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58,444 करोड़ वाले बजट में गांव-किसान की चिंता, मनरेगा श्रमिक से मेयर तक सभी की झोली में मानदेय बढ़ोतरी का सुख - हिमाचल प्रदेश बजट सत्र 2024

Himachal Pradesh Budget Session 2024, Himachal Budget: हिमाचल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया. इस बीच उन्होंने प्रदेश के लिए 58 हजार 444 करोड़ रुपये का बजट सामने रखा. सीएम सुक्खू ने बजट में मनरेगा मजदूर, किसान और पर्यटन समेत कई मुद्दों को प्राथमिकता के तौर पर रखा. यह बजट मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबोधित करने वाला है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Budget
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 8:46 PM IST

शिमला: आर्थिक संकट में फंसे छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में इस बार के बजट का आकार 58444 करोड़ रुपए का है. ये पिछले बजट से 5031 करोड़ अधिक है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल के दूसरे बजट में व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने का दावा किया है. मनरेगा श्रमिकों से लेकर शहरी निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों, जिला परिषद प्रतिनिधियों सहित आशा वर्कर, वॉटर कैरियर तक सभी वर्गों की झोली में मानदेय बढ़ोतरी के तौर पर कुछ न कुछ राहत दी गई है. यह बजट मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबोधित करने वाला है. पशुपालकों के लिए दूध में न्यूनतम समर्थन मूल्य का तोहफा है तो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस उपाय दिखाई देते हैं. कुल 2.32 घंटे के बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बेशक कई बार पानी पीकर सूखे गले को तर किया, लेकिन वित्तीय स्थिति को संभालने और सुधारने सहित रोजगार सृजन के मोर्चे पर ये बजट कुछ खास नहीं कहता है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीमित संसाधनों में सभी वर्गों को लुभाने की कोशिश की है. उदाहरण के लिए पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद के अध्यक्ष से लेकर ग्राम पंचायत सदस्य तक के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. इसके अलावा आशा वर्कर, आंगनवाड़ी सहायिकाओं, सिलाई अध्यापिकाओं, आउटसोर्स कर्मियों, एसएमसी अध्यापकों आदि के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. दिहाड़ी भी अब चार सौ रुपए की गई है. सरकार का फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का दिखाई दिया. पशुपालकों को सरकार ने दूध खरीद में एमएसपी का ऐलान किया है. गाय के दूध को अब 45 रुपए में प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व वादा गाय व भैंस के दूध को क्रमश: 80 व 100 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदने की बात कही गई थी.

सरकार ने पुलिस कर्मियों की डाइट मनी को लेकर बरसों से चली आ रही बढ़ोतरी की मांग को पूरा किया है. पहले उन्हें 210 रुपए डाइट मनी मिलती थी, जिसे बढ़ाकर एक हजार रुपए किया गया है. खिलाड़ियों पर भी ओलंपिक, एशियन गेम्स व कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल लाने पर उल्लेखनीय सम्मान राशि का ऐलान किया गया. इस बजट की एक खास बात दिव्यांगों के लिए अति आधुनिक सुविधाओं वाले शिक्षण संस्थान खोलने से जुड़ी है. ये संस्थान कंडाघाट में खोला जाएगा. इसके अलावा वाल्मीकि समाज के लिए भी अच्छी घोषणाएं की गई हैं.

कर्मचारी वर्ग को डीए व एरियर की आस थी. बजट में चार फीसदी डीए देने का ऐलान किया गया है. इससे खजाने पर 580 करोड़ का बोझ पड़ेगा. एरियर के लिए भी चरणबद्ध भुगतान का वादा किया गया है. जहां तक सवाल राज्य की वित्तीय स्थिति का है तो हिमाचल को कर्ज से मुक्ति मिलती नहीं दिखाई दे रही है. राजकोषीय घाटा उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. सौ रुपए को मानक मानें तो बजट की राशि में से वेतन पर 25 रुपए, पेंशन पर 17 रुपए, ब्याज अदायगी पर 11 रुपए, लोन अदायगी पर 9 रुपए ग्रांट पर 10 रुपए खर्च करने के बाद विकास के लिए महज 28 रुपए बचेंगे. ये विकट स्थितियां हैं. cबजट पेश करने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से चर्चा में दावा किया कि 2032 तक हिमाचल को देश का सबसे संपन्न राज्य बनाया जाएगा, लेकिन इसका रोडमैप क्या होगा, वो देखने वाली बात है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस बजट को दिशाहीन व दृष्टिहीन बताया है. वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने बजट को हिमाचल के विकास की राह में मील पत्थर करार दिया है.

