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लोकसभा चुनाव 2024: गिरिडीह लोकसभा सीट का इतिहास, यहां बीजेपी का रहा दबदबा, जानिए 1957 से 2019 तक कौन जीता कौन हारा

History of Giridih Lok Sabha seat. लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी जल्द ही बजने वाली है. गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिले के कुछ हिस्सों को मिला कर गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र बनाया गया है. खनिज संपदा से संपन्न यह लोकसभा क्षेत्र काफी खास है. इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. यहां से रविंद्र पांडे 5 पार सांसद रहे हैं. हालांकि पिछली बार गठबंधन के कारण यह सीट आजसू को मिली थी जहां से चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत हासिल की थी.

History of Giridih Lok Sabha seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 15, 2024, 8:24 PM IST

Updated : Mar 5, 2024, 10:14 PM IST

रांची: झारखंड राज्य के गिरिडीह लोकसभा सीट का गठन संयुक्त बिहार में 1957 में हुआ था. यहां देश में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे.

History of Giridih Lok Sabha seat
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1957 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव

1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी काजी एसए मतीन विजय हुए थे. छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को कुल 51.3 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागेश्वर प्रसाद सिंह को 30.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1962 नें ठाकुर बटेश्वर सिंह ने दर्ज की जीत

1962 में हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से स्वतंत्र पार्टी के ठाकुर बटेश्वर सिंह विजयी हुए थे. इन्हें कुल 39.8 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 36.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए थे.

1967 का लोकसभा चुनाव

1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला और अब्दुल इम्तियाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया. 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 33 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एम. एस. ओबराय को 31.02 और भारतीय जन संघ को 17.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.

1971 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत

1971 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चपलेंदु भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया और इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 37.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए. जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) के कृष्ण बल्लभ सहाय को 34.8 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 17.8 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1977 में कांग्रेस को मिली हार

1977 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. भारतीय लोक दल के रामदास सिंह को 56.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 29.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1980 में कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे जीते

1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बिहार के 21 में मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झारखंड बिहार संयुक्त के प्रदेश प्रभारी रहे बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जीत हुई थी. इन्हें 34.4 फीसदी वोट मिले थे. जबकि जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.9 फीसदी और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े विनोद बिहारी महतो को 18.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

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1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस की जीत

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पूरे देश में सहानुभूति की लहर थी, जिसमें एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवार को बदल दिया. बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जगह यहां से सरफराज अहमद को पार्टी ने टिकट दिया. सरफराज को यहां कुल 51.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार विनोद बिहारी महतो को 18.8 और भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 17.4 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1989 में बीजेपी ने पहली बार दर्ज की जीत

1989 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. वहीं निर्दलीय के तौर पर विनोद बिहारी महतो ने 31.5 फीसदी वोट प्राप्त किए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 26.9 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1991 के चुनाव में झामुमो की जीत

1991 के लोकसभा चुनाव में विनोद बिहारी महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा से चुनाव लड़े. इससे पहले विनोद बिहारी महतो लगातार इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे और दूसरे स्थान पर रहते थे. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 1991 में विनोद बिहारी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें कुल 47.2 फीसदी वोट मिले. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 31.02 फीसदी मत प्राप्त हुए. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 15.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1996 में बीजेपी ने फिर दर्ज की जीत

1996 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने रविंद्र कुमार पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया था. भारतीय जनता पार्टी को 1996 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से 29.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. जबकि जनता दल को 20.7 फीसदी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (एम) को 16.3 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 13.7 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1998 में रविंद्र पांडे ने दूसरी बार दर्ज की जीत

1998 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से रविंद्र पांडे ने दूसरी बार इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. भारतीय जनता पार्टी को 1998 में 44.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 34 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1999 में बीजेपी ने फिर हासिल की जीत

1999 में भी लोकसभा उप चुनाव में फिर से भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज किया था भारतीय जनता पार्टी को 1999 में कुल 46 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 42.3 फीसदी मत प्राप्त हुए.

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बंटवारे के बाद झामुमो का इस सीट पर कब्जा

झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह की लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के हाथ से निकल गई. इससे पहले लगातार तीन बार इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की. इन्हें कुल 49 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि भारतीय जनता पार्टी के रविंद्र कुमार पांडे को 28.5 फीसदी और जनता दल यूनाइटेड के इंद्रदेव महतो को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

2009 में बीजेपी ने फिर हासिल की जीत

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने गिरिडीह सीट पर अपना कब्जा किया और रविंद्र कुमार पांडे भारतीय जनता पार्टी के एक बार फिर इस सीट से विजयी हुए. रविंद्र कुमार पांडे को 37.7 फीसदी मत प्राप्त हुए, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 24 फीसदी और झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

2014 में मोदी लहर का असर

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर फिर रविंद्र कुमार पांडे भारतीय जनता पार्टी से विजयी हुए. इस बार रविंद्र कुमार पांडे को कुल 40.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.02 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के सभा अहमद को 5.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि आजू पार्टी के उमेश चंद्र मेहता को 5.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

2019 में आजसू ने दर्ज की जीत

2019 की हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट पर भारतीय जनता पार्टी और जो झारखंड स्टूडेंट यूनियन के बीच सीटों का समझौता हुआ था. जिसके तहत यह सीट आरजू के पास चली गई. आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी ने गिरिडीह सीट से 2019 में जीत हासिल की. इन्हें कुल 58.6 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.01 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

