते शुभ कार्य?

Holashtak 2024: इस बार होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 17 मार्च से लग जाएंगे. वहीं इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को होली खेली जाएगी. मान्यता है कि इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है. जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 15, 2024, 6:04 PM IST

17 मार्च से से शुरू हो रहा होलाष्टक
17 मार्च से से शुरू हो रहा होलाष्टक
17 मार्च से से शुरू हो रहा होलाष्टक

नई दिल्ली/गाजियाबाद: इस बार होलिका दहन 24 मार्च तक 2024 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 17 मार्च से लग जाएंगे. वहीं इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को होली खेली जाएगी. फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरुआत हो रही है, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को समाप्त होगा. इस साल रविवार 17 मार्च 2024 से होलाष्टक शुरू होकर होलिका दहन के साथ 24 मार्च को समाप्त होगा.

विष्णु भक्त प्रहलाद ने जब अपने पिता हिरण्यकश्यप के कहने पर भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं त्यागी तो दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने विष्णु भक्त प्रहलाद को विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली से आठ दिन पहले यानी फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक प्रहलाद को अधिक यातनाएं और कष्ट देकर डराया गया.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक तमाम यात्राओं के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति के मार्ग को नहीं त्यागा. प्रहलाद को कभी विष दिया गया तो कभी पहाड़ी से नीचे फेंका गया. समुद्र में बहाया गया, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रत्येक बार प्रहलाद को बचाया. होली के दिन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया, लेकिन होली का जल गई और प्रहलाद बच गए. इन्हीं कर्म से होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही बताई गई है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में होली से पहले हुड़दंग करने वालों की शामत, विकासपुरी पुलिस ने पांच को पकड़ा

शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, होली के आसपास मौसम में परिवर्तन होने के चलते व्यक्ति में आलस से और प्रमाद बढ़ जाता है. पूजा पाठ करने या फिर किसी प्रकार का शुभ कार्य करने के लिए शरीर में ऊर्जा होना बेहद आवश्यक है. यदि शरीर में आलस बढ़ेगा तो पूजा या अनुष्ठान अपना पूर्ण फल नहीं देंगे. होलाष्टक के दौरान 16 संस्कारों से संबंधित कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. प्रमुख तौर पर वैवाहिक कार्य और गृह प्रवेश आदि कार्य करना इस दौरान वर्जित बताया गया है. होलाष्टक के दौरान गरीबों को दान करना और उनकी सेवा करना साथ ही भोजन कराना बेहद शुभ माना जाता है.

ये भी पढ़ें : CAA लागू होने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने बीजेपी नेताओं के साथ खेली होली

17 मार्च से से शुरू हो रहा होलाष्टक

नई दिल्ली/गाजियाबाद: इस बार होलिका दहन 24 मार्च तक 2024 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 17 मार्च से लग जाएंगे. वहीं इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को होली खेली जाएगी. फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरुआत हो रही है, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को समाप्त होगा. इस साल रविवार 17 मार्च 2024 से होलाष्टक शुरू होकर होलिका दहन के साथ 24 मार्च को समाप्त होगा.

विष्णु भक्त प्रहलाद ने जब अपने पिता हिरण्यकश्यप के कहने पर भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं त्यागी तो दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने विष्णु भक्त प्रहलाद को विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली से आठ दिन पहले यानी फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक प्रहलाद को अधिक यातनाएं और कष्ट देकर डराया गया.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक तमाम यात्राओं के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति के मार्ग को नहीं त्यागा. प्रहलाद को कभी विष दिया गया तो कभी पहाड़ी से नीचे फेंका गया. समुद्र में बहाया गया, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रत्येक बार प्रहलाद को बचाया. होली के दिन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया, लेकिन होली का जल गई और प्रहलाद बच गए. इन्हीं कर्म से होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही बताई गई है.

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शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, होली के आसपास मौसम में परिवर्तन होने के चलते व्यक्ति में आलस से और प्रमाद बढ़ जाता है. पूजा पाठ करने या फिर किसी प्रकार का शुभ कार्य करने के लिए शरीर में ऊर्जा होना बेहद आवश्यक है. यदि शरीर में आलस बढ़ेगा तो पूजा या अनुष्ठान अपना पूर्ण फल नहीं देंगे. होलाष्टक के दौरान 16 संस्कारों से संबंधित कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. प्रमुख तौर पर वैवाहिक कार्य और गृह प्रवेश आदि कार्य करना इस दौरान वर्जित बताया गया है. होलाष्टक के दौरान गरीबों को दान करना और उनकी सेवा करना साथ ही भोजन कराना बेहद शुभ माना जाता है.

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