छतरपुर: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ''हिन्दू मंदिरों में पुजारियों की जात-पात खत्म होनी चाहिए. किसी भी जाति का व्यक्ति पुजारी बन सकता है, सिर्फ उसे शास्त्रों का ज्ञान होना जरूरी है.'' बाबा बागेश्वर आज एक निजी होटल में प्रेस कर अपनी पदयात्रा की जानकारी देते कई विषयों पर बोल रहे थे. सनातन हिन्दू एकता पद यात्रा से पहले धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, ''इस यात्रा का मकसद जात-पात के भेद को खत्म करने और हिन्दू बनाने का प्रयास करना है.''
बाबा ने बताया पदयात्रा का उद्देश्य
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ''हमारा उद्देश्य भारत को भव्य बनाना है. इस देश में सबसे बड़ी कुरीति है जात-पात. हम गांव-गांव पैदल जाएंगे और हिंदुओं को एकजुट करेंगे. भारत सभी का है. आज़ादी की लड़ाई में सबके पूर्वजों ने अपने प्राणों को न्योछावर किया. हिंदुत्व का मतलब है जीवन जीने की व्यवस्था. 'हिंदू' का मतलब मजहबी लड़ाई नहीं. हिंदू का मतलब समानता है. हम गांव-गांव जाएंगे, पिछड़ों को गले लगाएंगे और भारत से जात-पात मिटाएंगे.''
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कहा, ''इस देश ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होते देखा. बांग्लादेश के हिंदुओं पर अत्याचार हुआ तो वे भारत आ रहे हैं. यदि भारत के हिंदुओं पर अत्याचार हुआ तो वे कहां जाएंगे?'' कहा कि, ''आज हम अल्पसंख्यक होने की स्थिति में आ गए हैं. इसलिए हम हिंदू समाज को इकट्ठा करने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं.''
वक्फ बोर्ड की तर्ज पर बने सनातन बोर्ड
वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ''वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए अन्यथा वक्फ बोर्ड को भी खत्म किया जाना चाहिए. हमारे ऋषि-मुनियों, साधु-संतों ने कहा है, 'वसुधैव कुटुम्बकम!', 'अमृतस्य पुत्राः !', 'सर्वे भवन्तु सुखिनः!', 'सबका कल्याण हो !', 'विश्व में शांति हो.' अन्य देशों के प्रति विदेशों की दृष्टि व्यापार की है, परंतु भारत की दृष्टि परिवार की है. वसुधैव कुटुम्बकम्. हिन्दू वो है जो सबका कल्याण चाहता है. इस पद यात्रा में ग्रामीण जन-संवाद व जन-जागृति अभियान चलाया जाएगा.''