रांची: झारखंड की पलामू लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है. आजाद भारत के पहले आम चुनाव के बाद से ही पलामू राजनीति की केंद्र में रहा है. पलामू सीट पर पहले कांग्रेस का कब्जा रहा, फिर राजद और अब यह सीट बीजेपी के पाले में है. 1952 से अब तक हुए चुनावों में यहां सबसे ज्यादा छह बार कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीते हैं. वहीं भाजपा ने पांच बार इस सीट पर कब्जा किया है.
पलामू लोकसभा सीट का गठन भारत की आजादी के बाद हुआ. पहले इस लोकसभा सीट का नाम पलामू-हजारीबाग-रांची था. 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिन्हा ने यहां से जीत हासिल की. हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जेठन सिंह खरवार भी मैदान में थे. झारखंड पार्टी की उम्मीदवार एलिस कुजूर तीसरे स्थान पर रहीं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिंह को 18.4 फीसदी वोट मिले जबकि झारखंड पार्टी को 15.9 फीसदी वोट मिले.
1957 लोकसभा चुनाव
1952 के बाद 1957 में फिर से चुनाव हुए. इस लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिंह फिर से यहां से विजयी हुए. इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 40.8 प्रतिशत वोट मिले. छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के उम्मीदवार राम अवतार शर्मा को 24.8 फीसदी वोट मिले, जबकि झारखंड पार्टी को 15.1 फीसदी वोट मिले.
1962 लोकसभा चुनाव
62 के चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार शशांक मंजरी पलामू के सांसद बने. उन्हें कुल 56.1 फीसदी वोट मिले. जबकि पहली और दूसरी लोकसभा चुनाव में विजयी रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद गजेंद्र प्रसाद सिंह को हार का सामना करना पड़ा, उन्हें कुल 25.6 फीसदी वोट मिले.
1967 लोकसभा चुनाव
67 के लोकसभा चुनाव में पलामू सीट पर फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब्जा जमाया. हालांकि इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था और कमला कुमारी को मैदान में उतारा था. कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 41.2 फीसदी वोट मिले, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 22.6 फीसदी वोट मिले.
1971 लोकसभा चुनाव
71 के लोकसभा चुनाव में यहां एक बार फिर से कांग्रेस की जीत हुई और उसकी उम्मीदवार कमला कुमारी को पूरे 50 फीसदी वोट मिले. दूसरे स्थान पर भारतीय जनसंघ रहा, जिसके उम्मीदवार रामदेव राम को 30 फीसदी वोट मिले.
1977 लोकसभा चुनाव
77 के लोकसभा चुनाव में पलामू में बदलाव हुआ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लगातार दो बार विजयी रहीं कमला कुमारी को इस बार हार का सामना करना पड़ा. पलामू सीट पर भारतीय लोक दल के उम्मीदवार रामधनी राम ने जीत हासिल की. उन्हें कुल 76.01 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कमला कुमारी को सिर्फ 14.7 फीसदी वोट मिले.
1980 लोकसभा चुनाव
80 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी खोई हुई सीट पर कब्जा कर लिया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की कमला कुमारी को 47 प्रतिशत वोट मिले, जबकि रामधनी राम को 30.5 फीसदी वोट मिले. उन्होंने पार्टी बदल ली थी और जनता पार्टी से चुनाव लड़ा था.
1984 लोकसभा चुनाव
84 के चुनाव में कांग्रेस दोबारा जीतकर आई. कांग्रेस की कमला कुमारी को 71.2 फीसदी वोट मिले. जबकि जनता पार्टी के रामसुंदर दास यहां से चुनाव मैदान में थे और उन्हें 19.5 फीसदी वोट मिले.
1989 लोकसभा चुनाव
89 के लोकसभा चुनाव में पलामू में एक बार फिर परिवर्तन हुआ और यह सीट जनता दल के खाते में चली गयी. जनता दल के जोरावर राम ने सीट पर कब्ज़ा जमाया. जिन्हें कुल 36.5 फीसदी वोट मिले. जबकि भाजपा के रामदेव राम को 27.9 फीसदी वोट मिले. जबकि कांग्रेस आई की कमला कुमारी को 22.8 फीसदी वोट मिले.
