रांची: झारखंड की लोहरदगा लोकसभा सीट दूसरे लोकसभा आम चुनाव के समय बनी थी. यहां 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. पहले चुनाव में यहां से झारखंड पार्टी के इग्नी बेक ने जीत दर्ज की. झारखंड पार्टी को कुल 43.5 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 30.30 फीसदी मत मिले थे. जतम खरवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था.
1962 का लोकसभा चुनाव
1962 के चुनाव में यहां से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार डेविड मुंजनी ने जीत दर्ज की थी. इन्हें कुल 41.6 फीसदी वोट मिले. हालांकि 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया. यहां से इग्नी बेक की जगह कांग्रेस पार्टी ने कार्तिक उरांव को टिकट दिया. कार्तिक उरांव को कल 29.9 फीसदी वोट मिले. वहीं झारखंड पार्टी को 22.7 फीसदी वोट मिले थे.
1967 में कांग्रेस ने हासिल की जीत
1967 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर नए उम्मीदवार पर अपना दांव खेला. इस बार उन्होंने के दोरांव को टिकट दिया. 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लोहरदगा सीट पर जीत दर्ज की और कुल 37 फीसदी मत प्राप्त किए. वहीं भारतीय जनसंघ को 17.1 फीसदी वोट मिले.
1971 में फिर जीती कांग्रेस
1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर अपने उम्मीदवार को बदला और 1962 के अपने उम्मीदवार कार्तिक उरांव को फिर से टिकट दिया. 1967 में इस सीट पर फिर से कार्तिक उरांव ने जीत दर्ज की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 51.5 फीसदी मत मिले. जबकि भारतीय जनसंघ की रूपना उरांव को 18 प्रतिशत वोट मिले.
1977 में कांग्रेस को मिली हार
1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल लोहरदगा सीट पर कब्जा किया. भारतीय लोक दल के लालू उरांव को 54.9 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्तिक उरांव को सिर्फ 29.99 प्रतिशत वोट मिल पाए.
1980 में फिर से कांग्रेस को हासिल हुई सीट
1980 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर लोहरदगा सीट पर जीत दर्ज किया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्तिक उरांव ने इस बार 49.5% मत प्राप्त किए. वहीं जनता पार्टी की करमा उरांव ने 22.99 फीसदी और भारतीय लोक दल से चुनाव लड़े लालू उरांव ने जनता पार्टी सेकुलर के साथ चुनाव लड़ा कर 9.6 फीसदी वोट हासिल किए.
1984 में भी जीती कांग्रेस
1984 के लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट पर फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब्जा किया. हालांकि कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बदला और सुमति उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया. इन्हें कुल 57.5 फीस दी वोट मिले थे. भारतीय जनता पार्टी के ललित उरांव ने 20.02 प्रतिशत मत हासिल किए. जबकि जनता पार्टी 7.5 फ़ीसदी मत हासिल कर पाई.
1989 में भी कांग्रेस के पास रही लोहरदगा सीट
1989 में भी यह सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास रही. यहां से सुमति उरांव ने जीत दर्ज की. सुमति को कुल 38.6 फीसदी मत मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के ललित उरांव को कुल 28.4 फीसदी मत प्राप्त हुए. वहीं जनता दल इस बार 18 फ़ीसदी मत लेने में कामयाब रही थी.
1991 में पहली बार बीजेपी ने दर्ज की जीत
1991 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां पर एक बड़ा परिवर्तन हुआ. जब भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई. भारतीय जनता पार्टी के ललित उरांव कुल 36.4 फीसदी वोट हासिल कर इस सीट पर कब्जा किया. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 22.2 फीसदी वोट मिले. जनता दल को 16.4 फीसदी वोट को मिले थे.
1996 में बीजेपी ने दोहराई कामयाबी
1996 में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में रही. यहां से ललित उरांव ने जीत हासिल किया. इस बार भारतीय जनता पार्टी को कुल 33 फीसदी मत मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां पर अपने उम्मीदवार को बदल दिया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस बार फिर से बंदी उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था और इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 24.6 फीसदी वोट मिले. जबकि जनता दल को 17.7 फीसदी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 14.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.
1998 में जीती कांग्रेस
1998 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर अपना उम्मीदवार बदलता और इंद्रनाथ भगत को उम्मीदवार बनाया. इंद्रनाथ भगत को कुल 44.5 फीसदी मत मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के ललित उरांव को 40.8 फीसदी मत प्राप्त हुए. एक बार फिर कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की.
1999 में बीजेपी ने हासिल की जीत
1999 की हुई लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और जीत हासलि की. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दुखा भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं, भारतीय जनता पार्टी को कुल 44.2 फीसदी वोट यहां मिले. हालांकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत भी कांटे की टक्कर देकर मैदान में थे. उन्हें 43.2 फीसदी वोट मिले थे.
बंटवारे के बाद कांग्रेस को मिली जीत
बिहार झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2004 हुए पहले लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट कांग्रेस के खाते में गई. हालांकि कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनाव में फिर उम्मीदवार को बदलते हुए रामेश्वर उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 47.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार दुखा भगत पर ही दम लगाया था और इन्हें कुल 28.6 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.
2009 में बीजेपी जीती
बिहार झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2009 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव हुआ. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सुदर्शन भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. सुदर्शन भगत ने इस सीट पर कुल 27.7 फीसदी वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की. यहां निर्दलीय उम्मीदवार चमरा लिंडा ने 26.11 फ़ीसदी वोट प्राप्त किए. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 24.8 की प्रतिशत मत प्राप्त हुए. 2009 का लोकसभा चुनाव इस सीट के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा.
2014 में मोदी लहर का दिखा असर
मोदी के लहर में 2014 में हुए इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत को कुल 34.830 प्रतिशत मत प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 33.8 की प्रतिशत मत प्राप्त हुए. हालांकि चमरा लिंडा इस बार ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े थे और उन्हें कुल 18.3 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे. 2014 में भी यह सीट काफी कांटे की टक्कर में भारतीय जनता पार्टी ने जीती.
2019 में भी दिखा मोदी मैजिक
2014 में मोदी का लहर और 2019 में मोदी के काम के आसार पर चुनाव तो हुआ हालांकि इस सीट पर भाजपा के सुदर्शन भगत ने जीत को दर्ज की. लेकिन जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा. भारतीय जनता पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 45.5 फीसदी मत इस लोकसभा क्षेत्र में मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवार का बदलाव करते हुए सुखदेव भगत को अपना उम्मीदवार बनाया था. जिन्हें 44.20 रिपोर्ट यहां प्राप्त हुए थे. काफी कांटे की टक्कर में 2019 की सीट बीजेपी के कब्जे में आई थी.
लोहरदगा में हुए अब तक कुल चुनाव में जो स्थितियां रही है उसे एक बात तो साफ है कि भारतीय जनता पार्टी के खाते में लगातार तीन बार से यह सीट आ रही है. 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सेट को जीत जरूर है. लेकिन वोट प्रतिशत जिस तरीके से रहा है उसके लिए भारतीय जनता पार्टी के लिए यह चिंता का विषय भी रहा है. क्योंकि वोट का प्रतिशत काफी काम रहा है. ऐसे में देखना होगा कि 2024 की लोकसभा चुनाव में कौन से राजनीतिक रणनीति इस सीट को भाजपा के खाते में डालती है या फिर कांग्रेस इस सीट को फिर से अपना करती है.
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