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NIT हमीरपुर में चिट्टे की ओवरडोज से हुई थी छात्र की मौत, हाईकोर्ट ने दिए सह-आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश - HC on NIT Hamirpur Drug case

Himachal High Court granted bail to co-accused in NIT Hamirpur student death case: हमीरपुर एनआईटी स्टूडेंट की चिट्टा ओवरडोज से मौत मामले में हाईकोर्ट ने सह आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 9:52 PM IST

शिमला: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर में चिट्टे की ओवरडोज से एक छात्र की मौत हो गई थी. हिमाचल हाईकोर्ट ने इस मामले में सह-आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया प्रार्थी के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता. सरकार ने इस मामले के एक अन्य आरोपी रजत शर्मा की जमानत याचिका रद्द होने का हवाला दिया था.

सरकार ने हवाला देते हुए इस याचिका को भी खारिज करने दलील पेश की थी, लेकिन इस दलील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य आरोपी और प्रार्थी (जिसे जमानत पर रिहा करने के आदेश हुए) पर लगे आरोप भिन्न-भिन्न हैं. उनकी भूमिका भी अलग अलग दर्शायी गई है. सरकार की यह भी दलील थी कि यदि प्रार्थी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो इस मामले के मुख्य आरोपी कुलविंदर सिंह उर्फ काका को गिरफ्तार करने में कठिनाई हो सकती है.

हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि पुलिस ने 12 मार्च 2024 से आज तक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने की कोई कोशिश नहीं की. पुलिस की यह निष्क्रियता प्रार्थी को जमानत पर रिहा न करने का कोई आधार नहीं हो सकती.

गौरतलब है कि पिछले साल 23 अक्टूबर को एनआईटी हमीरपुर में प्रशिक्षण ले रहे एमटैक फर्स्ट सेमेस्टर के छाल सुजल शर्मा की हॉस्टल में नशे की ओवरडोज से मौत हो गई थी. अभियोजन पक्ष के मुताबिक बिसरा में मृतक छात्र सुजल शर्मा के शरीर में एक्टामिनोफेन, केटामिन और ट्रामाडोल कोडीन जैसे नशीले केमिकल पाए गए हैं. ये सभी केमिकल चिट्टे में ही मौजूद होते हैं. युवक ने चिट्टे की ओवरडोज ली थी, जिससे उसकी मौत हुई थी.

इसके बाद इस मामले में पुलिस ने आईपीसी 304 और एनडीपीएस के तहत कई लोगों को गिरफ्तार किया था. प्रार्थी के खून और पेशाब में नशीले एक्टामिनोफेन, कैटामिन और ट्रामाडोल जैसे केमिकल पाए जाने पर उसे 11 नवंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था. प्रार्थी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने उस पर विचार करने के बाद प्रार्थी को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए. इस बारे में सरकार की दलीलों को हाईकोर्ट ने नामंजूर किया.

ये भी पढ़ें: अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका मेंटेनेबल नहीं, हर्ष महाजन ने हिमाचल हाईकोर्ट में लगाई गुहार, 23 जुलाई को सुनवाई

शिमला: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर में चिट्टे की ओवरडोज से एक छात्र की मौत हो गई थी. हिमाचल हाईकोर्ट ने इस मामले में सह-आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया प्रार्थी के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता. सरकार ने इस मामले के एक अन्य आरोपी रजत शर्मा की जमानत याचिका रद्द होने का हवाला दिया था.

सरकार ने हवाला देते हुए इस याचिका को भी खारिज करने दलील पेश की थी, लेकिन इस दलील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य आरोपी और प्रार्थी (जिसे जमानत पर रिहा करने के आदेश हुए) पर लगे आरोप भिन्न-भिन्न हैं. उनकी भूमिका भी अलग अलग दर्शायी गई है. सरकार की यह भी दलील थी कि यदि प्रार्थी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो इस मामले के मुख्य आरोपी कुलविंदर सिंह उर्फ काका को गिरफ्तार करने में कठिनाई हो सकती है.

हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि पुलिस ने 12 मार्च 2024 से आज तक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने की कोई कोशिश नहीं की. पुलिस की यह निष्क्रियता प्रार्थी को जमानत पर रिहा न करने का कोई आधार नहीं हो सकती.

गौरतलब है कि पिछले साल 23 अक्टूबर को एनआईटी हमीरपुर में प्रशिक्षण ले रहे एमटैक फर्स्ट सेमेस्टर के छाल सुजल शर्मा की हॉस्टल में नशे की ओवरडोज से मौत हो गई थी. अभियोजन पक्ष के मुताबिक बिसरा में मृतक छात्र सुजल शर्मा के शरीर में एक्टामिनोफेन, केटामिन और ट्रामाडोल कोडीन जैसे नशीले केमिकल पाए गए हैं. ये सभी केमिकल चिट्टे में ही मौजूद होते हैं. युवक ने चिट्टे की ओवरडोज ली थी, जिससे उसकी मौत हुई थी.

इसके बाद इस मामले में पुलिस ने आईपीसी 304 और एनडीपीएस के तहत कई लोगों को गिरफ्तार किया था. प्रार्थी के खून और पेशाब में नशीले एक्टामिनोफेन, कैटामिन और ट्रामाडोल जैसे केमिकल पाए जाने पर उसे 11 नवंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था. प्रार्थी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने उस पर विचार करने के बाद प्रार्थी को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए. इस बारे में सरकार की दलीलों को हाईकोर्ट ने नामंजूर किया.

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