बिलासपुर: बिलासपुर शहर को लोग न्यायधानी कहते हैं. ये शहर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिलासपुर को प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर बनाने में सबसे अहम भूमिका किसकी है? दरअसल, बिलासपुर को प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर बनाने में यदि किसी का पहला योगदान रहा है तो वह बिलासपुर के सर्वस्व दानी पंडित देवकीनंदन दीक्षित का है. उन्होंने बिलासपुर नगर निगम को सैकड़ों एकड़ जमीन दान में दे दिया था. उन जमीनों की कीमत वर्तमान में हजारों करोड़ रुपए से भी अधिक होगी.
आइए आज हम आपको बताते हैं बिलासपुर के दानवीर स्व. पंडित देवनीनंदन दीक्षित के बारे में, जिन्होंने इस शहर को बेहतर बनाने के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया था.
पंडित देवकीनंदन ने दान कर दी करोड़ों की जमीन: दरअसल, बिलासपुर के पंडित देवकीनंदन दीक्षित ऐसे दानी व्यक्ति थे, जिन्होंने बिलासपुर की बेस कीमती इलाकों में करोड़ों रुपए की अपनी कीमती जमीन दान कर दी है. पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने इंसान के पैदा लेने से लेकर उनके मरने के बाद काम आने वाले आवश्यक चीजों के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया. स्कूल, अस्पताल, मुक्तिधाम जैसे जगह बनाने के लिए पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने अपनी जमीन दान की थी. स्व. देवकीनंदन ने अपनी वसीयत में सुई धागे से लेकर जितनी भी चीजें उनके पास थी, उसे दान कर दिया था. पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने नगर निगम को दान करते हुए अपनी जमीन पर अस्पताल, स्कूल और मुक्तिधाम बनाने के लिए कहा था. आज शहर का सबसे बड़ा मुक्तिधाम पंडित देवकीनंदन दीक्षित के दान किए जमीन पर बनाया गया है. वहीं, स्कूल और अस्पताल भी गरीबों और गरीबों के बच्चों के लिए काम आ रहा है.
गांव के मालगुजार थे देवकीनंदन: स्व. देवकीनंदन के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने बिलासपुर के जानकार अनिल तिवारी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "पंडित देवकीनंदन दीक्षित बिलासपुर जिले के कारी छापर गांव के मालगुजार थे. उनका चार भाई और दो बहन का परिवार था. पंडित देवकीनंदन दीक्षित का परिवार बिलासपुर के गोल बाजार में रहकर व्यवसाय करते थे. उनके हिस्से आई जमीनों को उन्होंने अपने रिश्तेदार और भाई-बहन को देने के बजाय गरीबों के लिए दान करना बेहतर समझा. एक समय था, जब बिलासपुर में पंडित देवकीनंदन दीक्षित आजादी के पहले अंग्रेज जैसा समानांतर सरकार जैसी व्यवस्था कर रहे थे. यानी सरकारी स्कूल, अस्पताल, मुक्तिधाम और कई ऐसी चीजों की व्यवस्था करती है, जिसे पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने बिलासपुर वालों के लिए स्वयं के खर्चे से व्यवस्था करना शुरू किया था. यही कारण है कि बिलासपुर के नागरिक पंडित देवकीनंदन दीक्षित से भली भांति परिचित हैं. उनके किए दान को बिलासपुरवासी कभी भूल नहीं पाएंगे."
लड़कियों के स्कूल के लिए जमीन दिया दान: पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने लड़कियों को पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए दो जगह जमीन दान की है. बिलासपुर के खपरगंज में उन्होंने प्राइमरी स्कूल के लिए अपनी जमीन दान की है. इसके अलावा देवकीनंदन दीक्षित चौक के पीछे कई एकड़ की जमीन को उन्होंने मिडिल और हाई स्कूल बनाने के लिए दान किया था, जहां आज भी लड़कियां पढ़ाई करती हैं. दोनों ही जमीन उन्होंने लड़कियों की पढ़ाई के लिए दान की थी. वह भी इसलिए क्योंकि उस समय लड़कियों को पढ़ने के लिए परिवार वाले दूर नहीं भेजते थे और उनकी पढ़ाई बंद कर दी जाती थी. इसे देखते हुए उन्होंने जमीन दान की. जब इस पर स्कूल बना तो आसपास की हजारों लड़कियां यहां शिक्षा लेकर आज अपना बेहतर जीवन की रही है.
कारी छापर गांव की जमीन पर हो गया है कब्जा: बताया जा रहा है कि पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने अपने गांव कारी छापर की 65 एकड़ जमीन नगर निगम को दान की है. यहां नगर निगम कई बार अलग-अलग योजना तैयार कर निर्माण करने की सोचता रहा, लेकिन ग्रामीणों द्वारा वह बेजा कब्जा कर लिया गया है, जिसे हाल ही में हुए सामान्य सभा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने मुक्त करने की मांग की है. इसका प्रस्ताव पास हो गया है. नगर निगम यहां शहर विकास के लिए योजना तैयार कर निर्माण काम करवाएगी. पंडित देवकीनंदन दीक्षित की ओर से दिए गए जमीनों पर आज आम जनता के लिए काम किया जा रहा है. करोड़ अरबों रुपए की उनकी जमीन आज भी आम जनता को लाभ पहुंचा रही है.