पन्ना। पन्ना राजघराने की ये ऐतिहासिक बावड़ी नगर के बीचों-बीच जल संसाधन कॉलोनी में स्थित है, जो धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोती जा रही है. प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐतिहासिक बावड़ी जर्जर होती जा रही है. बावड़ी में स्थापत्य कला का बेजोड़ संगम देखने को मिलता है. बावड़ी में ऊपर से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं और बावड़ी दो से तीन खंडो में विभाजित है. जिसमें ऊपर से बावड़ी में घूमने के लिए पुराने समय का रैम्प बना हुआ है. इस बावड़ी की लंबाई लगभग 200 से 300 फुट एवं चौड़ाई लगभग 100 फुट के करीब है. बावड़ी के चारों तरफ अब मकान भी बन चुके हैं जिससे अतिक्रमण की चपेट में भी आ चुकी है.
प्राकृतिक जल स्रोत की संभावना
लोग बताते हैं कि यदि बावड़ी का प्रशासन संरक्षण कर ले तो इस बावड़ी से करीब 2 से 3 मोहल्ले में जल सप्लाई किया जा सकता है क्योंकि बावड़ी इतनी विशाल है और अभी भी पानी से भरी हुई है. संरक्षण के अभाव में गंदगी एवं काई जम गई है. बावड़ी की नीचे उतरने की दीवाल भी ढह गई है. आसपास के लोग बावड़ी में रोजमर्रा का कचरा भी डालने लगे हैं, जिससे बावड़ी खराब होती जा रही है. प्रशासन की उदासीनता से बावड़ी की स्थिति धीरे-धीरे दिनों दिन जर्जर होती जा रही है.
'सीएम हेल्पलाइन में लगा चुके हैं अर्जी'
सामाजिक कार्यकर्ता मनीष मिश्रा ने बताया कि "बावड़ी की सफाई के लिए उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में अर्जी लगाई थी, जिसके बाद बावड़ी की प्रशासन द्वारा सफाई की गई थी. बावड़ी में कई पौधे उग गए थे उनको प्रशासन द्वारा साफ करवाया गया था, इसके बाद से बावड़ी की प्रशासन ने कोई देखरेख नहीं की. जिसके कारण बावड़ी की एक बहुत बड़ी दीवाल भी गिर गई है और बावड़ी का घुमावदार छज्जा भी धीरे-धीरे गिर रहा है."
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बावड़ी में है स्थापत्य कला का संगम
इतिहास के जानकार बताते हैं कि "बावड़ी पन्ना राजवंश के द्वारा बनवाई गई थी और बावड़ी में उस समय राजघराने के लोग जल क्रीड़ा किया करते थे. बावड़ी में स्थापत्य कला का संगम मिलता है और पन्ना की खदानों से निकले हुए पत्थरों की नक्काशी देखते ही बनती है. बावड़ी तीन खंडो में बनी हुई है. इसमें उतरने के लिये घुमावदार सीढ़ियां हैं एवं नहाने के लिए अलग रास्ता है. बावड़ी में घूमने के लिए अलग रास्ता है उस समय व्यवस्थित योजना से इस बावड़ी का निर्माण किया गया था."