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पीएम मोदी के दूसरे घर हिमाचल में दांव पर दिग्गजों की साख, जेपी नड्डा, अनुराग व जयराम ठाकुर के सामने चौके की चुनौती - Modi Nadda credibility at stake - MODI NADDA CREDIBILITY AT STAKE

BJP Himachal Lok Sabha Election 2024: बीजपी के लिए हिमाचल लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर जीत हासिल करना एक चुनौती होगी. 2014 और 2019 में चारों सीटें जीतने वाली बीजेपी के बड़े चेहरों की साख यहां दांव पर है. इनमें पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर शामिल है. जानें क्यों

BJP HIMACHAL LOK SABHA ELECTION
बीजपी के लिए हिमाचल लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर जीतना एक चुनौती होगी
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 8:09 AM IST

Updated : Apr 11, 2024, 11:54 AM IST

शिमला: लोकसभा की चार सीटों वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में दिग्गजों की साख दांव पर है. नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल में चुनावी जीत को लेकर खुद पीएम की प्रतिष्ठा का भी सवाल है. इसके अलावा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुखिया जेपी नड्डा भी हिमाचल से आते हैं. ये चुनाव उनकी लोकप्रियता और सियासी कौशल का भी चुनाव है. कम आयु में देश की राजनीति में बड़ा नाम कमा चुके केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने भी चुनावी जीत का सिलसिला बरकरार रखने की चुनौती है. इसके अलावा पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित पार्टी के प्रदेश मुखिया डॉ. राजीव बिंदल की नेतृत्व क्षमता भी इस चुनाव में परखी जाएगी.

इस बार 4-0 की हैट्रिक चुनौती

आखिर इतने दिग्गजों के लिए चार सीटों पर भाजपा की जीत को तय करना कठिन नहीं होना चाहिए, लेकिन चुनावी मैदान में विपक्ष को कम आंकना बड़ी भूल साबित होती है. प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के पास है. राज्यसभा चुनाव में हुए उलटफेर के बाद बेशक हिमाचल कांग्रेस संकट में फंसी नजर आती है, लेकिन चुनाव में वो भाजपा को परास्त करने के दावे कर रही है. इन परिस्थितियों में हिमाचल के सियासी रण में भाजपा की चुनौतियों पर बात करना दिलचस्प होगा. लोकसभा चुनाव में सियासी परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में है. चारों सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस से पहले ही प्रत्याशी तय कर दिए. यही नहीं, भाजपा का चुनाव प्रचार भी गति पकड़ चुका है. काशी से पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ते हैं तो इस बार छोटी काशी मंडी से बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को चुनाव में उतारा गया है.

मोदी का हिमाचल कनेक्शन

पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं. वे 1998 में भाजपा को हिमाचल की सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. प्रदेश प्रभारी रहते हुए नरेंद्र मोदी ने हिमाचल का व्यापक दौरा किया है. वे यहां के चप्पे-चप्पे से परिचित हैं. यहां के लोक जीवन, देवी-देवताओं के प्रति जनता की आस्था, यहां के लोक व्यंजनों के बारे में नरेंद्र मोदी भरपूर जानकारी रखते हैं. चुनावी सभाओं में वे इस बारे में अपने भावुक संवादों से जनता के साथ इमोशनल कनेक्शन बनाने में कामयाब रहे हैं. यही नहीं, विदेश यात्राओं में नरेंद्र मोदी ने कांगड़ा टी, हिमाचल की आभूषण कला, यहां के शहद और हिमाचली टोपी की ब्रांडिंग की है. अमेरिका की यात्रा के दौरान उन्होंने तत्कालीन फस्ट लेडी मेलानिया ट्रंप को कांगड़ा टी और हनी के साथ कई ज्वेलरी भी गिफ्ट की थी. अब हिमाचल के साथ पीएम मोदी के इस तरह के कनेक्ट को देखते हुए भाजपा के स्थानीय नेतृत्व पर भी चारों सीटों पर चुनाव जीतने का दबाव है.

