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'मंगल' को सीतारमण के पिटारे पर हिमाचल की नजरें, कांगड़ा एयरपोर्ट के लिए ₹3500 करोड़ और ब्याज मुक्त लोन की उम्मीद - HP expectation from Union budget

Himachal expectations from budget: हिमाचल सरकार को केंद्र सरकार के बजट से इस बार खासी उम्मीदें हैं. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात कर प्रदेश की सात मांगों को उठाया था.

UNION BUDGET
पीएम मोदी, सीएम सुक्खू और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (सोशल मीडिया)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 10:25 PM IST

शिमला: केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनी है. दिलचस्प तथ्य ये है कि निर्मला सीतारमण फिर से वित्त मंत्री हैं. इधर, हिमाचल सरकार को भी मंगलवार के बजट से मंगल की उम्मीदें हैं. हिमाचल को पर्यटन सेक्टर में उछाल के लिए हवाई कनेक्टिविटी की सख्त जरूरत है. कांगड़ा के गगल स्थित एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण होना है.

राज्य सरकार ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपये की आस केंद्र से लगाई है. इसके अलावा ब्याज मुक्त लोन की भी उम्मीद है. ये लोन आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मांगा गया है. इसके अलावा रोपवे परियोजनाओं व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बजट की आस है. रूटीन में कर्मचारियों को टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि बजट तैयार करने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करता है और उनका पक्ष जानता है.

हिमाचल से इस बार सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे. उनके स्थान पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात कर सात मांगों को उठाया था. रेल कनेक्टिविटी व इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा सेब उत्पाद शुल्क से जुड़े मामले हिमाचल की प्राथमिकताएं हैं. मंगलवार को निर्मला सीतारमण पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. ऐसे में हिमाचल को केंद्र से उदार सहायता की आशा है.

गगल में एयरपोर्ट सुरक्षा के लिए भी जरूरी

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का मानना है कि कांगड़ा में गगल एयरपोर्ट सुरक्षा की दृष्टि से भी जरूरी है. ये सामरिक महत्व का एयरपोर्ट साबित होगा. इसके निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण को एक बड़ी रकम की जरूरत है. ऐसे में बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान होना चाहिए. इसके अलावा आपदा के दौरान हिमाचल प्रदेश को भारी नुकसान सहना पड़ा है.

पिछले मानसून सीजन में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है. राज्य सरकार को बजट में ब्याज मुक्त लोन की आशा है. हिमाचल सरकार चाहती है कि उसे तीन हजार करोड़ रुपये के करीब ब्याज मुक्त लोन दिया जाए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार इस बारे में पहले कैपिटल इन्वेस्टमेंट की मांग कर चुकी है. इस मांग में गगल एयरपोर्ट के लिए 3500 करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही गई है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने तर्क दिया है कि गगल एयरपोर्ट पर्यटन की दृष्टि से ही अहम नहीं है, बल्कि देश के लिए ये सामरिक महत्व का प्रोजेक्ट साबित होगा. यहां बता दें कि राज्य सरकार ने कांगड़ा को हिमाचल की पर्यटन राजधानी बनाने का फैसला लिया है. इसके लिए कई करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट तैयार किए जाने हैं. इस परियोजना के लिए गगल एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती है. बाकी औपचारिकताएं पूरी हैं और अब केवल मुआवजे के लिए धन की आवश्यकता है.

इसके अलावा हिमाचल सरकार ने पर्यटन सेक्टर के लिए रोपवे निर्माण पर भी फोकस किया हुआ है. इसके लिए हिमाचल सरकार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत फंडिंग का प्रस्ताव दिया हुआ है. ये एक पॉलिसी डिसीजन के तहत आएगा, ऐसे में सिर्फ केंद्रीय बजट ही इसके लिए प्रावधान कर सकता है.

क्यों चाहिए ब्याज मुक्त लोन?

हिमाचल सरकार को मंगलवार के बजट से ब्याज मुक्त लोन की उम्मीद है. यहां गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय केंद्र सरकार ने राज्यों को ब्याज मुक्त लोन की सुविधा दी थी, ताकि कोरोना का सामना करने में पैसे की कमी आड़े न आए और इकोनॉमी ध्वस्त न हो जाए. चूंकि कोरोना भी एक आपदा थी और मानसून सीजन में तबाही भी आपदा का रूप है, ऐसे में राज्य सरकार चाहती है कि उन्हें ब्याज मुक्त लोन दिया जाए.