ये भी पढ़ें- Himachal Budget 2024-25: 87,788 करोड़ का कर्ज, 58,444 करोड़ का बजट, 42% सैलरी और पेंशन पर होगा खर्च, 28% से विकास कार्य

शिमला: आर्थिक संकट में फंसे छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में इस बार के बजट का आकार 58444 करोड़ रुपए का है. ये पिछले बजट से 5031 करोड़ अधिक है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल के दूसरे बजट में व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने का दावा किया है. मनरेगा श्रमिकों से लेकर शहरी निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों, जिला परिषद प्रतिनिधियों सहित आशा वर्कर, वॉटर कैरियर तक सभी वर्गों की झोली में मानदेय बढ़ोतरी के तौर पर कुछ न कुछ राहत दी गई है. यह बजट मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबोधित करने वाला है. पशुपालकों के लिए दूध में न्यूनतम समर्थन मूल्य का तोहफा है तो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस उपाय दिखाई देते हैं. कुल 2.32 घंटे के बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बेशक कई बार पानी पीकर सूखे गले को तर किया, लेकिन वित्तीय स्थिति को संभालने और सुधारने सहित रोजगार सृजन के मोर्चे पर ये बजट कुछ खास नहीं कहता है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीमित संसाधनों में सभी वर्गों को लुभाने की कोशिश की है. उदाहरण के लिए पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद के अध्यक्ष से लेकर ग्राम पंचायत सदस्य तक के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. इसके अलावा आशा वर्कर, आंगनवाड़ी सहायिकाओं, सिलाई अध्यापिकाओं, आउटसोर्स कर्मियों, एसएमसी अध्यापकों आदि के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. दिहाड़ी भी अब चार सौ रुपए की गई है. सरकार का फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का दिखाई दिया. पशुपालकों को सरकार ने दूध खरीद में एमएसपी का ऐलान किया है. गाय के दूध को अब 45 रुपए में प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व वादा गाय व भैंस के दूध को क्रमश: 80 व 100 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदने की बात कही गई थी.

सरकार ने पुलिस कर्मियों की डाइट मनी को लेकर बरसों से चली आ रही बढ़ोतरी की मांग को पूरा किया है. पहले उन्हें 210 रुपए डाइट मनी मिलती थी, जिसे बढ़ाकर एक हजार रुपए किया गया है. खिलाड़ियों पर भी ओलंपिक, एशियन गेम्स व कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल लाने पर उल्लेखनीय सम्मान राशि का ऐलान किया गया. इस बजट की एक खास बात दिव्यांगों के लिए अति आधुनिक सुविधाओं वाले शिक्षण संस्थान खोलने से जुड़ी है. ये संस्थान कंडाघाट में खोला जाएगा. इसके अलावा वाल्मीकि समाज के लिए भी अच्छी घोषणाएं की गई हैं.

कर्मचारी वर्ग को डीए व एरियर की आस थी. बजट में चार फीसदी डीए देने का ऐलान किया गया है. इससे खजाने पर 580 करोड़ का बोझ पड़ेगा. एरियर के लिए भी चरणबद्ध भुगतान का वादा किया गया है. जहां तक सवाल राज्य की वित्तीय स्थिति का है तो हिमाचल को कर्ज से मुक्ति मिलती नहीं दिखाई दे रही है. राजकोषीय घाटा उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. सौ रुपए को मानक मानें तो बजट की राशि में से वेतन पर 25 रुपए, पेंशन पर 17 रुपए, ब्याज अदायगी पर 11 रुपए, लोन अदायगी पर 9 रुपए ग्रांट पर 10 रुपए खर्च करने के बाद विकास के लिए महज 28 रुपए बचेंगे. ये विकट स्थितियां हैं. cबजट पेश करने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से चर्चा में दावा किया कि 2032 तक हिमाचल को देश का सबसे संपन्न राज्य बनाया जाएगा, लेकिन इसका रोडमैप क्या होगा, वो देखने वाली बात है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस बजट को दिशाहीन व दृष्टिहीन बताया है. वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने बजट को हिमाचल के विकास की राह में मील पत्थर करार दिया है.

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