अंबिकापुर: सरगुजा संभाग का मुख्यालय अंबिकापुर शहर से 45 किलोमीटर दूर उदयपुर नाम का कस्बा है. उदयपुर से 3 किलोमीटर अंदर एक जगह को रामगढ़ कहा जाता है. रामगढ़ में प्राचीन गुफाएं हैं. शोधकर्ताओं ने इन गुफाओं में से एक को एशिया की सबसे प्राचीन नाट्यशाला माना है. माना जाता है कि भगवान राम ने अपनी सेना के मनोरंजन के लिए इस नाट्यशाला को बनवाया था.
छत्तीसगढ़ के भांचे हैं श्रीराम : भगवान राम को छत्तीसगढ़ का भांचा माना जाता है. अपने वनवास के दौरान काफी समय प्रभु श्रीराम ने माता, सीता और लक्ष्मण के साथ दंडकारण्य में बिताएं. माता जानकी भी वनवास के दौरान महलों का सुख त्याग कर वन में अपने पति परमेश्वर श्रीराम के साथ 14 वर्ष बिताएं. इस दौरान प्रभु श्रीराम के पद सरगुजा की धरती पर भी पड़े.यहां के रामगढ़ में श्रीराम ने कुछ समय बिताया.यहां की सीताबेंगरा गुफा को राम का आश्रय माना जाता है. राम,सीता और लक्ष्मण के प्रवास के कारण ही इस गुफा को सीताबेंगरा गुफा दिया गया था.
सीताबेंगरा और रामवनवास का नाता : रामगढ़ पर्वत के निचले शिखर पर सीताबेंगरा और जोगीमारा की अद्वितीय कलात्मक गुफाएं हैं. भगवान राम के वनवास के दौरान सीताजी ने काफी समय गुफा मे बिताया. इस गुफा को सीताबेंगरा के नाम से प्रसिद्धि मिली. इन्हीं गुफाओं को दुनिया की पहली रंगशाला कहा जाता है.इसलिए ये कला प्रेमियों का तीर्थ स्थल भी है. जोगीबेंगरा गुफा करीब 44 फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी है.1960 में पूना से प्रकाशित ''ए फ्रेश लाइट आन मेघदूत'' में रामगढ़ से जुड़ी चीजों को अंकित किया गया है. इस किताब में श्री राम की वनवास स्थली रामगढ़ को माना गया है.
सीएम विष्णुदेव साय ने दी जानकी जयंती की शुभकामनाएं : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जानकी जयंती के मौके पर मां सीता का वंदन कर सभी को शुभकामनाएं दी हैं.समृद्ध छत्तीसगढ़ के इतिहास में जनक नंदिनी मां सीता का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं. दुनिया की सबसे प्राचीनतम नाट्य शाला के नाम से विख्यात रामगढ़ की सीताबेंगरा गुफा का इतिहास सदियों पुराना है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ जितना प्रभु श्री राम का है, उतना ही माता सीता का.मान्यता है कि अपने वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने रामगढ़ के पहाड़ों और जंगलों में वास किया था. जिस गुफा में मां सीता जी रहा करती थीं, वहीं गुफा आज सीताबेंगरा के नाम से प्रसिद्ध है.
रामगढ़ में श्रीराम के प्रमाण : भगवान राम के रामगढ़ आने का प्रमाण आध्यात्म रामायण में मिलता है. आध्यात्म रामायण के मुताबिक महर्षि जमदग्नि ने भगवान शंकर का बाण 'प्रास्थलिक' श्रीराम को दिया था. इस बाण का उपयोग राम ने रावण के साथ हुए युद्ध में किया. प्रास्थलिक की मदद से ही रावण का विनाश माना जाता है. रामगढ़ के निकट स्थित महेशपुर वनस्थली ही महर्षि जमदग्नि की तपोभूमि थी. इन प्रमाणों से राम के रामगढ़ आने की बात को बल मिलता है.श्रीराम महर्षि जमदग्नि के आश्रम आए. ऋषि की आज्ञा पाकर ही राम ने कुछ समय रामगढ़ में बिताएं थे.