इसके लिए राज्य ने 3000 करोड़ रुपये लोन की मांग की. राज्य सरकार ने कहा कि इस राशि से आपदा में हुए नुकसान की भरपाई में काफी मदद मिलेगी. ब्याज मुक्त लोन से जुड़ा फैसला भी बजट के माध्यम से ही होगा. राज्य के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान जब केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले थे तो उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों को नाबार्ड के माध्यम से फंड किए जाने की मांग उठाई थी.

हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े को डेढ़ हजार की संख्या तक लाना चाहती है. हाल ही में राज्य सरकार ने 327 बसों के लिए वैश्विक निविदाएं भी जारी की हैं. इसके लिए भारी-भरकम रकम चाहिए. राज्य सरकार की मांग है कि केंद्रीय बजट के माध्यम से इसका इंतजाम हो जाए जहां तक कर्मचारियों व मध्यम वर्ग की बात है इस वर्ग को टैक्स स्लैब में छूट बढ़ने की आस है.

बागवानी सेक्टर को सेब के उत्पाद शुल्क को सौ फीसदी करने की उम्मीद है. इसके अलावा रेल नेटवर्क के लिए भी किसी योजना की उम्मीद है. हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में अंब-अंदौरा-हमीरपुर रेल लाइन का प्रोजेक्ट बजट की राह देख रहा है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का कहना है कि वैसे तो केंद्रीय बजट में स्टेट स्पेसिफिक कुछ खास नहीं होता, लेकिन राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट व राज्य विशेष की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार राज्य की मांगों पर विचार कर सकती है.

हिमाचल को पर्यटन, हॉर्टिकल्चर व इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर उम्मीदें रखनी चाहिए. गगल एयरपोर्ट के लिए यदि केंद्र से मदद बजट के रूप में मिलती है तो ये राज्य के लिए लाभ का सौदा होगा. कारण ये है कि हिमाचल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसके अलावा रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए पहाड़ी राज्य के हिसाब से उम्मीदें हैं. मानसून सीजन में यहां सबसे अधिक नुकसान सड़कों, पुलों, हाईवे व सिंचाई योजनाओं को होता है. देखना है कि मंगलवार को केंद्रीय बजट की दशा व दिशा क्या रहती है.

ये भी पढ़ें: ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंज मेटीरियल पर जीएसटी कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस

शिमला: केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनी है. दिलचस्प तथ्य ये है कि निर्मला सीतारमण फिर से वित्त मंत्री हैं. इधर, हिमाचल सरकार को भी मंगलवार के बजट से मंगल की उम्मीदें हैं. हिमाचल को पर्यटन सेक्टर में उछाल के लिए हवाई कनेक्टिविटी की सख्त जरूरत है. कांगड़ा के गगल स्थित एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण होना है.

राज्य सरकार ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपये की आस केंद्र से लगाई है. इसके अलावा ब्याज मुक्त लोन की भी उम्मीद है. ये लोन आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मांगा गया है. इसके अलावा रोपवे परियोजनाओं व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बजट की आस है. रूटीन में कर्मचारियों को टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि बजट तैयार करने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करता है और उनका पक्ष जानता है.

हिमाचल से इस बार सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे. उनके स्थान पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात कर सात मांगों को उठाया था. रेल कनेक्टिविटी व इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा सेब उत्पाद शुल्क से जुड़े मामले हिमाचल की प्राथमिकताएं हैं. मंगलवार को निर्मला सीतारमण पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. ऐसे में हिमाचल को केंद्र से उदार सहायता की आशा है.

गगल में एयरपोर्ट सुरक्षा के लिए भी जरूरी

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का मानना है कि कांगड़ा में गगल एयरपोर्ट सुरक्षा की दृष्टि से भी जरूरी है. ये सामरिक महत्व का एयरपोर्ट साबित होगा. इसके निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण को एक बड़ी रकम की जरूरत है. ऐसे में बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान होना चाहिए. इसके अलावा आपदा के दौरान हिमाचल प्रदेश को भारी नुकसान सहना पड़ा है.

