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राज्य के हर जिले में लगेगी HLC मशीन, सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की पहचान करने में होगी आसानी - World Sickle Cell Day Celebrated - WORLD SICKLE CELL DAY CELEBRATED

HLC Machine. राज्य में सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की पहचान करने के लिए हर जिले में एचएलसी मशीन लगायी जाएगी. इस मशीन के जरिए साल 2024 तक 40 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य रखा गया है.

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विश्व सिकल सेल दिवस (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 19, 2024, 9:04 PM IST

रांची: आदिवासी बहुल झारखंड राज्य में रक्त जनित जेनेटिक बीमारी एक बड़ी समस्या है. इन्हीं में से एक है सिकल सेल एनीमिया! जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होने वाली इस बीमारी पर रोकथाम लगाने के लिए बहुत जरूरी है कि इस बीमारी के प्रति लोग जागरूक हो. इसी उद्देश्य से आज विश्वभर में वर्ल्ड सिकल सेल दिवस मनाया गया. रांची के सदर अस्पताल में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी मौजूद रहे.

वर्ल्ड सिकल सेल दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि "सिकल सेल से होने वाली खून की कमी" एक अनुवांशिक बीमारी है. यह एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में पहुंचती है. अभी तक इस बीमारी का ठोस इलाज नहीं मिल सका है. लेकिन यह भी सच है कि जानकारी और जागरूकता से इस बीमारी पर काफी हद तक रोकथाम लगाया जा सकता है. इसलिए इस बीमारी से बचाव की जुड़ी जानकारी राज्य के सभी लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है.

राज्य के 10.87 लाख से अधिक लोगों की हुई स्क्रीनिंग

विश्व सिकल सेल दिवस पर स्वास्थय मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि अब तक 10,87,750 संदिग्ध लोगों की स्कीनिंग की गई, जिसमें 1890 लोगों में सिकल सेल की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी हमारे पास एक ही एचएलसी मशीन है, जिससे सिकल सेल की कंफर्मेटरी टेस्ट होता है. जल्द ही राज्य के सभी 24 जिलों के सदर अस्पताल में इस मशीन की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी जाएगी.
बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोविड के समय स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश गया था कि ट्रूनेट मशीन से जांच के समय ही मरीजों की टीबी की भी जांच कर ली जाए, ताकि एक ही समय में हम दो बीमारियों की पहचान कर सकें. अब सिकल सेल को समाप्त करने के लिए भी चिकित्सकों को ऐसी ही रणीनीति के साथ जन कल्याण के उद्देश्य से काम करना होगा.

सेवा भाव ही चिकित्सा का मूल- सीपी सिंह

रांची विधायक और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि अगर गांव और प्रखंड स्तर पर बीमारी की जांच की व्यवस्था उपलब्ध कराया जाए तो इस बीमारी की रोकथाम में और तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि जानकारी से बहुत सी बीमारियों और महामारी को समय से पहले ही रोका जा सकता है.

जनजातीय समुदायों में सिकल सेल के ज्यादा मिले केस: NHM निदेशक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के झारखंड अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां सिकल सेल एनीमिया से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के रोकथाम के इस कार्यक्रम के तहत शून्य से चालीस वर्ष तक के सभी लोगों की स्क्रीनिंग कराया जाना है. इस बीमारी की जल्द से जल्द पहचान ही आगे के प्रसार को रोकने के लिए मददगार साबित होगा.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार से इस वर्ष राज्य के 40 लाख लोगों के स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष के तीन महीनों के अंदर 25 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है. झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है और इसमें प्रारंभिक तौर पर सिकल सेल के केस जनजातीय समुदाय के बीच ज्यादा पाए गए हैं, ऐसे में हमारा उत्तरदायित्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस कार्यक्रम में निदेशक प्रमुख डॉ सीके शाही, रक्त कोषांग प्रभारी डॉ जॉन एफ केनेडी, राज्य आईईसी कोषांग प्रभारी डॉ लाल मांझी, डॉ कमलेश, डॉ उमा सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अनिमा किस्कू, राज्य मानव संसाधन परामर्शी अवनी प्रसाद सहित स्वास्थ्य विभाग के तमाम कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें: पलामू में 47 करोड़ की लागत से बनेंगी 29 सड़कें, लोगों की परेशानी होगी खत्म

