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हाईकोर्ट ने खारिज किया हर्ष महाजन का आवेदन, राज्यसभा सीट के चुनाव से जुड़े मामले में अभिषेक सिंघवी की याचिका पर उठाए थे सवाल - Harsh Mahajan application rejected

Himachal High court rejected Harsh Mahajan application: हिमाचल प्रदेश ने राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के आवेदन को खारिज कर दिया है. राज्यसभा चुनाव मामले को लेकर हर्ष महाजन ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका खारिज करने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

हाईकोर्ट ने खारिज किया हर्ष महाजन का आवेदन
हाईकोर्ट ने खारिज किया हर्ष महाजन का आवेदन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 16, 2024, 2:07 PM IST

हर्ष महाजन केस में एडवोकेट विक्रांत ठाकुर की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल के चर्चित राज्यसभा चुनाव मामले में हाईकोर्ट ने सोमवार को भाजपा नेता हर्ष महाजन के आवेदन को खारिज कर दिया. हर्ष महाजन के निर्वाचन को कांग्रेस नेता और यहां से राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका के जरिए चुनौती दी थी. सिंघवी की याचिका के बाद हर्ष महाजन ने भी एक आवेदन दाखिल किया था और अदालत से आग्रह किया था कि उक्त याचिका मैंटेनेबल नहीं है. हर्ष महाजन के इसी आवेदन को न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने खारिज कर दिया है.

हर्ष महाजन केस में एडवोकेट विक्रांत ठाकुर ने कहा, "अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन के निर्वाचन को याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. इसी केस में हर्ष महाजन ने सिंघवी की याचिका को डिस्मिस करने का आग्रह किया था. विक्रांत ठाकुर के अनुसार राज्यसभा चुनाव के दौरान परिणाम की प्रक्रिया को लेकर दोनों ही प्रत्याशियों ने हामी भरी थी. परिणाम पर्ची सिस्टम यानी ड्रॉ ऑफ लॉट्स के जरिए घोषित हुआ था. हर्ष महाजन राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गए. बाद में अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन के निर्वाचन में पर्ची सिस्टम को चुनौती देने से जुड़ी याचिका दाखिल की थी. उसी याचिका को लेकर हर्ष महाजन की तरफ से अलग से आवेदन दाखिल किया गया था".

विक्रांत ठाकुर ने कहा कि आवेदन में कहा गया था कि चुनाव में दोनों ही पक्षों की कंसेंट दो बार ली गई थी. उन्होंने कहा कि आवेदन खारिज होने को लेकर आगे चुनौती देनी है या नहीं, ये हर्ष महाजन डिसाइड करेंगे. विक्रांत ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने उपरोक्त आवेदन को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने अब सिंघवी की याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए हर्ष महाजन को दो सप्ताह का समय दिया है. इस तरह मुख्य याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी.

ये है मामले की पृष्ठभूमि: हिमाचल में इसी साल 27 फरवरी को राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हुए थे. भाजपा के हर्ष महाजन व कांग्रेस के अभिषेक सिंघवी राज्यसभा सीट के दावेदार थे. कांग्रेस के छह एमएलए ने क्रॉस वोटिंग की और तीन निर्दलीय विधायकों ने भी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया. इस तरह दोनों को 34-34 वोट मिले. फिर ड्रॉ ऑफ लॉट्स यानी पर्ची सिस्टम से परिणाम घोषित किया गया. परिणाम से पहले दोनों पक्षों की सहमति ली गई. हर्ष महाजन विजयी हुए, लेकिन बाद में सिंघवी ने पर्ची सिस्टम को चुनौती दी. इसी केस में 21 अगस्त से हर्ष महाजन द्वारा चुनाव याचिका को गुणवत्ताहीन ठहराते हुए खारिज करने की मांग वाले आवेदन पर बहस शुरू हुई थी. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के अनुसार याचिकाकर्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव के लिए समय-समय पर जारी हिदायतों को अपनाने की हामी भरी थी, इसलिए अब चुनाव हारने के बाद प्रार्थी प्रक्रिया को गलत ठहराने के लिए याचिका दाखिल नहीं कर सकता. जब भी कोई किसी प्रक्रिया को अपनाने की सहमति देता है तो वह वह उसे गलत ठहराने के लिए अदालत में याचिका दाखिल नहीं कर सकता. यदि सहमति देने के बाद प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया हो तो ही पीड़ित वादी अदालत का दरवाजा खटखटाने का हक रखता है. फिलहाल, अब हर्ष महाजन की तरफ से सिंघवी की याचिका पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा.

