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छह साल पहले मंडी में न्यायिक हिरासत में हुई थी व्यक्ति की मौत, हाईकोर्ट में खारिज हुई पत्नी की याचिका - MANDI JUDICIAL CUSTODY DEATH CASE

मंडी में 6 माह पहले न्यायिक हिरासत में हुई व्यक्ति की मौत मामले में हाईकोर्ट ने मृतक की पत्नी की याचिका खारिज कर दी है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 31, 2024, 10:14 PM IST

शिमला: नवंबर 2018 में मंडी में एक व्यक्ति की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी ने पुलिसकर्मियों पर उसके पति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश के नाम पर पत्र लिखा था. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद न्यायिक हिरासत में हुई मौत में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका को सही नहीं पाया. इसके साथ ही अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी भी व्यक्ति के लिए अपने प्रियजन की अचानक मौत को सहजता से स्वीकार करना कठिन है. साथ ही अकस्मात मौत से उससे सहमत होना बहुत मुश्किल होता है. अचानक हुई मौत पर संदेह तब कई गुना बढ़ जाता है, जब कथित तौर पर मृत्यु न्यायिक हिरासत में हो जाए.

अदालत ने कहा कि न्यायिक हिरासत में अचानक मौत होना ही अपने आप में इस निष्कर्ष पर पहुंचने का आधार नहीं हो सकता है कि ऐसी हर मौत में कोई संदेहास्पद बात हो. खंडपीठ ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि न्यायिक हिरासत में व्यक्ति की मौत का कारण गैस्ट्रिक के कारण दम घुटना है. ऐसा किसी के साथ कहीं भी हो सकता है, चाहे वह कितना भी स्वस्थ क्यों न हो. अगर कोई गड़बड़ी होती तो यह विशेषज्ञों द्वारा बताया जाना था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है.

मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट व हिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी जांच की है और किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं पाई गई. अदालत ने याचिकाकर्ता के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि संदेह से परे सबूतों के अभाव में पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के प्रार्थी के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

क्या है पूरा मामला

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार 30 अक्टूबर 2018 को मंडी जिला में घट्टा नामक स्थान में एक नाका लगाया गया था. पुलिस चौकी घट्टा की टीम वाहनों की तलाशी ले रही थी. जांच के दौरान एक ऑल्टो कार से 508 ग्राम गांजा बरामद किया गया. पुलिस स्टेशन जोगेंद्र नगर में धर्म पाल और धर्म सिंह नामक दो लोगों के खिलाफ मामला पंजीकृत किया गया. दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना धर्म पाल की पत्नी को दूरभाष के माध्यम से दी गई. फिर सिविल अस्पताल जोगेंद्र नगर में दोनों आरोपियों की मेडिकल जांच करवाई गई. मेडिकल ऑफिसर से एम.एल.सी. की प्रतियां भी ली गई.

आरोपियों को पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया. अगले दिन सिविल अस्पताल में दोनों आरोपियों की मेडिकल जांच की गई और उसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट मंडी के समक्ष पेश किया गया. दोनों आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उसी दिन दोनों आरोपियों के एमएलसी की फोटो कॉपी और मेडिकल जांच के दौरान आरोपी धर्म पाल के लिए चिकित्सा अधिकारी द्वारा निर्धारित दवाओं के साथ सब-जेल, मंडी के अधिकारियों की सुरक्षित हिरासत में सौंप दिया गया. फिर 2 नवंबर 2018 को सब-जेल मंडी के एसपी कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया.

उस पत्र में बताया गया कि उपरोक्त विचाराधीन अभियुक्त धर्म पाल को 2 नवंबर 2018 की सुबह गंभीर रूप से बीमार पाया गया. उसे तुरंत जोनल अस्पताल मंडी भेजा गया. वहां, 2 नवंबर 2018 की सुबह उसकी मृत्यु हो गई. मृतक आरोपी धर्म पाल का पोस्टमार्टम न्यायिक मजिस्ट्रेट की देखरेख में करवाया गया. धर्म पाल की पत्नी ने न्यायिक हिरासत में हुई मौत पर संदेह जताया और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर पुलिस पर उसके पति को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए. उसने अपने पति की मौत के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को दंडित करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने पाया कि न्यायिक हिरासत में मौत को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.