जेपी नड्डा की साख दांव पर

हिमाचल में लोकसभा और छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भाजपा के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं. मंडी सीट की बात की जाए तो कंगना के पुराने बयानों पर बवाल मचा हुआ है. कार्यकर्ताओं के कुछ वर्ग अंदरखाते इस बात पर नाराज हैं कि पैराशूट से प्रत्याशी थोप दिया गया. स्थानीय नेताओं की भी नाराजगी है. हाल ही में सरकाघाट से विधायक रहे कर्नल इंद्र सिंह, द्रंग से विधायक रहे जवाहर ठाकुर व भाजपा को छोड़ चुके युवा नेता प्रवीण शर्मा सहित अन्य नेताओं ने एक बैठक कर आगामी रणनीति कंगना को रोकने के लिए बनाई है. हालांकि जयराम ठाकुर व राजीव बिंदल जोर-शोर से कार्यकर्ताओं को पार्टी हित में वोट डटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. नाराज नेताओं को मनाना उनके सामने चुनौती है. यदि पार्टी की ये नाराजगी बढ़ी तो जेपी नड्डा की साख पर सवाल आएगा. नड्डा खुद हिमाचल प्रदेश से आते हैं. यहां से विधायक और राज्यसभा सांसद रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी की करारी हार उन्हें जिंदगीभर सालती रहेगी लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव उनके लिए भी किसी मौके से कम नहीं है.

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर की चुनौती

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर पांचवी बार चुनावी रण में उतरे हैं. उनकी पांचवीं बार जीत को सुनिश्चित करना पार्टी के प्रदेश नेतृत्व सहित खुद अनुराग के लिए भी चुनौती है. इस बार हमीरपुर फतह करना खुद अनुराग ठाकुर और बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. आइए समझते हैं किन कारणों से बीजेपी को मिल रही है चुनौती.

  1. कांग्रेस इस समय सत्ता में है और प्रदेश के सीएम और डिप्टी सीएम हमीरपुर संसदीय सीट से ही आते हैं. ऐसे में अनुराग ठाकुर के लिए ये चुनाव जीतना अतिरिक्त चुनौती है.
  2. कांग्रेस से आए बागियों को टिकट देने से भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा है. कई जगह वे विद्रोही तेवर अपनाए हुए हैं. उन्हें मनाना जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर सहित पार्टी के प्रदेश मुखिया राजीव बिंदल के लिए भी आसान नहीं होगा.
  3. हमीरपुर संसदीय सीट के तहत सुजानपुर, कुटलैहड़, बड़सर और गगरेट विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी हो रहे हैं. इन सीटों पर राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, आईडी लखनपाल और चैतन्य शर्मा कांग्रेस छोड़ भाजपा की पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और होशियार सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने की स्थिति में वे भी चुनाव लड़ेंगे. ये नाराजगी न केवल परिणाम पर असर डालेगी, बल्कि ये भी संभव है कि जीत का अंतर पहले के मुकाबले कम हो जाए.

पिछली जीत को दोहराना आसान नहीं
हिमाचल में 2019 के लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहे थे. चारों सीटों पर पार्टी रिकार्ड मतों से जीती थी. आलम ये था कि सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस बुरी तरह परास्त हुई थी. एक भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त नहीं मिली थी. भाजपा में कांगड़ा के किशन कपूर को कुल मतों में से 72 फीसदी से अधिक मत पड़े. ये मत प्रतिशत पीएम नरेंद्र मोदी से भी अधिक था. इसके अलावा अनुराग ठाकुर को 68.786, रामस्वरूप शर्मा को 68.75 और सुरेश कश्यप को कुल पड़े वोटों का 66.35 फीसदी हासिल हुआ. पीएम नरेंद्र मोदी की लहर में ये चारों सीटें रिकॉर्ड मार्जिन से भाजपा की झोली में गई. उस समय ध्यान देने वाली बात ये थी कि प्रदेश में भाजपा की सरकार नई-नई सत्ता में आई थी. अब कांग्रेस की सरकार है और पिछले रिकॉर्ड को बरकरार रखना जेपी नड्डा सहित अन्य बड़े नेताओं के लिए सहज नहीं होगा.