पिछले मानसून सीजन में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है. राज्य सरकार को बजट में ब्याज मुक्त लोन की आशा है. हिमाचल सरकार चाहती है कि उसे तीन हजार करोड़ रुपये के करीब ब्याज मुक्त लोन दिया जाए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार इस बारे में पहले कैपिटल इन्वेस्टमेंट की मांग कर चुकी है. इस मांग में गगल एयरपोर्ट के लिए 3500 करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही गई है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने तर्क दिया है कि गगल एयरपोर्ट पर्यटन की दृष्टि से ही अहम नहीं है, बल्कि देश के लिए ये सामरिक महत्व का प्रोजेक्ट साबित होगा. यहां बता दें कि राज्य सरकार ने कांगड़ा को हिमाचल की पर्यटन राजधानी बनाने का फैसला लिया है. इसके लिए कई करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट तैयार किए जाने हैं. इस परियोजना के लिए गगल एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती है. बाकी औपचारिकताएं पूरी हैं और अब केवल मुआवजे के लिए धन की आवश्यकता है.

इसके अलावा हिमाचल सरकार ने पर्यटन सेक्टर के लिए रोपवे निर्माण पर भी फोकस किया हुआ है. इसके लिए हिमाचल सरकार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत फंडिंग का प्रस्ताव दिया हुआ है. ये एक पॉलिसी डिसीजन के तहत आएगा, ऐसे में सिर्फ केंद्रीय बजट ही इसके लिए प्रावधान कर सकता है.

क्यों चाहिए ब्याज मुक्त लोन?

हिमाचल सरकार को मंगलवार के बजट से ब्याज मुक्त लोन की उम्मीद है. यहां गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय केंद्र सरकार ने राज्यों को ब्याज मुक्त लोन की सुविधा दी थी, ताकि कोरोना का सामना करने में पैसे की कमी आड़े न आए और इकोनॉमी ध्वस्त न हो जाए. चूंकि कोरोना भी एक आपदा थी और मानसून सीजन में तबाही भी आपदा का रूप है, ऐसे में राज्य सरकार चाहती है कि उन्हें ब्याज मुक्त लोन दिया जाए.

इसके लिए राज्य ने 3000 करोड़ रुपये लोन की मांग की. राज्य सरकार ने कहा कि इस राशि से आपदा में हुए नुकसान की भरपाई में काफी मदद मिलेगी. ब्याज मुक्त लोन से जुड़ा फैसला भी बजट के माध्यम से ही होगा. राज्य के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान जब केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले थे तो उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों को नाबार्ड के माध्यम से फंड किए जाने की मांग उठाई थी.

हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े को डेढ़ हजार की संख्या तक लाना चाहती है. हाल ही में राज्य सरकार ने 327 बसों के लिए वैश्विक निविदाएं भी जारी की हैं. इसके लिए भारी-भरकम रकम चाहिए. राज्य सरकार की मांग है कि केंद्रीय बजट के माध्यम से इसका इंतजाम हो जाए जहां तक कर्मचारियों व मध्यम वर्ग की बात है इस वर्ग को टैक्स स्लैब में छूट बढ़ने की आस है.

बागवानी सेक्टर को सेब के उत्पाद शुल्क को सौ फीसदी करने की उम्मीद है. इसके अलावा रेल नेटवर्क के लिए भी किसी योजना की उम्मीद है. हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में अंब-अंदौरा-हमीरपुर रेल लाइन का प्रोजेक्ट बजट की राह देख रहा है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का कहना है कि वैसे तो केंद्रीय बजट में स्टेट स्पेसिफिक कुछ खास नहीं होता, लेकिन राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट व राज्य विशेष की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार राज्य की मांगों पर विचार कर सकती है.

हिमाचल को पर्यटन, हॉर्टिकल्चर व इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर उम्मीदें रखनी चाहिए. गगल एयरपोर्ट के लिए यदि केंद्र से मदद बजट के रूप में मिलती है तो ये राज्य के लिए लाभ का सौदा होगा. कारण ये है कि हिमाचल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसके अलावा रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए पहाड़ी राज्य के हिसाब से उम्मीदें हैं. मानसून सीजन में यहां सबसे अधिक नुकसान सड़कों, पुलों, हाईवे व सिंचाई योजनाओं को होता है. देखना है कि मंगलवार को केंद्रीय बजट की दशा व दिशा क्या रहती है.

ये भी पढ़ें: ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंज मेटीरियल पर जीएसटी कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस

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