गोरखपुर: गंगा और अन्य जल तीर्थ के स्वच्छता अभियान में देश भर में लगे सामाजिक कार्यकर्ताओं के संगठन 'गंगा समग्र संगठन' का तीन दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन शनिवार से गोरखपुर में प्रारंभ हुआ. इसका उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने किया. इस आयोजन में कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन के साथ गंगा और अन्य जल तीर्थ की दशा पर मंथन करते हुए आगे की रणनीति तय करने का प्लान इन तीन दिवसीय अभियान में तय किया जाएगा.
समग्र अभियान से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि हमारे सामने गंगा की निर्मलता बहुत बड़ा प्रमाण है. प्रदूषण मुक्त गंगा का जल लंबे समय तक लोगों के लिए निश्चित मन से उपयोगी बना रहता है. चाहे वह प्रवाहित जल हो या घर में रखा हुआ हो. उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता की तरह ही देश की अन्य प्रमुख नदियों की निर्मलता और जल संस्थाओं के स्वच्छता का प्रयास होना चाहिए. इससे बेहतर आनंद की अनुभूति मिलेगी. इन्हें प्रदूषण से बचाने के हर उपायों पर प्रयास होना चाहिए.
अपने चार दिवसी प्रवास पर गोरखपुर पहुंचे हिमाचल के राज्यपाल विभिन्न कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वह गोरखपुर के प्रसिद्ध रामगढ़ झील में संचालित क्रूज का भी आनंद लेने पहुंचे. उन्होने कहा कि गोरखपुर उनका जन्म स्थान है. यहां पर ऐसे पर्यटन और विकास की संभावनाओं से उन्हें भी बड़ा आनंद मिलता है.
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गंगा समग्र संगठन का यह आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित हुआ. इसमें संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कहा कि गंगा समग्र, छोटी-बड़ी नदियों, तालाबों, कुओं आदि के पुनर्जीवन के लिए काम किया जा रहा है. संगठन प्रत्यक्ष कार्यक्रम और समाज जागरण के जरिए अपने काम में लगा है. इसके लिए विभिन्न 15 आयाम कार्यरत हैं. समाज में श्रद्धा जागरण के लिए गंगा समग्र का आरती आयाम कार्य होता है, तो गंगा से अपनी आजीविका चलाने वाले समाज के बीच गंगाश्रित आयाम कार्य भी संगठन कर रहा है. इसी तरह सहायक नदियों की चिंता करने के लिए सहायक नदी आयाम, और तालाबों के लिए तालाब आयाम बने हैं. नदियों और तालाबों के काम में आने वाली कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए, विधि आयाम अपनी जिम्मेदारी निभाता है.
राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने बताया, कि देशभर में बहुत सारी छोटी नदियां आज या तो सूख चुकी हैं, या मृतप्राय हैं. नदियों का सबसे बड़ा दुश्मन शौचालयों से बहाया जाने वाला सीवेज है. गंगा समग्र का जलनिकासी आयाम सरकार और समाज के माध्यम से इस दिशा में प्रयासरत है. गंगा समग्र ने नदियों को सीवेज से मुक्त कर कायाकल्प का संकल्प लिया है. इसके लिए देश भर में छोटी नदियों के पुनर्जीवन के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है.
उन्होंने गंगा की अविरलता में सहायक नदियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. क्योंकि ये नदियां आखिर में गंगा में ही मिलती हैं. रामाशीष ने बताया, कि इन्हीं योजनाओं पर मंथन के लिए तीन दिन के लिए देशभर से प्रमुख कार्यकर्ता यहां एकत्र हुए हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, प.बंगाल, झारखंड, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ, पंजाब, राजस्थान, गुजरात आदि प्रदेशों से कार्यकर्ता यहां आएं हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता गंगा समग्र के अध्यक्ष अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने किया. कार्यक्रम में महामंत्री डॉ. आशीष गौतम भी मौजूद रहे.
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