शिमला: सुख की सरकार के लिए साल 2024 एक साथ कई सियासी दुख लेकर आया है. अच्छे-खासे बहुमत से सरकार चला रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व को पहला बड़ा झटका राज्यसभा चुनाव में हार के रूप में मिला. उसके बाद कांग्रेस में ऐसी कलह और खींचतान मची कि सियासी लड़ाई मुहावरेदार हो गई. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने क्रॉस वोट करने वाले अपने ही दल के छह नेताओं को काले नाग की संज्ञा दे दी. उन्होंने कहा कि काले नागों ने पार्टी को डसा है. इसके जवाब में सुधीर शर्मा ने परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि नाग केकड़ों से अच्छे हैं और महादेव के गले के हार हैं. वैसे हिमाचल की सियासत में इस तरह के वार-पलटवार कोई पहली बार नहीं हो रहे, लेकिन जिस तरह के तीखे तंज कसे जा रहे हैं, वो हैरत में डालते हैं. इस समय हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट के दो मोर्चे खुले हैं. एक मोर्चा कानूनी है तो दूसरा वार-पलटवार का, जब से राज्यसभा सीट कांग्रेस के हाथ से निकली है, सुखविंदर सरकार की सारी ऊर्जा इस संकट से जूझने में लगी है.
खैर, क्रास वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस नेता और तीन निर्दलीय विधायक भाजपा के दो विधायकों के साथ पहले पंचकूला के ललित होटल में रुके और अब उत्तराखंड के एक निजी होटल में कड़ी सुरक्षा के दायरे में हैं. जिस समय विधायक बजट सेशन में फाइनेंशियल बिल के पारण के दौरान शिमला से पंचकूला चले गए, उसी समय से सीएम सुखविंदर सिंह उन पर हमलावर हो गए. उन्होंने कसौली निर्वाचन क्षेत्र की जनसभा में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, आईडी लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा को काले नागों की संज्ञा दे दी. सीएम की टिप्पणियों पर सबसे मुखर और तीखे स्वर सुधीर शर्मा के हैं. सुधीर शर्मा ने काले नागों वाले बयान पर कहा कि केकड़ों से नाग अच्छे हैं, जो शिव के गले के हार हैं.
सुधीर शर्मा के सोशल मीडिया एकाउंट पर नजर डालें तो 26 फरवरी को उन्होंने एक वीडिया क्लिप डाली है. ये बजट सेशन में एडीबी के प्रोजेक्ट्स से रिलेटिड सवाल वाली पोस्ट थी. उसके बाद राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हुआ और अभिषेक मनु सिंघवी हार गए. सुधीर शर्मा सहित कांग्रेस के पांच अन्य विधायकों ने क्रॉस वोट किया. उसी दिन सुधीर शर्मा ने गुरु गोविंद सिंह की वाणी में से पंक्तियां डालीं-देह शिवा वर मोहे इहे, शुभ कर्मन ते कबहूं न टरूं. ये स्पष्ट संकेत था कि क्रॉस वोटिंग को सुधीर शर्मा ने शुभ कर्मन माना. उसके बाद तो सुधीर शर्मा का सोशल मीडिया एकाउंट हिमाचल के सियासी संकट के बीच ब्रेकिंग खबरों का सोर्स हो गया.
फरवरी के आखिरी दिन के बाद मार्च की दो तारीख को सुधीर शर्मा ने अंग्रेजी की बाल कविता का संदर्भ लेते हुए लिखा कि खेल बिगड़ने के बाद स्थितियां सुधरती नहीं हैं. शिवरात्रि के दिन शिव आराधना की पोस्ट डाली तो उसी दिन एक विस्फोटक कमेंट किया. सुधीर ने लिखा-जब चादर लगी फटने, तब खैरात लगी बंटने. ये पोस्ट विधायक नंदलाल और भवानी पठानिया को कैबिनेट रैंक मिलने से जुड़ी थी. फिर पांच दिन पहले सुधीर ने पोस्ट डालकर ऐलान किया कि अन्याय सहना उतना ही बड़ा अपराध है, जितना अन्याय करना. यहां गीता के श्लोक का संदर्भ लिया गया.
