शिमला: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत खोले गए जन औषधि केंद्र में नॉन जेनेरिक सहित ब्रांडेड दवाओं व सर्जिकल उपकरण बेचने पर लगाई रोक को हटाने के लिए हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने ही 29 मई 2024 को ठियोग सिविल अस्पताल में स्थापित केंद्र में इन सबके बेचने पर रोक लगाई थी. फिर अस्पताल में जन औषधि केंद्र के संचालक ने अदालत से इस रोक को हटाने का आग्रह किया था. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस रोक को हटाने के लिए मना कर दिया है. अदालत के ये आदेश इस मामले के अंतिम निपटारे तक जारी रहेंगे.
मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत खोले गए केंद्र में नॉन-जेनेरिक दवाएं/ब्रांडेड दवाएं और सर्जिकल उपकरण की बिक्री नहीं की जा सकती. इनमें केवल पीएमबीजेपी के तहत जारी सूची में दर्ज की गई दवाओं को ही बेचा जा सकता है. जन औषधि संचालक का कहना था कि केवल जेनेरिक दवाएं ही बेचने से उसके व्यवसाय की कोई प्रैक्टिकल वैल्यू नहीं रह जाती है, क्योंकि अन्य दवाइयों और सर्जिकल उपकरणों की बिक्री पर रोक के बाद उसके व्यवसाय में काफी कमी आई है.
हाईकोर्ट ने आवेदनकर्ता जन औषधि केंद्र संचालक की दलीलों से असहमति जताते हुए कहा कि ये केंद्र भारत सरकार की एक विशेष योजना के तहत एक खास मकसद से संचालित किए जा रहे हैं. फिर सिविल अस्पताल ठियोग के रोगी कल्याण समिति ने आवेदनकर्ता के तत्वावधान में ये केंद्र खोलने का विकल्प चुना है, इसलिए वह अनुदान की शर्तों को लागू करने के लिए बाध्य है.
अदालत ने कहा कि जन औषधि केंद्रों को चलाने के पीछे लाभ कमाने का मकसद सही प्रतीत नहीं होता है. इसलिए आर्थिक व्यवहार्यता जैसी दलील उचित नहीं कही जा सकती. उल्लेखनीय है कि इस मामले में आस्था फाउंडेशन फॉर पब्लिक हेल्थ, एजुकेशन एंड रिसर्च ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उसी याचिका पर हाईकोर्ट ने यह रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं.
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