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद विवाद: VHP नेताओं सहित 50 प्रदर्शनकारियों पर FIR दर्ज, हिंसा और पुलिस पर पत्थरबाजी करने का आरोप

हर्ष महाजन केस में एडवोकेट विक्रांत ठाकुर की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल के चर्चित राज्यसभा चुनाव मामले में हाईकोर्ट ने सोमवार को भाजपा नेता हर्ष महाजन के आवेदन को खारिज कर दिया. हर्ष महाजन के निर्वाचन को कांग्रेस नेता और यहां से राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका के जरिए चुनौती दी थी. सिंघवी की याचिका के बाद हर्ष महाजन ने भी एक आवेदन दाखिल किया था और अदालत से आग्रह किया था कि उक्त याचिका मैंटेनेबल नहीं है. हर्ष महाजन के इसी आवेदन को न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने खारिज कर दिया है.

हर्ष महाजन केस में एडवोकेट विक्रांत ठाकुर ने कहा, "अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन के निर्वाचन को याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. इसी केस में हर्ष महाजन ने सिंघवी की याचिका को डिस्मिस करने का आग्रह किया था. विक्रांत ठाकुर के अनुसार राज्यसभा चुनाव के दौरान परिणाम की प्रक्रिया को लेकर दोनों ही प्रत्याशियों ने हामी भरी थी. परिणाम पर्ची सिस्टम यानी ड्रॉ ऑफ लॉट्स के जरिए घोषित हुआ था. हर्ष महाजन राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गए. बाद में अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन के निर्वाचन में पर्ची सिस्टम को चुनौती देने से जुड़ी याचिका दाखिल की थी. उसी याचिका को लेकर हर्ष महाजन की तरफ से अलग से आवेदन दाखिल किया गया था".

विक्रांत ठाकुर ने कहा कि आवेदन में कहा गया था कि चुनाव में दोनों ही पक्षों की कंसेंट दो बार ली गई थी. उन्होंने कहा कि आवेदन खारिज होने को लेकर आगे चुनौती देनी है या नहीं, ये हर्ष महाजन डिसाइड करेंगे. विक्रांत ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने उपरोक्त आवेदन को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने अब सिंघवी की याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए हर्ष महाजन को दो सप्ताह का समय दिया है. इस तरह मुख्य याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी.

ये है मामले की पृष्ठभूमि: हिमाचल में इसी साल 27 फरवरी को राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हुए थे. भाजपा के हर्ष महाजन व कांग्रेस के अभिषेक सिंघवी राज्यसभा सीट के दावेदार थे. कांग्रेस के छह एमएलए ने क्रॉस वोटिंग की और तीन निर्दलीय विधायकों ने भी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया. इस तरह दोनों को 34-34 वोट मिले. फिर ड्रॉ ऑफ लॉट्स यानी पर्ची सिस्टम से परिणाम घोषित किया गया. परिणाम से पहले दोनों पक्षों की सहमति ली गई. हर्ष महाजन विजयी हुए, लेकिन बाद में सिंघवी ने पर्ची सिस्टम को चुनौती दी. इसी केस में 21 अगस्त से हर्ष महाजन द्वारा चुनाव याचिका को गुणवत्ताहीन ठहराते हुए खारिज करने की मांग वाले आवेदन पर बहस शुरू हुई थी. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के अनुसार याचिकाकर्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव के लिए समय-समय पर जारी हिदायतों को अपनाने की हामी भरी थी, इसलिए अब चुनाव हारने के बाद प्रार्थी प्रक्रिया को गलत ठहराने के लिए याचिका दाखिल नहीं कर सकता. जब भी कोई किसी प्रक्रिया को अपनाने की सहमति देता है तो वह वह उसे गलत ठहराने के लिए अदालत में याचिका दाखिल नहीं कर सकता. यदि सहमति देने के बाद प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया हो तो ही पीड़ित वादी अदालत का दरवाजा खटखटाने का हक रखता है. फिलहाल, अब हर्ष महाजन की तरफ से सिंघवी की याचिका पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा.

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