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पिथौरागढ़ डिवीजन वनाग्नि के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील, कुमाऊं के वन प्रभागों में सबसे ज्यादा घटनाएं - UTTARAKHAND FOREST FIRE

UTTARAKHAND FOREST FIRE उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर हालात सुधारने की कोशिशें जारी हैं. इस कड़ी में जंगलों में आग को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वो कुमाऊं क्षेत्र के लिए कुछ चिंता बयां करने वाले हैं.

UTTARAKHAND FOREST FIRE
उत्तराखंड फॉरेस्ट फायर (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 11, 2024, 6:44 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में कुछ कमी आने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, अप्रैल और मई महीने के पहले हफ्ते में वनाग्नि की घटनाओं ने सरकार के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी. आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने की संभावना के बीच घटनाओं के आंकड़ों के भी बढ़ने की उम्मीदें लगाई जा रही है. फिलहाल मौसम में करवट ली है और इस वजह से राज्य में वन क्षेत्र आग की घटनाओं से कुछ राहत ले रहे हैं. लेकिन अभी समस्या खत्म नहीं हुई है. आंकड़े बताते हैं कि आग लगने की घटनाओं से जुड़े सबसे ज्यादा अलर्ट कुमाऊं मंडल से ही मिले हैं.

प्रदेश में जंगलों की आग के लिहाज से टॉप थ्री घटनाएं कुमाऊं मंडल में ही हुई है. इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील विधारा का डिवीजन बना हुआ है. यहां पर अब तक कुल 115 आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी है. जिसमें 171 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही तराई ईस्ट क्षेत्र सबसे ज्यादा आग की लपटों में घिरा है. डीएफओ तराई ईस्ट क्षेत्र में कुल 93 घटनाएं हुई है. इसमें कुल 106.4 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए हैं.

राज्य में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा घटनाएं अल्मोड़ा डिवीजन में रिकॉर्ड की गई है. यहां पर कुल 76 घटनाएं हुई. जिसमें 115.1 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. इसके बाद चौथे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही चंपावत डिवीजन सबसे ज्यादा प्रभावित दिखाई देता है. यहां पर 69 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 71.54 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

गढ़वाल मंडल में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं मसूरी डिवीजन में हुई है. यहां पर 68 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 151.56 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. इसके बाद पौड़ी के सिविल सोयम क्षेत्र में घटनाएं हुई. यहां कुल 65 आग लगने की घटना हुई और कुल 50.35 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. इसके बाद बदरीनाथ डिवीजन में भी कुल 58 घटनाएं हुई है, जिसमें 52 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

इस तरह उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात कुमाऊं मंडल में दिखाई देते हैं. फिलहाल मौसम की करवट लेने के बाद यहां आग लगने की घटना कम हुई है. जबकि आने वाले दिनों में एक बार फिर से तापमान बढ़ने के चलते इस समस्या के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. फिलहाल पूरे प्रदेश में अब तक 1072 घटनाएं हो चुकी है, जिसमें 1447.94 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः वनाग्नि में झुलसी टिहरी की कांति देवी ने देहरादून के अस्पताल में तोड़ा दम, जाते-जाते खोल गईं स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल

ये भी पढ़ेंः मौसम की मेहरबानी, बीते 24 घंटे में वनाग्नि का कोई नया मामला नहीं आया सामने, उत्तराखंड वन विभाग को मिली राहत

देहरादूनः उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में कुछ कमी आने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, अप्रैल और मई महीने के पहले हफ्ते में वनाग्नि की घटनाओं ने सरकार के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी. आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने की संभावना के बीच घटनाओं के आंकड़ों के भी बढ़ने की उम्मीदें लगाई जा रही है. फिलहाल मौसम में करवट ली है और इस वजह से राज्य में वन क्षेत्र आग की घटनाओं से कुछ राहत ले रहे हैं. लेकिन अभी समस्या खत्म नहीं हुई है. आंकड़े बताते हैं कि आग लगने की घटनाओं से जुड़े सबसे ज्यादा अलर्ट कुमाऊं मंडल से ही मिले हैं.

प्रदेश में जंगलों की आग के लिहाज से टॉप थ्री घटनाएं कुमाऊं मंडल में ही हुई है. इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील विधारा का डिवीजन बना हुआ है. यहां पर अब तक कुल 115 आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी है. जिसमें 171 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही तराई ईस्ट क्षेत्र सबसे ज्यादा आग की लपटों में घिरा है. डीएफओ तराई ईस्ट क्षेत्र में कुल 93 घटनाएं हुई है. इसमें कुल 106.4 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए हैं.

राज्य में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा घटनाएं अल्मोड़ा डिवीजन में रिकॉर्ड की गई है. यहां पर कुल 76 घटनाएं हुई. जिसमें 115.1 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. इसके बाद चौथे नंबर पर भी कुमाऊं मंडल का ही चंपावत डिवीजन सबसे ज्यादा प्रभावित दिखाई देता है. यहां पर 69 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 71.54 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

गढ़वाल मंडल में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं मसूरी डिवीजन में हुई है. यहां पर 68 आग लगने की घटनाएं हुई, जिसमें 151.56 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. इसके बाद पौड़ी के सिविल सोयम क्षेत्र में घटनाएं हुई. यहां कुल 65 आग लगने की घटना हुई और कुल 50.35 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ. इसके बाद बदरीनाथ डिवीजन में भी कुल 58 घटनाएं हुई है, जिसमें 52 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

इस तरह उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात कुमाऊं मंडल में दिखाई देते हैं. फिलहाल मौसम की करवट लेने के बाद यहां आग लगने की घटना कम हुई है. जबकि आने वाले दिनों में एक बार फिर से तापमान बढ़ने के चलते इस समस्या के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. फिलहाल पूरे प्रदेश में अब तक 1072 घटनाएं हो चुकी है, जिसमें 1447.94 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं.

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