ये भी पढ़ें: साहिबगंज में तीन दिवसीय सिकल सेल एनीमिया पखवाड़ा शुरू, निःशुल्क की जाएगी जांच

रांची: आदिवासी बहुल झारखंड राज्य में रक्त जनित जेनेटिक बीमारी एक बड़ी समस्या है. इन्हीं में से एक है सिकल सेल एनीमिया! जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होने वाली इस बीमारी पर रोकथाम लगाने के लिए बहुत जरूरी है कि इस बीमारी के प्रति लोग जागरूक हो. इसी उद्देश्य से आज विश्वभर में वर्ल्ड सिकल सेल दिवस मनाया गया. रांची के सदर अस्पताल में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी मौजूद रहे.

वर्ल्ड सिकल सेल दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि "सिकल सेल से होने वाली खून की कमी" एक अनुवांशिक बीमारी है. यह एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में पहुंचती है. अभी तक इस बीमारी का ठोस इलाज नहीं मिल सका है. लेकिन यह भी सच है कि जानकारी और जागरूकता से इस बीमारी पर काफी हद तक रोकथाम लगाया जा सकता है. इसलिए इस बीमारी से बचाव की जुड़ी जानकारी राज्य के सभी लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है.

राज्य के 10.87 लाख से अधिक लोगों की हुई स्क्रीनिंग

विश्व सिकल सेल दिवस पर स्वास्थय मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि अब तक 10,87,750 संदिग्ध लोगों की स्कीनिंग की गई, जिसमें 1890 लोगों में सिकल सेल की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी हमारे पास एक ही एचएलसी मशीन है, जिससे सिकल सेल की कंफर्मेटरी टेस्ट होता है. जल्द ही राज्य के सभी 24 जिलों के सदर अस्पताल में इस मशीन की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी जाएगी.
बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोविड के समय स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश गया था कि ट्रूनेट मशीन से जांच के समय ही मरीजों की टीबी की भी जांच कर ली जाए, ताकि एक ही समय में हम दो बीमारियों की पहचान कर सकें. अब सिकल सेल को समाप्त करने के लिए भी चिकित्सकों को ऐसी ही रणीनीति के साथ जन कल्याण के उद्देश्य से काम करना होगा.

सेवा भाव ही चिकित्सा का मूल- सीपी सिंह

रांची विधायक और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि अगर गांव और प्रखंड स्तर पर बीमारी की जांच की व्यवस्था उपलब्ध कराया जाए तो इस बीमारी की रोकथाम में और तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि जानकारी से बहुत सी बीमारियों और महामारी को समय से पहले ही रोका जा सकता है.

जनजातीय समुदायों में सिकल सेल के ज्यादा मिले केस: NHM निदेशक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के झारखंड अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां सिकल सेल एनीमिया से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के रोकथाम के इस कार्यक्रम के तहत शून्य से चालीस वर्ष तक के सभी लोगों की स्क्रीनिंग कराया जाना है. इस बीमारी की जल्द से जल्द पहचान ही आगे के प्रसार को रोकने के लिए मददगार साबित होगा.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार से इस वर्ष राज्य के 40 लाख लोगों के स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष के तीन महीनों के अंदर 25 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है. झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है और इसमें प्रारंभिक तौर पर सिकल सेल के केस जनजातीय समुदाय के बीच ज्यादा पाए गए हैं, ऐसे में हमारा उत्तरदायित्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस कार्यक्रम में निदेशक प्रमुख डॉ सीके शाही, रक्त कोषांग प्रभारी डॉ जॉन एफ केनेडी, राज्य आईईसी कोषांग प्रभारी डॉ लाल मांझी, डॉ कमलेश, डॉ उमा सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अनिमा किस्कू, राज्य मानव संसाधन परामर्शी अवनी प्रसाद सहित स्वास्थ्य विभाग के तमाम कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे.

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