हमीरपुर: रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग और अत्यंत जहरीले कीटनाशकों के छिड़काव से जहां खेत-खलिहानों, हवा और पानी में लगातार जहर घुल रहा है. वहीं, ये जहर खान-पान और शरीर में भी प्रवेश कर रहा है. जिससे शरीर और आसपास के वातावरण में कई गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं. कैंसर और कई अन्य जानलेवा बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं. इसके अलावा जमीन की उर्वरा भी प्रभावित हो रही है. आम जनजीवन और पर्यावरण में हो रहे इन सभी दुष्प्रभावों को देखते हुए ही अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
हिमाचल में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
हिमाचल प्रदेश में भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है. इसके लिए प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है. प्रदेश सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती शुरू करने के लिए अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा प्राकृतिक खेती से उगाई जाने वाली फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है, जो कि रासायनिक खेती से पैदा की गई फसलों के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
हमीरपुर का ये गांव बना आदर्श गांव
हिमाचल प्रदेश में सरकार के इन प्रयासों के परिणामस्वरूप आज कई किसान प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. इसी तरह हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की ग्राम पंचायत बफड़ीं के गांव हरनेड़ में भी प्राकृतिक खेती को अपनाया जा रहा है, बल्कि यहां तो सभी किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने का संकल्प लिया है और अब यह गांव एक आदर्श गांव के रूप में उभरने लगा है.
कृषि विभाग की आत्मा परियोजना हमीरपुर के निदेशक डॉ. नितिन कुमार शर्मा ने बताया, "गांव हरनेड़ के सभी 62 किसान परिवारों की लगभग 264 बीघा भूमि पर ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना’ के तहत प्राकृतिक खेती की जाएगी. इसके लिए शुरुआती चरण में 26 किसानों को 2-2 दिन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है."
डॉ. नितिन कुमार ने बताया, "गांव के प्रगतिशील किसानों को ट्रेनिंग के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर भी भेजा गया और उन्हें देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान की गई. अब गांव के 59 किसान परिवार लगभग 218 बीघा भूमि पर पूरी तरह प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. अब वे हर सीजन में केवल एक ही फसल उगाने के बजाय एक साथ कई फसलें उगा रहे हैं."
बता दें कि गांववासी अब जहरमुक्त खेती के साथ-साथ कई ऐसे पौष्टिक मोटे अनाज व अन्य पारंपरिक फसलों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जोकि लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थीं. अब तो प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से तैयार फसलों के लिए अलग से न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है, जोकि सामान्य दामों से काफी ज्यादा है. अभी खत्म हो रहे खरीफ सीजन की मक्की को गांव हरनेड़ के किसानों ने 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा, जबकि पहले मक्की को सामान्यतः प्रति किलो 18 से 20 रुपये तक ही दाम मिलता था. इस प्रकार, जिला हमीरपुर का ये छोटा सा गांव हरनेड़ प्राकृतिक खेती में एक आदर्श गांव बनकर उभर रहा है.