शिमला: हिमाचल में तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे 16 वां वित्त आयोग की आज सुक्खू सरकार के साथ राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही हैं. वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली बैठक में आयोग आगामी पांच वर्षों के लिए आर्थिक मदद पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर केंद्र से हिमाचल को धन राशि प्राप्त होगी. ये वित्त आयोग की सिफारिशें 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगी. इन सिफारिशों के तहत ही राज्यों के लिए राजस्व का वितरण होना है.
वित्त आयोग की 13 सदस्यीय टीम पहुंची: शिमला में रविवार को तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचने पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया का स्वागत किया. प्रदेश में अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया सहित वित्त आयोग की 13 सदस्यीय टीम आई है. जिसमें सदस्य डॉ. मनोज पांडा, सदस्य अजय नारायण झा, सदस्य एनी जॉर्ज मैथ्यू, सदस्य डॉ. सौम्या कांति घोष, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव राहुल जैन, संयुक्त निदेशक अमरूथा, उप-निदेशक मानस बाजपेयी, सहायक निदेशक कुलदीप सिंह मीणा, सहायक निदेशक आनन्द कुमार सिंह और निजी सचिव कुमार विवेक शामिल हैं.
सुक्खू सरकार को राहत की उम्मीद: 16वें वित्त आयोग की टीम रविवार को शिमला पहुंच गई है. ऐसे में आज वित्त आयोग की राज्य सरकार के साथ आगामी पांच साल की रिपोर्ट तैयार करने के लिए बैठक होगी. इससे गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को काफी अधिक आस बंधी है. आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उनकी पूरी कैबिनेट और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना समेत सभी प्रशासनिक सचिव भाग लेंगे. बैठक में राज्य सरकार 16वें वित्त आयोग के समक्ष हिमाचल की आर्थिक स्थिति, राज्य की मांगों और अन्य संबंधित मसलों पर प्रेजेंटेशन देगी. इसके लिए काफी समय से वित्त विभाग व मुख्य सचिव कार्यालय में कसरत चल रही थी.
बता दें कि हिमाचल के सामने सबसे बड़ी चुनौती रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट को लेकर है, जो लगातार घट रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार का प्रयास वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हितों की पैरवी करने का रहेगा. ताकि नया वित्त आयोग केंद्र के समक्ष ग्रांट को बढ़ाने की सिफारिश करने पर मजबूर हो जाए. इसके लिए सरकार ने तथ्यों सहित रिपोर्ट तैयार की है. इस वित्त आयोग को 31 अक्टूबर 2025 तक की अवधि के लिए केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें देनी हैं, जो राज्यों में पहली अप्रैल 2026 से लागू होंगी. वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही प्रदेश सरकार को अगले पांच सालों के लिए पैसा मिलेगा. जिससे राज्य सरकार को विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.
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