पीएम मोदी पर दाग न लगने देने की चिंता
भाजपा के राष्ट्रीय मुखिया जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, जयराम ठाकुर सहित राजीव बिंदल और यहां तक कि पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल पर भी ये जिम्मेदारी है कि पीएम मोदी के नाम पर दाग न लगे. यदि लोकसभा चुनाव के परिणाम पार्टी की उम्मीदों के अनुकूल न आए तो विपक्ष को पीएम मोदी पर सियासी हमला करने का मौका हाथ आएगा.

वरिष्ठ पत्रकार उदय सिंह का कहना है कि "मंडी से कंगना के खिलाफ विक्रमादित्य सिंह की चुनौती से भाजपा के लिए ये सीट जीतना इतना आसान नहीं होगा. वहीं, कांगड़ा के राजीव भारद्वाज पहली बार चुनाव मैदान में हैं. हमीरपुर में अनुराग ठाकुर की बंपर जीत के लिए पार्टी के भीतर बागियों की एंट्री से उपजे घमासान को भी थामना होगा. वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान प्रदेश में भाजपा की ही सत्ता थी. अब सत्ता कांग्रेस के हाथ में है. इस फैक्टर का भी असर होगा. फिर सीएम और डिप्टी सीएम हमीरपुर संसदीय सीट से ही आते हैं. ऐसे में अनुराग के लिए हमीरपुर सीट पर मुकाबला आसान नहीं होगा."

लोकसभा चुनाव में एक पार्टी के रूप में बीजेपी और उसके प्रत्याशियों के अलावा उन चेहरों की साख भी दांव पर हैं. जो भले चुनावी रण में ना हों लेकिन हिमाचल से उनका कनेक्शन इस चुनाव में साख का सवाल होगा. उदय सिंह के मुताबिक "पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राजीव बिंदल के लिए ये पहला लोकसभा चुनाव है. वे भी साख बचाने की चुनौती से दो-चार होंगे. इसी तरह जेपी नड्डा को विधानसभा चुनाव की हार का दाग लोकसभा चुनाव में बंपर जीत से मिटाना होगा. यदि परिणाम उलटफेर वाले आए तो नड्डा के खाते में विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद ये नया जख्म होगा. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर व जयराम ठाकुर के सामने अलग-अलग चुनौतियां हैं."

ये भी पढ़ें:हिमाचल बीजेपी ने बनाया 4-0 का प्लान, कोर ग्रुप में प्रत्याशियों को चुनने का फॉर्मूला तय, नड्डा ने दिया जीत का मंत्र

ये भी पढ़ें:हिमाचल भाजपा में भी बगावत जारी, पार्टी के पूर्व बागी हुए एकजुट, बढ़ सकती है जयराम ठाकुर की मुश्किलें

शिमला: लोकसभा की चार सीटों वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में दिग्गजों की साख दांव पर है. नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल में चुनावी जीत को लेकर खुद पीएम की प्रतिष्ठा का भी सवाल है. इसके अलावा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुखिया जेपी नड्डा भी हिमाचल से आते हैं. ये चुनाव उनकी लोकप्रियता और सियासी कौशल का भी चुनाव है. कम आयु में देश की राजनीति में बड़ा नाम कमा चुके केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने भी चुनावी जीत का सिलसिला बरकरार रखने की चुनौती है. इसके अलावा पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित पार्टी के प्रदेश मुखिया डॉ. राजीव बिंदल की नेतृत्व क्षमता भी इस चुनाव में परखी जाएगी.

इस बार 4-0 की हैट्रिक चुनौती

आखिर इतने दिग्गजों के लिए चार सीटों पर भाजपा की जीत को तय करना कठिन नहीं होना चाहिए, लेकिन चुनावी मैदान में विपक्ष को कम आंकना बड़ी भूल साबित होती है. प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के पास है. राज्यसभा चुनाव में हुए उलटफेर के बाद बेशक हिमाचल कांग्रेस संकट में फंसी नजर आती है, लेकिन चुनाव में वो भाजपा को परास्त करने के दावे कर रही है. इन परिस्थितियों में हिमाचल के सियासी रण में भाजपा की चुनौतियों पर बात करना दिलचस्प होगा. लोकसभा चुनाव में सियासी परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में है. चारों सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस से पहले ही प्रत्याशी तय कर दिए. यही नहीं, भाजपा का चुनाव प्रचार भी गति पकड़ चुका है. काशी से पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ते हैं तो इस बार छोटी काशी मंडी से बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को चुनाव में उतारा गया है.

