शिमला: हिमाचल में चुनाव का शोर खत्म हो चुका है. आचार संहिता भी परिणामों के बाद हटा ली गई है. परिणाम सामने आने के बाद अब हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार के सामने अधूरे काम पूरे करने की चुनौती है. कर्मचारियों व पेंशनर्स की देनदारी के अलावा बोर्ड व निगम के कर्मचारियों के लिए ओपीएस के वादे पर अमल करने की चुनौती है. यहां बिंदुवार जानिए उन कामों की सूची, जिन्हें पूरा करने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर दबाव होगा.
- कर्मचारियों के बकाया डीए व एरियर के भुगतान को लेकर जल्द करना होगा फैसला.
- महिलाओं को 1500 रुपए की गारंटी पर अमल जल्द करना होगा.
- बिजली बोर्ड और निगम के कर्मचारी भी ओपीएस के इंतजार में हैं.
- हमीरपुर में राज्य चयन आयोग को पूरी तरह से फंक्शनल करने की चुनौती.
- बेरोजगार युवा नई भर्तियों की प्रतीक्षा में हैं.
- वैसे तो कांग्रेस ने हर साल एक लाख सरकारी रोजगार का वादा किया था, लेकिन अभी विभागों में रूटीन की भर्तियां भी शुरू हो जाएं तो कुछ राहत मिलेगी. इस मोर्चे पर सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है.
- कर्ज के बिना खर्च की गाड़ी खींचना कठिन है. विकास कार्यों के लिए धन जुटाना सरकार के सामने चुनौती है.
- बरसात का सीजन आने वाला है। पिछली तबाही से सबक लेकर इस सीजन के लिए तैयारियां करनी हैं, ताकि जान व माल का नुकसान न्यूनतम हो सके.
- हिमकेयर योजना के तहत अस्पतालों की बकाया रकम को चुकाने की चुनौती.
- सोलहवें फाइनेंस कमीशन के हिमाचल दौरे की तैयारी.
राजनीति के मोर्चे पर चुनौतियां
- चुनाव के दौरान सीएम ने बागी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. सुधीर शर्मा ने पलटवार करते हुए सीएम को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था. बिकने वाले आरोप पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को घेरा जाएगा.
- सीपीएस मसले पर हाईकोर्ट से आने वाले फैसले पर भी नजर रहेगी.
- लोकसभा चुनाव में 61 निर्वाचन क्षेत्रों में पिछडऩे पर सरकार के भीतर सवाल उठेंगे.
- आखिर नादौन में क्यों नहीं मिली लीड, ये सवाल भी उठेगा.
- तीन उपचुनाव फिर से सिर पर आने वाले हैं. कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन व चुनाव जीतने की चुनौती.