शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सीपीएस नियुक्ति मामले में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने सभी 6 सीपीएस को तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट के इन आदेशों की अनुपालना करते हुए प्रदेश सरकार ने सीपीएस के स्टाफ को हटाने सहित ऑफिस एकोमोडेशन के सभी आवंटन आदेश भी तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए हैं.
इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी गई है. बता दें कि हाईकोर्ट ने सीपीएस को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश के साथ ही सभी सरकारी सुविधाओं को भी तुरंत वापस लेने का आदेश जारी किया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का 2006 का सीपीएस एक्ट निरस्त कर दिया है. ऐसे में सरकार ने भी हाईकोर्ट के आदेशों की तुरंत प्रभाव से अनुपालना की है.
सरकार ने हटाया स्टाफ
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पूर्व मुख्य संसदीय सचिवों के कार्यालय में तैनात हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं (एचपीएसएस) अधिकारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से वापस ले ली हैं. इनमें एचपीएसएस विशेष निजी सचिव सतेन्द्र कुमार, एचपीएसएस वरिष्ठ निजी सचिव तहमीना बेगम व एचपीएसएस वरिष्ठ निजी सचिव भूरी सिंह राणा की सेवाएं वापस ले ली गई हैं.
इन कर्मचारियों की सेवाएं भी ली वापस
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पूर्व मुख्य संसदीय सचिवों के कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों की सेवाएं भी वापस ले ली हैं. इसमें कार्य पर्यवेक्षक यंकी देवी, पीए सुनीता ठाकुर, सीनियर असिस्टेंट उत्तम चंद, सीनियर असिस्टेंट चेतन, सीनियर असिस्टेंट संदीप, क्लर्क चंद्र, क्लर्क धर्मपाल, क्लर्क रविंदर, जमादार नेत्र सिंह, चपरासी मोनिंदर, चपरासी विनोद, चपरासी टिक्कम राम, एफसीएम नीरज व एफसीएम भूपिंदर की सेवाएं वापस ली गई हैं. वहीं, सरकार ने ऑफिस एकोमोडेशन के सभी आवंटन आदेश भी तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए हैं जिसकी अलग-अलग अधिसूचना जारी की गई है.
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