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नकारा और लापरवाह अफसर आदेशों की अनुपालना न करके बढ़ा रहे अदालत का बोझ- हिमाचल हाईकोर्ट - Himachal High Court News In Hindi

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नकारा और लापरवाह अफसरों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अदालतों में मामलों के लंबित पड़े रहने के लिए सरकारी अधिकारिय की लापरवाही और अयोग्यता को जिम्मेदार है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 14, 2024, 6:44 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालतों में मामलों के लंबित पड़े रहने के लिए सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और अयोग्यता को जिम्मेदार ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि कुछ अधिकारी अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेने के बजाए कोर्ट के आदेशों की राह देखते रहते हैं. जिस कारण सामान्य जनता को कोर्ट का रुख करने पर मजबूर होना पड़ता है. इतना ही नहीं नकारा और लापरवाह अधिकारी अदालती आदेशों की अनुपालना समय पर न कर अदालतों का बोझ बढ़ा रहे हैं.

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने तहसीलदार आनी को एडीएम मंडी द्वारा दिए गए आदेशों पर एक साल तक अमल न करने पर गंभीरता से लेते हुए उक्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आए दिन अदालतों में लंबित मामलों को लेकर टीका टिप्पणियां होती रहती हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस तथ्य को लेकर गौर नहीं किया कि लापरवाह और अयोग्य अधिकारियों की वजह से कोर्ट में मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिन अधिकारियों को जनता या कर्मचारियों के मामलों को निपटाने हेतु न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई हैं, वे अपने कंधों पर जिम्मेदारी नहीं ले पाते और अदालत के आदेशों का इंतजार करते रहते हैं. इससे छोटे छोटे मुद्दों को लेकर भी सामान्य जनता को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है.

कोर्ट ने इन आदेशों की प्रतिलिपि मुख्य सचिव को भेजने के आदेश भी दिए, ताकि वह इस संदर्भ में जरूरी प्रशासनिक आदेश जारी कर सके. मामले के अनुसार एडीएम कोर्ट ने 22 दिसंबर 2022 को तहसीलदार आनी को आदेश जारी किए थे कि वह एक महिला को जारी आय प्रमाण पत्र को पुनः वेरिफाई करें. वेरिफिकेशन 7 मई 2022 तक की जानी थी, लेकिन आज तक तहसीलदार आनी ने इस आदेश की अनुपालना नहीं की. जिस कारण प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हाई कोर्ट ने तहसीलदार आनी को आदेश जारी किए कि वह दो दिनों के भीतर एडीएम मंडी के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित कर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करे.

ये भी पढ़ें- 25 सालों तक शिमला में नहीं होगी पेयजल की समस्या, कैबिनेट ने दी वाटर डिस्ट्रीब्यूशन कार्य को अवार्ड करने की मंजूरी

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालतों में मामलों के लंबित पड़े रहने के लिए सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और अयोग्यता को जिम्मेदार ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि कुछ अधिकारी अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेने के बजाए कोर्ट के आदेशों की राह देखते रहते हैं. जिस कारण सामान्य जनता को कोर्ट का रुख करने पर मजबूर होना पड़ता है. इतना ही नहीं नकारा और लापरवाह अधिकारी अदालती आदेशों की अनुपालना समय पर न कर अदालतों का बोझ बढ़ा रहे हैं.

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने तहसीलदार आनी को एडीएम मंडी द्वारा दिए गए आदेशों पर एक साल तक अमल न करने पर गंभीरता से लेते हुए उक्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आए दिन अदालतों में लंबित मामलों को लेकर टीका टिप्पणियां होती रहती हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस तथ्य को लेकर गौर नहीं किया कि लापरवाह और अयोग्य अधिकारियों की वजह से कोर्ट में मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिन अधिकारियों को जनता या कर्मचारियों के मामलों को निपटाने हेतु न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई हैं, वे अपने कंधों पर जिम्मेदारी नहीं ले पाते और अदालत के आदेशों का इंतजार करते रहते हैं. इससे छोटे छोटे मुद्दों को लेकर भी सामान्य जनता को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है.

कोर्ट ने इन आदेशों की प्रतिलिपि मुख्य सचिव को भेजने के आदेश भी दिए, ताकि वह इस संदर्भ में जरूरी प्रशासनिक आदेश जारी कर सके. मामले के अनुसार एडीएम कोर्ट ने 22 दिसंबर 2022 को तहसीलदार आनी को आदेश जारी किए थे कि वह एक महिला को जारी आय प्रमाण पत्र को पुनः वेरिफाई करें. वेरिफिकेशन 7 मई 2022 तक की जानी थी, लेकिन आज तक तहसीलदार आनी ने इस आदेश की अनुपालना नहीं की. जिस कारण प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हाई कोर्ट ने तहसीलदार आनी को आदेश जारी किए कि वह दो दिनों के भीतर एडीएम मंडी के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित कर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करे.

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