शिमला: हिमाचल के राजनीतिक संकट में एक नया मोड़ आया है. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह विधायकों ने उन्हें अयोग्य घोषित करने से जुड़े फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. अब इस मामले में हिमाचल सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट फाइल कर अपना पक्ष सुने जाने का आग्रह किया है. सरकार ने आग्रह किया है कि अयोग्य करार दिए गए विधायकों के मामले में कोई अंतरिम आदेश जारी करने से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाए. मामले की सुनवाई 12 मार्च मंगलवार को तय हुई है.
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कोर्ट नंबर दो में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की तीन सदस्यीय खंडपीठ सुनवाई कर सकती है. उल्लेखनीय है कि कैविएट याचिका ये अधिकार देती है कि किसी प्रतिवादी के खिलाफ कोई भी निर्णय लेने से पहले उसे भी सुन लिया जाए. हिमाचल सरकार ने अपने इसी अधिकार को लेकर कैविएट याचिका दायर की है. राज्य सरकार का तर्क है कि बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक ठोस आधार लेते हुए अयोग्य घोषित किया है.
जिस समय बजट सत्र में बजट पास करने के लिए सभी सत्ता दल एमएलए को उपस्थित रहने का निर्देश था, ये छह विधायक मौजूद नहीं थे. व्हिप जारी करने के बाद भी उनका अनुपस्थित रहना सही नहीं था. इसीलिए इन्हें अयोग्य करार दिया गया. अब इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई में दोनों ही पक्षों को सुना जाएगा. कांग्रेस विधायक चैतन्य शर्मा एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एवं अन्य मामले में लिस्ट किया गया. यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की कॉज लिस्ट में 36वें नंबर पर है. विधायकों की तरफ से तुषार मेहता पैरवी करेंगे.
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