चार दिन पहले सुधीर शर्मा को एआईसीसी सचिव के पद से हटाने का आदेश आया तो इस पर भी उन्होंने तीखा कटाक्ष किया. सुधीर ने लिखा- भारमुक्त तो ऐसे किया, जैसे सारा बोझ उन्हीं के कंधों पर था. इस बीच, 28 फरवरी को इस्तीफा देने का ऐलान करने वाले विक्रमादित्य सिंह अचानक से सीएम सुखविंदर सिंह के समर्थन की भाषा बोलने लगे. सोलन की रैली में विक्रमादित्य ने बागियों को अवसरवादी कहा तो सुधीर ने उन्हें भी लपेटे में ले लिया. सुधीर ने पोस्ट डालकर कहा- कैसे-कैसे ऐसे वैसे हो गए, ऐसे वैसे कैसे-कैसे हो गए. ये करारा तंज था. साथ ही लिखा- एक मंच पर आने के लिए दोनों को प्रेषित है. खैर, काले नाग से केकड़े तक के सफर में सुधीर ने सीएम पर परोक्ष रूप से नया कटाक्ष किया है. एक नन्हे पक्षी की फोटो के साथ लिखा- ये पिद्दी है, इसके ऊपर कहावत है- क्या पिद्दी, क्या पिद्दी का शोरबा.
2017 विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को हराने के बाद चर्चा के केंद्र में आए राजेंद्र राणा को इस बार भी कैबिनेट में नहीं लिया गया. राणा शुरू से ही मुखर थे, लेकिन राज्यसभा सीट के लिए क्रॉस वोट करके उन्होंने उस रेखा को क्रॉस कर लिया, जिसे अनुशासन रेखा माना जाता है. राणा ने रिश्ते निभाने को अपनी पहचान बताया. जब कांग्रेस के लोग क्रॉस वोट करने वालों को गद्दार बता रहे थे तो पहली मार्च को राजेंद्र राणा ने लिखा- हिमाचल की अस्मिता की मशाल थामने वाले गद्दार हो गए और बाहरी प्रत्याशी को हिमाचल पर थोपने वाले साध हो गए. उन्होंने सीएम को तानाशाह कहा और 3 मार्च की पोस्ट में लिखा कि तानाशाह को आईना दिखाना जरूरी है. राणा ने एक और पोस्ट में कहा कि बगावत ईमानदार व स्वाभिमानी लोग करते हैं. चापलूस तो तलवे चाटकर शर्मसार करते हैं. राजेंद्र राणा ने जनता के नाम खुले खत भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखे. यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा भी दे दिया. तीन दिन पहले राणा ने बड़ी पोस्ट डाली और लिखा- सुबह का भूला शाम को माफ, 14 महीने का भूला साफ. ये पोस्ट सीएम की उस प्रतिक्रिया के जवाब में थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि बागी वापिस आना चाहें तो उन्हें माफ किया जा सकता है.
आज पोस्ट में राणा ने लिखा कि पीछे से वार करके लड़ाइयां नहीं जीती जाती। झूठे केस बनाकर कोई शहंशाह अपनी कुर्सी महफूज नहीं रख सकता. ये पोस्ट हाल ही में संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की तरफ से लिखाई गई एफआईआर के संदर्भ में है. राणा ने सीएम को चिड़ु (चिडिय़ा का बच्चा) के दिल वाला भी बताया. वहीं, आईडी लखनपाल ने भी लंबी पोस्ट लिखकर कहा कि उन्हें सरकार में अपमान के घूंट पीने पड़े हैं. एक चपरासी तक का तबादला वे नहीं करवा सकते थे. हेल्थ सेक्रेटरी उनका फोन तक उठा कर राजी नहीं थी. खैर, काले नागों से केकड़े, चिड़ू, आदि की ये लड़ाई अभी थमी नहीं है. वरिष्ठ नेता महेंद्र नाथ सोफत का कहना है कि ये माहौल हिमाचल की सियासत के अनुरूप नहीं है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी कृष्ण भानु का कहना है कि ये संकट हल होता नहीं दिखता. सरकार का संकट टला नहीं है. सोशल मीडिया के तीर भी इसी तरफ इशारा करते हैं.
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