1991 के लोकसभा चुनाव
90 के दशक में पलामू सीट पर एक बार फिर परिवर्तन हुआ और 1991 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में गयी. भाजपा के रामदेव राम को कुल 37.3 फीसदी वोट मिले. दूसरे स्थान पर जनता दल के जोरावर राम रहे, जिन्हें कुल 31.6 फीसदी वोट मिले. जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस की कमला कुमारी को 13.4 फीसदी वोट मिले.
1996 लोकसभा चुनाव
इस चुनाव में भाजपा ने 42.4 फीसदी वोट पाकर इस सीट पर फिर कब्जा कर लिया, हालांकि भाजपा ने यहां से अपना उम्मीदवार बदल दिया था. 1991 में भाजपा के सांसद रामदेव राम की जगह बृजमोहन राम को टिकट दिया गया. जबकि दूसरे स्थान पर जनता दल से उदय नारायण चौधरी चुनाव लड़े थे और उन्हें कुल 31.20 वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राधा कृष्ण किशोर को केवल 10.5% वोट ही मिल सके.
1998 लोकसभा चुनाव
98 के चुनाव में भाजपा ने पलामू सीट पर जीत हासिल की. भाजपा के बृजमोहन राम को कुल 52.6 फीसदी वोट मिले. जबकि राजद के उदय नारायण चौधरी को कुल 39.20 वोट मिले थे.
1999 लोकसभा चुनाव
99 के चुनाव में पलामू सीट भाजपा के कब्जे में ही रही. यहां से भाजपा के बृजमोहन राम को 52.6 फीसदी वोट मिले. वहीं इस बार राजद ने अपना उम्मीदवार बदल कर जवाहर राम को टिकट दिया था, जवाहर राम को यहां कुल 36.01 फीसदी वोट मिले.
झारखंड विभाजन के बाद बदला समीकरण
झारखंड विभाजन से पहले भाजपा पलामू सीट पर लगातार चार लोकसभा चुनावों में विजयी रही थी. 1991, 1996, 1998 और 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में पलामू सीट भाजपा के पास रही. लेकिन बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में पलामू सीट राजद के खाते में चली गयी. 2004 के लोकसभा चुनाव में राजद के मनोज कुमार भुइयां ने 32.2 फीसदी वोट पाकर पलामू सीट से जीत हासिल की थी. जबकि भाजपा के चार बार के विजयी उम्मीदवार बृजमोहन राम को 23.6 फीसदी वोट मिले. वहीं जनता दल यूनाइटेड के राधा कृष्ण किशोर को 16.6 फीसदी वोट मिले.
2009 लोकसभा चुनाव
2009 के लोकसभा चुनाव में राजद पलामू से हार गई. यहां राजद ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था, राजद ने घूरन राम को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में पलामू लोकसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कामेश्वर बैठा ने जीत हासिल की, जिन्हें कुल 25.8 फीसदी वोट मिले, जबकि राजद को 22.02 फीसदी, झारखंड विकास मोर्चा को 13.99 फीसदी और जनता दल यूनाइटेड को 10 फीसदी वोट मिले.
2014 लोकसभा चुनाव
भारतीय राजनीति में मोदी लहर का चुनाव माना जाता है. इसका असर पलामू में भी देखा गया. पलामू से भाजपा के विष्णु दयाल राम, जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भी थे. उन्होंने पलामू सीट से जीत हासिल की. उन्हें कुल 48.8 फीसदी वोट मिले. जबकि राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार को 21.8 फीसदी और झारखंड विकास मोर्चा के घूरन राम को 16 फीसदी वोट मिले.
2019 लोकसभा चुनाव
2019 के चुनाव में भी पलामू सीट भाजपा के खाते में गई थी. 2014 चुनाव के विजयी उम्मीदवार विष्णु दयाल राम को भारतीय जनता पार्टी ने फिर अपना उम्मीदवार बनाया और भाजपा को कुल 62.5 वोट प्राप्त हुआ. दूसरे स्थान पर राजद के घूरन राम रहे, जिन्हें 23 फीसदी वोट मिले.
2024 के लिए बन रहे चुनावी समीकरण में भाजपा का दावा मजबूत माना जा रहा है. हालांकि 2024 में जनता किसे चुनती है ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा. लेकिन 2014 में मोदी की लहर, 2019 में मोदी का असर और फिर 2024 में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने में जुटी बीजेपी के लिए पलामू सीट सुरक्षित मानी जा रही है.
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