नालागढ़: हिमाचल प्रदेश की नालागढ़ सीट पर उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान के बाद आज नतीजे सामने आ गए हैं. इस सीट पर पूर्व निर्दलीय विधायक एवं बीजेपी उम्मीदवार केएल ठाकुर को हरदीप बावा से हार का सामना करना पड़ा. इस सीट पर पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. बतौर निर्दलीय उम्मीदवार हरप्रीत सिंह सैणी भी 13025 वोट हासिल करने में कामयाब रहे हैं.
नालागढ़ सीट पर बीजेपी ने पूर्व सीएम जयराम ठाकुर को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्हीं के कंधों पर पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने का जिम्मा था, लेकिन बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण बागी हरप्रीत सिंह को माना जा रहा है. जयराम ठाकुर और पार्टी नेतृत्व बागी हरप्रीत सिंह को मनाने में नाकामयाब रहा, जिसका नतीजा हार के रूप में सामने आया है. कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप बावा ने बीजेपी उम्मीदवार को 8990 वोटों से हराया.
उम्मीदवार | कुल वोट |
हरदीप बावा | 34608 |
केएल ठाकुर | 25618 |
जीत का अंतर | 8990 |
हरदीप बावा वीरभद्र परिवार के करीबी माने जाते रहे हैं और कई सालों से इंटक प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं. 2017 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. 2022 में उन्हें कांग्रेस ने टिकट देकर मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सचिन पायलट से लेकर चरणजीत सिंह चन्नी हदीपा बावा के प्रचार के लिए पहुंचे थे.
वहीं, केएल ठाकुर को सिर्फ प्रदेश लीडरशीप का सहारा था. पार्टी में उनकी वापसी पर स्थानीय नेता नाराज चल रहे थे. नालागढ़ में भीतरघात की आशंका पहले से ही थी. बता दें कि केएल ठाकुर 2022 में नालागढ़ सीट से बीजेपी से बगावत करने के बाद निर्दलीय विधायक के तौर पर विधानसभा पहुंचे थे. 2012 में केएल ठाकुर बीजेपी की टिकट पर नालागढ़ से चुनाव जीते थे. 2017 में केएल ठाकुर बतौर बीजेपी उम्मीदवार कांग्रेस के लखविंदर राणा से चुनाव हार गए थे. 2024 में उन्होंने बीजेपी में घर वापसी के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
हरप्रीत ने बिगाड़ा बीजेपी का खेल?
बीजेपी से बगावत कर चुनावी मैदान में उतरे बीजेपी के सह मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह ने बीजेपी के साथ खेला कर दिया. हरप्रीत सिंह बीजेपी के पूर्व विधायक हरि नारायण सैणी के भतीजे हैं. उन्होंने बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाई है. उन्हें कुल 13025 वोट मिले. इसका सीधा सीधा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा.
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