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ट्रॉमा सेंटर से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने प्रधान सचिव, DME व प्रिंसिपल IGMC को किया तलब, रिकॉर्ड सहित 5 दिसंबर को पेशी - WHAT IS TRAUMA CENTER CASE IN HP

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रॉमा सेंटर से जुड़े सारे रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश करने के आदेश जारी किए गए हैं.

HIMACHAL HIGH COURT
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 4, 2024, 9:27 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रॉमा सेंटर से जुड़े जनहित मामले में सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) सहित आईजीएमसी अस्पताल शिमला के प्रिंसिपल को अदालत में तलब किया है. इन सभी को ट्रॉमा सेंटर से जुड़े सारे रिकॉर्ड सहित निजी रूप से अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश जारी किए गए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने उपरोक्त सभी को गुरुवार पांच दिसंबर को निजी रूप से रिकॉर्ड सहित पेश होने के आदेश दिए हैं.

केंद्र और राज्य सरकार से मांगे थे हलफनामे

उल्लेखनीय है कि इसी मामले में केंद्र सरकार की तरफ से पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र के पास पर्याप्त धन उपलब्ध है, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसी कोई मांग उनके समक्ष नहीं उठाई है. यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने के आदेश दिए थे.

हाईकोर्ट की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर टिप्पणी

इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये पर क्षोभ जताया था. अदालत ने तब सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोर्ट यह जानकर व्यथित हैं कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार करने में बहुत कम रुचि रही है. हाईकोर्ट ने विशेषकर शिमला, टांडा और चंबा के मुख्य अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर के कमजोर बुनियादी ढांचे पर चिंता जाहिर की थी.

अभी तक नहीं शुरू हुआ IGMC का ट्रॉमा सेंटर

उल्लेखनीय है कि सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान बचाने में ट्रॉमा सेंटर्स का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहता है. हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे के किनारे के स्वास्थ्य संस्थानों में ट्रॉमा सेंटर्स की सुविधा को लेकर समय-समय पर कई तरह के निर्देश जारी किए हुए हैं. हाल ही में शिमला में आईजीएमसी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की शुरुआत हुई है, लेकिन अभी ये पूरी तरह से फंक्शनल नहीं हो पाया है. यहां मशीनरी की तो कोई कमी नहीं है, लेकिन स्टाफ जरूर पर्याप्त नहीं है. अब 5 दिसंबर को प्रधान सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन व आईजीएमसी अस्पताल के प्रधानाचार्य को हाईकोर्ट में निजी रूप से रिकॉर्ड सहित पेश होना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 14 मंजिला निर्माण नहीं कर पाएंगे होटल व स्पेशल कमर्शियल प्रोजेक्ट्स, टीसीपी की अधिसूचना पर हाईकोर्ट की रोक

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ये भी पढ़ें: 17 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को सुक्खू सरकार ने दी बड़ी राहत, नहीं वसूला जाएगा वाटर का एरियर बिल

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रॉमा सेंटर से जुड़े जनहित मामले में सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) सहित आईजीएमसी अस्पताल शिमला के प्रिंसिपल को अदालत में तलब किया है. इन सभी को ट्रॉमा सेंटर से जुड़े सारे रिकॉर्ड सहित निजी रूप से अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश जारी किए गए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने उपरोक्त सभी को गुरुवार पांच दिसंबर को निजी रूप से रिकॉर्ड सहित पेश होने के आदेश दिए हैं.

केंद्र और राज्य सरकार से मांगे थे हलफनामे

उल्लेखनीय है कि इसी मामले में केंद्र सरकार की तरफ से पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र के पास पर्याप्त धन उपलब्ध है, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसी कोई मांग उनके समक्ष नहीं उठाई है. यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने के आदेश दिए थे.

हाईकोर्ट की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर टिप्पणी

इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये पर क्षोभ जताया था. अदालत ने तब सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोर्ट यह जानकर व्यथित हैं कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार करने में बहुत कम रुचि रही है. हाईकोर्ट ने विशेषकर शिमला, टांडा और चंबा के मुख्य अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर के कमजोर बुनियादी ढांचे पर चिंता जाहिर की थी.

अभी तक नहीं शुरू हुआ IGMC का ट्रॉमा सेंटर

उल्लेखनीय है कि सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान बचाने में ट्रॉमा सेंटर्स का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहता है. हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे के किनारे के स्वास्थ्य संस्थानों में ट्रॉमा सेंटर्स की सुविधा को लेकर समय-समय पर कई तरह के निर्देश जारी किए हुए हैं. हाल ही में शिमला में आईजीएमसी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की शुरुआत हुई है, लेकिन अभी ये पूरी तरह से फंक्शनल नहीं हो पाया है. यहां मशीनरी की तो कोई कमी नहीं है, लेकिन स्टाफ जरूर पर्याप्त नहीं है. अब 5 दिसंबर को प्रधान सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन व आईजीएमसी अस्पताल के प्रधानाचार्य को हाईकोर्ट में निजी रूप से रिकॉर्ड सहित पेश होना पड़ेगा.

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