2024 की तैयारी

2024 की तैयारी के लिए एक बार फिर से राजनीतिक गोटी सेट होनी शुरू हो गई है. हालांकि झारखंड में आजसू पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच समझौता है, तो ऐसे में यह माना जा रहा है कि गिरिडीह की सीट इस बार भी आजसू के खाते में ही रहेगी. लेकिन गिरिडीह की जनता इस बार किसे अपना सांसद चुनती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

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1957 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव

1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी काजी एसए मतीन विजय हुए थे. छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को कुल 51.3 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागेश्वर प्रसाद सिंह को 30.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1962 नें ठाकुर बटेश्वर सिंह ने दर्ज की जीत

1962 में हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से स्वतंत्र पार्टी के ठाकुर बटेश्वर सिंह विजयी हुए थे. इन्हें कुल 39.8 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 36.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए थे.

1967 का लोकसभा चुनाव

1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला और अब्दुल इम्तियाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया. 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 33 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एम. एस. ओबराय को 31.02 और भारतीय जन संघ को 17.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.

1971 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत

1971 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चपलेंदु भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया और इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 37.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए. जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) के कृष्ण बल्लभ सहाय को 34.8 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 17.8 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1977 में कांग्रेस को मिली हार

1977 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. भारतीय लोक दल के रामदास सिंह को 56.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 29.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1980 में कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे जीते

1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बिहार के 21 में मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झारखंड बिहार संयुक्त के प्रदेश प्रभारी रहे बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जीत हुई थी. इन्हें 34.4 फीसदी वोट मिले थे. जबकि जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.9 फीसदी और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े विनोद बिहारी महतो को 18.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

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1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस की जीत

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पूरे देश में सहानुभूति की लहर थी, जिसमें एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवार को बदल दिया. बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जगह यहां से सरफराज अहमद को पार्टी ने टिकट दिया. सरफराज को यहां कुल 51.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार विनोद बिहारी महतो को 18.8 और भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 17.4 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1989 में बीजेपी ने पहली बार दर्ज की जीत

1989 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. वहीं निर्दलीय के तौर पर विनोद बिहारी महतो ने 31.5 फीसदी वोट प्राप्त किए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 26.9 फीसदी मत प्राप्त हुए.

1991 के चुनाव में झामुमो की जीत

1991 के लोकसभा चुनाव में विनोद बिहारी महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा से चुनाव लड़े. इससे पहले विनोद बिहारी महतो लगातार इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे और दूसरे स्थान पर रहते थे. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 1991 में विनोद बिहारी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें कुल 47.2 फीसदी वोट मिले. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 31.02 फीसदी मत प्राप्त हुए. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 15.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1996 में बीजेपी ने फिर दर्ज की जीत

1996 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने रविंद्र कुमार पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया था. भारतीय जनता पार्टी को 1996 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से 29.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. जबकि जनता दल को 20.7 फीसदी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (एम) को 16.3 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 13.7 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1998 में रविंद्र पांडे ने दूसरी बार दर्ज की जीत

1998 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से रविंद्र पांडे ने दूसरी बार इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. भारतीय जनता पार्टी को 1998 में 44.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 34 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1999 में बीजेपी ने फिर हासिल की जीत

1999 में भी लोकसभा उप चुनाव में फिर से भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज किया था भारतीय जनता पार्टी को 1999 में कुल 46 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 42.3 फीसदी मत प्राप्त हुए.

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बंटवारे के बाद झामुमो का इस सीट पर कब्जा

झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह की लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के हाथ से निकल गई. इससे पहले लगातार तीन बार इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की. इन्हें कुल 49 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि भारतीय जनता पार्टी के रविंद्र कुमार पांडे को 28.5 फीसदी और जनता दल यूनाइटेड के इंद्रदेव महतो को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

2009 में बीजेपी ने फिर हासिल की जीत

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने गिरिडीह सीट पर अपना कब्जा किया और रविंद्र कुमार पांडे भारतीय जनता पार्टी के एक बार फिर इस सीट से विजयी हुए. रविंद्र कुमार पांडे को 37.7 फीसदी मत प्राप्त हुए, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 24 फीसदी और झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

2014 में मोदी लहर का असर

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर फिर रविंद्र कुमार पांडे भारतीय जनता पार्टी से विजयी हुए. इस बार रविंद्र कुमार पांडे को कुल 40.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.02 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के सभा अहमद को 5.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि आजू पार्टी के उमेश चंद्र मेहता को 5.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

2019 में आजसू ने दर्ज की जीत

2019 की हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट पर भारतीय जनता पार्टी और जो झारखंड स्टूडेंट यूनियन के बीच सीटों का समझौता हुआ था. जिसके तहत यह सीट आरजू के पास चली गई. आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी ने गिरिडीह सीट से 2019 में जीत हासिल की. इन्हें कुल 58.6 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.01 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

2024 की तैयारी

2024 की तैयारी के लिए एक बार फिर से राजनीतिक गोटी सेट होनी शुरू हो गई है. हालांकि झारखंड में आजसू पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच समझौता है, तो ऐसे में यह माना जा रहा है कि गिरिडीह की सीट इस बार भी आजसू के खाते में ही रहेगी. लेकिन गिरिडीह की जनता इस बार किसे अपना सांसद चुनती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

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Last Updated : Mar 5, 2024, 10:14 PM IST
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