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HPU के गणित विभाग की प्रोफेसर शालिनी की नियुक्ति रद्द करने वाले फैसले पर रोक, डबल बेंच ने पलटा एकल पीठ का निर्णय - himachal high court

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शालिनी गुप्ता की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है. खंडपीठ ने कहा कि वो एकल पीठ के निर्णय से प्रथम दृष्टया सहमत नहीं है. कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई 23 सितम्बर को निर्धारित की है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 6:24 PM IST

शिमला: हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शालिनी गुप्ता की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया में वो एकल पीठ के निर्णय से सहमत नहीं हैं कि अपीलकर्ता की नियुक्ति हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय अधिनियम 1970 के अनुरूप नहीं है.

खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि एचपीयू के प्रथम कानून के खंड 11(xiv) में कार्यकारी परिषद को अपनी किसी भी शक्ति को कुलपति को सौंपने की अनुमति है. इसी तरह कार्यकारी परिषद के 21 नवम्बर 2020 को पारित प्रस्ताव के तहत कुलपति को नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है. अतः अधिनियम में निहित प्रावधान और कार्यकारी परिषद के 21 नवम्बर 2020 के संकल्प को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि वो एकल पीठ के निर्णय से प्रथम दृष्टया सहमत नहीं है. कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई 23 सितम्बर को निर्धारित की है.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. राजेश कुमार शर्मा द्वारा गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकारते हुए यह नियुक्तियां रद्द कर दी थी. कोर्ट ने विश्विद्यालय को कानून के अनुसार नए सिरे से इन पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेश भी दिए थे. कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा था कि यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि कार्यकारी परिषद ने ऐसी प्रत्यायोजित शक्ति का प्रयोग किया जो शक्ति इसके पास नहीं हो सकती थी और इसके कारण कुलपति ने एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) के पद पर निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां दे दी, इसलिए निजी प्रतिवादियों की नियुक्तियों को खारिज किया जाता है.

मामले के अनुसार 30 दिसम्बर 2019 को विश्विद्यालय ने गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तीन पदों को भरने के लिए एक विज्ञापन जारी किया. 12 से 14 दिसंबर 2020 तक उम्मीदवारों के साक्षात्कार लिए गए. 14 दिसम्बर को प्रार्थी का साक्षात्कार लिया गया. 15 दिसम्बर को दो निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां दे दी गई. यह नियुक्तियां विश्विद्यालय के वाइस चांसलर के आदेशानुसार प्रदान की गई. प्रार्थी ने चयन प्रक्रिया और चयनित उम्मीदवारों से जुड़ी अहम जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी. चयन प्रक्रिया में कायदे कानूनों को ताक पर रखने के आरोप लगाते हुए प्रार्थी ने दोनों प्रतिवादियों की नियुक्तियां रद्द करने की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. प्रार्थी का आरोप था कि दोनों एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्ति हेतु पात्रता नहीं रखते और विश्विद्यालय ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर इन्हे नियुक्तियां दी.

दोनों प्रतिवादियों को वीसी की ओर से नियुक्ति पत्र 15 दिसम्बर 2020 को जारी किए गए, जबकि वीसी द्वारा की गई इन नियुक्तियों का अनुमोदन कार्यकारी परिषद ने 31 दिसम्बर 2020 को किया. प्रार्थी का आरोप था कि वीसी के पास अध्यापकों की नियुक्तियां करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और न ही उन्हें यह अधिकार ईसी द्वारा दिया जा सकता है. एकल पीठ ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए 30 मई 2024 को पारित फैसले में कहा था कि एचपीयू अधिनियम के प्रावधानों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जो शक्तियां कुलपति को प्रदान की जाती हैं, उनमें शिक्षकों के पद पर नियुक्ति करने की शक्ति शामिल नहीं है. एकल पीठ के इस फैसले से प्रभावित होने पर अपीलकर्ता डॉ. शालिनी गुप्ता ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है.

ये भी पढ़ें: पेंशन व वित्तीय लाभ देने के लिए कहां से आएगा पैसा, हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज मंथन करेंगे सुखविंदर सरकार में खजाने की चाबी संभालने वाले अफसर

शिमला: हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शालिनी गुप्ता की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया में वो एकल पीठ के निर्णय से सहमत नहीं हैं कि अपीलकर्ता की नियुक्ति हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय अधिनियम 1970 के अनुरूप नहीं है.

खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि एचपीयू के प्रथम कानून के खंड 11(xiv) में कार्यकारी परिषद को अपनी किसी भी शक्ति को कुलपति को सौंपने की अनुमति है. इसी तरह कार्यकारी परिषद के 21 नवम्बर 2020 को पारित प्रस्ताव के तहत कुलपति को नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है. अतः अधिनियम में निहित प्रावधान और कार्यकारी परिषद के 21 नवम्बर 2020 के संकल्प को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि वो एकल पीठ के निर्णय से प्रथम दृष्टया सहमत नहीं है. कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई 23 सितम्बर को निर्धारित की है.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. राजेश कुमार शर्मा द्वारा गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकारते हुए यह नियुक्तियां रद्द कर दी थी. कोर्ट ने विश्विद्यालय को कानून के अनुसार नए सिरे से इन पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेश भी दिए थे. कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा था कि यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि कार्यकारी परिषद ने ऐसी प्रत्यायोजित शक्ति का प्रयोग किया जो शक्ति इसके पास नहीं हो सकती थी और इसके कारण कुलपति ने एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) के पद पर निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां दे दी, इसलिए निजी प्रतिवादियों की नियुक्तियों को खारिज किया जाता है.

मामले के अनुसार 30 दिसम्बर 2019 को विश्विद्यालय ने गणित विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तीन पदों को भरने के लिए एक विज्ञापन जारी किया. 12 से 14 दिसंबर 2020 तक उम्मीदवारों के साक्षात्कार लिए गए. 14 दिसम्बर को प्रार्थी का साक्षात्कार लिया गया. 15 दिसम्बर को दो निजी प्रतिवादियों को नियुक्तियां दे दी गई. यह नियुक्तियां विश्विद्यालय के वाइस चांसलर के आदेशानुसार प्रदान की गई. प्रार्थी ने चयन प्रक्रिया और चयनित उम्मीदवारों से जुड़ी अहम जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी. चयन प्रक्रिया में कायदे कानूनों को ताक पर रखने के आरोप लगाते हुए प्रार्थी ने दोनों प्रतिवादियों की नियुक्तियां रद्द करने की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. प्रार्थी का आरोप था कि दोनों एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्ति हेतु पात्रता नहीं रखते और विश्विद्यालय ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर इन्हे नियुक्तियां दी.

दोनों प्रतिवादियों को वीसी की ओर से नियुक्ति पत्र 15 दिसम्बर 2020 को जारी किए गए, जबकि वीसी द्वारा की गई इन नियुक्तियों का अनुमोदन कार्यकारी परिषद ने 31 दिसम्बर 2020 को किया. प्रार्थी का आरोप था कि वीसी के पास अध्यापकों की नियुक्तियां करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और न ही उन्हें यह अधिकार ईसी द्वारा दिया जा सकता है. एकल पीठ ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए 30 मई 2024 को पारित फैसले में कहा था कि एचपीयू अधिनियम के प्रावधानों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जो शक्तियां कुलपति को प्रदान की जाती हैं, उनमें शिक्षकों के पद पर नियुक्ति करने की शक्ति शामिल नहीं है. एकल पीठ के इस फैसले से प्रभावित होने पर अपीलकर्ता डॉ. शालिनी गुप्ता ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है.

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