ये भी पढ़ें: शिमला में अब पुरुषों से यूरिन चार्ज वसूलने की तैयारी, नगर निगम ने बनाया प्रस्ताव

शिमला: नवंबर 2018 में मंडी में एक व्यक्ति की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी ने पुलिसकर्मियों पर उसके पति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश के नाम पर पत्र लिखा था. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद न्यायिक हिरासत में हुई मौत में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका को सही नहीं पाया. इसके साथ ही अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी भी व्यक्ति के लिए अपने प्रियजन की अचानक मौत को सहजता से स्वीकार करना कठिन है. साथ ही अकस्मात मौत से उससे सहमत होना बहुत मुश्किल होता है. अचानक हुई मौत पर संदेह तब कई गुना बढ़ जाता है, जब कथित तौर पर मृत्यु न्यायिक हिरासत में हो जाए.

अदालत ने कहा कि न्यायिक हिरासत में अचानक मौत होना ही अपने आप में इस निष्कर्ष पर पहुंचने का आधार नहीं हो सकता है कि ऐसी हर मौत में कोई संदेहास्पद बात हो. खंडपीठ ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि न्यायिक हिरासत में व्यक्ति की मौत का कारण गैस्ट्रिक के कारण दम घुटना है. ऐसा किसी के साथ कहीं भी हो सकता है, चाहे वह कितना भी स्वस्थ क्यों न हो. अगर कोई गड़बड़ी होती तो यह विशेषज्ञों द्वारा बताया जाना था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है.

मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट व हिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी जांच की है और किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं पाई गई. अदालत ने याचिकाकर्ता के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि संदेह से परे सबूतों के अभाव में पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के प्रार्थी के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

क्या है पूरा मामला

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार 30 अक्टूबर 2018 को मंडी जिला में घट्टा नामक स्थान में एक नाका लगाया गया था. पुलिस चौकी घट्टा की टीम वाहनों की तलाशी ले रही थी. जांच के दौरान एक ऑल्टो कार से 508 ग्राम गांजा बरामद किया गया. पुलिस स्टेशन जोगेंद्र नगर में धर्म पाल और धर्म सिंह नामक दो लोगों के खिलाफ मामला पंजीकृत किया गया. दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना धर्म पाल की पत्नी को दूरभाष के माध्यम से दी गई. फिर सिविल अस्पताल जोगेंद्र नगर में दोनों आरोपियों की मेडिकल जांच करवाई गई. मेडिकल ऑफिसर से एम.एल.सी. की प्रतियां भी ली गई.

आरोपियों को पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया. अगले दिन सिविल अस्पताल में दोनों आरोपियों की मेडिकल जांच की गई और उसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट मंडी के समक्ष पेश किया गया. दोनों आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उसी दिन दोनों आरोपियों के एमएलसी की फोटो कॉपी और मेडिकल जांच के दौरान आरोपी धर्म पाल के लिए चिकित्सा अधिकारी द्वारा निर्धारित दवाओं के साथ सब-जेल, मंडी के अधिकारियों की सुरक्षित हिरासत में सौंप दिया गया. फिर 2 नवंबर 2018 को सब-जेल मंडी के एसपी कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया.

उस पत्र में बताया गया कि उपरोक्त विचाराधीन अभियुक्त धर्म पाल को 2 नवंबर 2018 की सुबह गंभीर रूप से बीमार पाया गया. उसे तुरंत जोनल अस्पताल मंडी भेजा गया. वहां, 2 नवंबर 2018 की सुबह उसकी मृत्यु हो गई. मृतक आरोपी धर्म पाल का पोस्टमार्टम न्यायिक मजिस्ट्रेट की देखरेख में करवाया गया. धर्म पाल की पत्नी ने न्यायिक हिरासत में हुई मौत पर संदेह जताया और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर पुलिस पर उसके पति को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए. उसने अपने पति की मौत के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को दंडित करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने पाया कि न्यायिक हिरासत में मौत को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.

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