मोदी का हिमाचल कनेक्शन

पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं. वे 1998 में भाजपा को हिमाचल की सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. प्रदेश प्रभारी रहते हुए नरेंद्र मोदी ने हिमाचल का व्यापक दौरा किया है. वे यहां के चप्पे-चप्पे से परिचित हैं. यहां के लोक जीवन, देवी-देवताओं के प्रति जनता की आस्था, यहां के लोक व्यंजनों के बारे में नरेंद्र मोदी भरपूर जानकारी रखते हैं. चुनावी सभाओं में वे इस बारे में अपने भावुक संवादों से जनता के साथ इमोशनल कनेक्शन बनाने में कामयाब रहे हैं. यही नहीं, विदेश यात्राओं में नरेंद्र मोदी ने कांगड़ा टी, हिमाचल की आभूषण कला, यहां के शहद और हिमाचली टोपी की ब्रांडिंग की है. अमेरिका की यात्रा के दौरान उन्होंने तत्कालीन फस्ट लेडी मेलानिया ट्रंप को कांगड़ा टी और हनी के साथ कई ज्वेलरी भी गिफ्ट की थी. अब हिमाचल के साथ पीएम मोदी के इस तरह के कनेक्ट को देखते हुए भाजपा के स्थानीय नेतृत्व पर भी चारों सीटों पर चुनाव जीतने का दबाव है.

जेपी नड्डा की साख दांव पर

हिमाचल में लोकसभा और छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भाजपा के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं. मंडी सीट की बात की जाए तो कंगना के पुराने बयानों पर बवाल मचा हुआ है. कार्यकर्ताओं के कुछ वर्ग अंदरखाते इस बात पर नाराज हैं कि पैराशूट से प्रत्याशी थोप दिया गया. स्थानीय नेताओं की भी नाराजगी है. हाल ही में सरकाघाट से विधायक रहे कर्नल इंद्र सिंह, द्रंग से विधायक रहे जवाहर ठाकुर व भाजपा को छोड़ चुके युवा नेता प्रवीण शर्मा सहित अन्य नेताओं ने एक बैठक कर आगामी रणनीति कंगना को रोकने के लिए बनाई है. हालांकि जयराम ठाकुर व राजीव बिंदल जोर-शोर से कार्यकर्ताओं को पार्टी हित में वोट डटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. नाराज नेताओं को मनाना उनके सामने चुनौती है. यदि पार्टी की ये नाराजगी बढ़ी तो जेपी नड्डा की साख पर सवाल आएगा. नड्डा खुद हिमाचल प्रदेश से आते हैं. यहां से विधायक और राज्यसभा सांसद रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी की करारी हार उन्हें जिंदगीभर सालती रहेगी लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव उनके लिए भी किसी मौके से कम नहीं है.

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर की चुनौती

हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर पांचवी बार चुनावी रण में उतरे हैं. उनकी पांचवीं बार जीत को सुनिश्चित करना पार्टी के प्रदेश नेतृत्व सहित खुद अनुराग के लिए भी चुनौती है. इस बार हमीरपुर फतह करना खुद अनुराग ठाकुर और बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. आइए समझते हैं किन कारणों से बीजेपी को मिल रही है चुनौती.

  1. कांग्रेस इस समय सत्ता में है और प्रदेश के सीएम और डिप्टी सीएम हमीरपुर संसदीय सीट से ही आते हैं. ऐसे में अनुराग ठाकुर के लिए ये चुनाव जीतना अतिरिक्त चुनौती है.
  2. कांग्रेस से आए बागियों को टिकट देने से भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा है. कई जगह वे विद्रोही तेवर अपनाए हुए हैं. उन्हें मनाना जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर सहित पार्टी के प्रदेश मुखिया राजीव बिंदल के लिए भी आसान नहीं होगा.
  3. हमीरपुर संसदीय सीट के तहत सुजानपुर, कुटलैहड़, बड़सर और गगरेट विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी हो रहे हैं. इन सीटों पर राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, आईडी लखनपाल और चैतन्य शर्मा कांग्रेस छोड़ भाजपा की पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और होशियार सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने की स्थिति में वे भी चुनाव लड़ेंगे. ये नाराजगी न केवल परिणाम पर असर डालेगी, बल्कि ये भी संभव है कि जीत का अंतर पहले के मुकाबले कम हो जाए.

