हिसार: हिसार के प्रगतिशील किसान वीरेंद्र साहू पांच फसलों की 41 वैरायटी पर पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं. इन वैरायटी के पौधे 12 राज्यों में जा रही है. वे लगातार सैकड़ों युवा किसानों को ट्रैनिंग दे चुके है. साथ ही युवाओं को जागरुक करके खेती की अच्छी तकनीके बारे में बता कर अच्छी आय का जरिया दे रहे हैं.
कृषि मंत्री कर चुके हैं सम्मानित: यही कारण है कि किसान दिवस के मौके पर हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने हिसार के गिगोरानी के रहने वाले किसान वीरेंद्र साहू को सम्मानित किया. पर्यावरण संरक्षण के लिए वीरेन्द्र स्कूल के बच्चों को मुफ्त में पौधे बांटते हैं. वीरेंद्र सालों से रेतीले टिल्लों इंडो इजराइल तकनीक से किन्नू, अमरूद, तरबूज और खरबूजा की खेती कर रहे हैं. इससे उनके आसपास के किसानों को भी अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. वीरेद्र की ओर से तैयार की गई नर्सरी को नेशनल होरटीकल्चर बोर्ड एनएचबी से तीन स्टार हासिल है. उनकी वर्णिका फ्रूट नर्सरी में तैयार पौधे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, हिमाल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, छतीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तिरुपति और दिल्ली तक जा रहे हैं.
कई राज्यों में भेजे जा रहे पौधे: राजस्थान की सीमा से दस किलो मीटर दूर होने पर सिंचाई के पानी की कम व्यवस्था में भी वीरेद्र साहू बागवानी को कारगर करके दिखाए. उनके नर्सरी में तैयार पांच बागवानी फसलों के चालीस से अधिक वैरायटी की डिमांड देश पर के बाहर राज्य में है. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में राज्य स्तरीय किसान मेले में कृषि मंत्री ने वीरेद्र को सम्मानित किया है. उनकी वर्णिका फूट नर्सरी में तैयार पौधे कई राज्यों में पहुंच रही है. उनको फसल विविधिकरण और उच्च तकनीक नर्सरी के क्षेत्र में हरियाणा सरकार से राज्य स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है.
टपका विधि से होती है सिंचाई: इसके अलावा अटल भूजल योजना के तहत वीरेन्द्र पानी की बचत को लेकर भी किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. वीरेन्द्र साहू के बाग में इंडो इजराइल तकनीक से टपका विधि से सिंचाई होती है. इस तरह से सिंचाई से एक चौथाई पानी की जरूरत पड़ती रहती है. इसके साथ ही वे मल्चिंग विधि को भी अपना रहे हैं. इसमें धान की पराली या घास की एक परत खेत में पहले नीचे बिछाई जाती है, ताकि ज्यादा गर्मी में पानी का वापसी कम हो. नर्सरी में नट हाऊस पोली हाऊस बनाए गए हैं. बाग पूरे नहीं लगते, तब तक इंटर क्रॉपिंग से खरबूजा और तरबूज की फसलें ली जाती है.
वीरेन्द्र के नर्सरी को मिले हैं थ्री स्टार: वीरेन्द्र साहू के द्वारा तैयार की गई नर्सरी को नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड यानी कि एनएचबी से तीन स्टार हासिल है. यहां तैयार सीड लैस किन्नू की हरियाणा के अलावा पंजाब और राजस्थान में काफी डिमांड रहती है. पंजाब यूनिवस्टी से सीडलैस किन्नू लाकर उन्होंने यहां नर्सरी में पौध तैयार किए हैं. नर्सरी में नीबू की बारह वैरायटी, माल्टी की बारह वैरायटी, मौसमी की दस वैरायटी, सिडलेस किन्नू की एक वैरायटी, अमरुद की छह वैरायटी के पौधे इस समय उपलब्ध हैं.
आस-पास के गांव के अलावा राजस्थान और पंजाब के किसानों को भी ट्रेनिंग देता हूं. मैंने खेती के तरीके में बदलाव किया है. ताकि अलग-अलग वैरायटी के फलों की खेती आसानी से की जा सके. आज के युवा किसान खेती में बदलाव कर सकते हैं. आज से समय में किसानों के पास सारी सुविधाएं हैं. उनको बागवानी अपनानी चाहिए. मेरी अपील है कि युवा प्रशिक्षण लेकर खेती में अपना भविष्य अपनाए. ताकि लोग शहर नहीं बल्कि गांव का रूख करे. -वीरेन्द्र साहू, प्रगतिशील किसान
27 एकड़ में है बाग: वीरेन्द्र साहू ने बताया कि हिसार के डीएन कॉलेज से साल 1991 में उन्होंने एमए हिन्दी से पढ़ाई पूरी की. इसके बाद साल 2002 में खेत में बागवनी करने की ठानी. पहले उनके पास जगह की कमी थी. उस समय महत सात एकड़ में उन्होंने अमरूद का बाग लगाया. अब 27 एकड़ जमीन में वो किन्नू, अमरूद, तरबूज और खरबूज का बाग लगा रखे हैं. उनके गांव गिगोरानी के अलावा आस-पास के गांव चडीवाल, सहूवाला, दडबा, रुपावास जमाल में भी उनसे किसान प्रशिक्षण ले कर बागवानी कर रहे हैं.
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