धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है. सत्र के आखिरी दिन सदन हंगामे भरा रहा. संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर विपक्ष ने सदन का वॉकआउट किया. प्रदेश में 1865 संस्थानों को बंद करने के सवाल पर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की. इसके बाद विपक्ष ने सदन से नारेबाजी करते हुए वॉकआउट किया. चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बंद किए गए संस्थानों को आवश्यकता के अनुसार दोबारा शुरू किया जाएगा. विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि "नीड बेस" का क्राइटेरिया क्या है?
'राजनीतिक मंशा से बंद किए संस्थान'
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया, "प्रदेश सरकार ने राजनीतिक मंशा के तहत भाजपा सरकार द्वारा खोले गए सभी संस्थान बंद कर दिए हैं." जयराम ठाकुर ने कहा कि एक हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूलों को बंद कर दिया गया है. इसके लिए सरकार ने इन स्कूलों में बच्चों की संख्या न के बराबर होने का तर्क दिया है, जो की बिल्कुल झूठ है. जयराम ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर सदन में खड़े होकर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा, "प्रदेश में एक हजार से ज्यादा स्कूलों को बंद करके इन बच्चों को शिक्षा से वंचित किया गया है. संस्थानों को बंद करने का फैसला बदले की भावना से लिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऐसा कभी नहीं किया. वीरभद्र सिंह ने सदन में एक बार कहा था कि प्रदेश में एक भी बच्चा अशिक्षित नहीं रहेगा. एक बच्चे के लिए भी स्कूल खोलना पड़े तो वो ऐसा करेंगे, लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसके विपरीत केवल राजनीतिक मंशा के तहत काम कर रहे हैं. इसलिए ही प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा संस्थानों को बंद करने का काम किया जा रहा है."