पिछली जीत को दोहराना आसान नहीं
हिमाचल में 2019 के लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहे थे. चारों सीटों पर पार्टी रिकार्ड मतों से जीती थी. आलम ये था कि सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस बुरी तरह परास्त हुई थी. एक भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त नहीं मिली थी. भाजपा में कांगड़ा के किशन कपूर को कुल मतों में से 72 फीसदी से अधिक मत पड़े. ये मत प्रतिशत पीएम नरेंद्र मोदी से भी अधिक था. इसके अलावा अनुराग ठाकुर को 68.786, रामस्वरूप शर्मा को 68.75 और सुरेश कश्यप को कुल पड़े वोटों का 66.35 फीसदी हासिल हुआ. पीएम नरेंद्र मोदी की लहर में ये चारों सीटें रिकॉर्ड मार्जिन से भाजपा की झोली में गई. उस समय ध्यान देने वाली बात ये थी कि प्रदेश में भाजपा की सरकार नई-नई सत्ता में आई थी. अब कांग्रेस की सरकार है और पिछले रिकॉर्ड को बरकरार रखना जेपी नड्डा सहित अन्य बड़े नेताओं के लिए सहज नहीं होगा.

पीएम मोदी पर दाग न लगने देने की चिंता
भाजपा के राष्ट्रीय मुखिया जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, जयराम ठाकुर सहित राजीव बिंदल और यहां तक कि पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल पर भी ये जिम्मेदारी है कि पीएम मोदी के नाम पर दाग न लगे. यदि लोकसभा चुनाव के परिणाम पार्टी की उम्मीदों के अनुकूल न आए तो विपक्ष को पीएम मोदी पर सियासी हमला करने का मौका हाथ आएगा.

वरिष्ठ पत्रकार उदय सिंह का कहना है कि "मंडी से कंगना के खिलाफ विक्रमादित्य सिंह की चुनौती से भाजपा के लिए ये सीट जीतना इतना आसान नहीं होगा. वहीं, कांगड़ा के राजीव भारद्वाज पहली बार चुनाव मैदान में हैं. हमीरपुर में अनुराग ठाकुर की बंपर जीत के लिए पार्टी के भीतर बागियों की एंट्री से उपजे घमासान को भी थामना होगा. वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान प्रदेश में भाजपा की ही सत्ता थी. अब सत्ता कांग्रेस के हाथ में है. इस फैक्टर का भी असर होगा. फिर सीएम और डिप्टी सीएम हमीरपुर संसदीय सीट से ही आते हैं. ऐसे में अनुराग के लिए हमीरपुर सीट पर मुकाबला आसान नहीं होगा."

लोकसभा चुनाव में एक पार्टी के रूप में बीजेपी और उसके प्रत्याशियों के अलावा उन चेहरों की साख भी दांव पर हैं. जो भले चुनावी रण में ना हों लेकिन हिमाचल से उनका कनेक्शन इस चुनाव में साख का सवाल होगा. उदय सिंह के मुताबिक "पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राजीव बिंदल के लिए ये पहला लोकसभा चुनाव है. वे भी साख बचाने की चुनौती से दो-चार होंगे. इसी तरह जेपी नड्डा को विधानसभा चुनाव की हार का दाग लोकसभा चुनाव में बंपर जीत से मिटाना होगा. यदि परिणाम उलटफेर वाले आए तो नड्डा के खाते में विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद ये नया जख्म होगा. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर व जयराम ठाकुर के सामने अलग-अलग चुनौतियां हैं."

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Last Updated : Apr 11, 2024, 11:54 AM IST
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