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पीजीआई में अब एक सप्ताह में मिलेगी गंभीर टीबी मरीजों को जांच रिपोर्ट, लगी उच्च तकनीकी मशीन - PGI IN LUCKNOW

पहले अधिक नमूनों की वजह से टीबी की जांच रिपोर्ट आने में देरी हो जाती थी.

पीजीआई में लगी टीबी की उच्च तकनीकी मशीन
पीजीआई में लगी टीबी की उच्च तकनीकी मशीन (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 14 hours ago

लखनऊ: संजय गांधी पीजीआई संस्थान में अब टीबी के मरीजों की सटीक जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर मिल जाएगी. शनिवार को उच्च तकनीकी की मशीनों से लैस प्रयोगशाला का निदेशक आरके धीमन ने उद्घाटन किया. अभी तक गंभीर टीबी (एमडीआर और एक्सडीआर) के मरीजों की जांच के बाद रिपोर्ट आने में करीब 20 से 25 दिन तक लग जाते थे. पीजीआई में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बायोसेफ्टी लेवर कल्चर ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग एंड मॉलीक्यूलर नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग ट्यूबरक्लोसिस लेबोरेटरी का उद्घाटन हुआ.

यह लैब इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, यूपी राज्य कार्यालय यूपीएसओ-1 और पीजीआई के बीच हुए समझौते में सीएसआर के तहत स्थापित हुई है. लैब 3.50 करोड़ रुपये से 3000 वर्ग फुट में तैयार की गयी है.

डॉ. आलोक नाथ ने बताया कि टीबी के जो मरीज बीच में दवा छोड़ देते हैं. उनको एमडीआर टीबी हो जाती है. साथ ही जो एमडीआर की दवा भी पूरी तरह से नहीं लेते हैं, उन्हें और गंभीर एक्सडीआर टीबी हो जाती है. एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के मरीजों की जांच के लिए अभी तक सिर्फ केजीएमयू में यह लैब स्थापित थी. अधिक नमूनों की वजह से जांच रिपोर्ट आने में देरी हो जाती थी. अब शहर में केजीएमयू के बाद पीजीआई में यह लैब स्थापित की गई है. इससे मरीजों के नमूनों की जांच जल्द से जल्द और बहुत ही सटीक हो सकेगी.

इस मौके पर पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन, पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख डॉ. आलोक नाथ, माइक्रोबायोलॉजी लैब की नोडल अधिकारी व प्रभारी डॉ. ऋच्चा मिश्रा, एसटीओ डॉ. शैलेंद्र भटनागर, डीटीओ डॉ. अतुल कुमार सिंघल, आईओसीएल यूपीएसओ 1 महाप्रबंधक अतुल कपूर आदि मौजूद रहे.

लखनऊ: संजय गांधी पीजीआई संस्थान में अब टीबी के मरीजों की सटीक जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर मिल जाएगी. शनिवार को उच्च तकनीकी की मशीनों से लैस प्रयोगशाला का निदेशक आरके धीमन ने उद्घाटन किया. अभी तक गंभीर टीबी (एमडीआर और एक्सडीआर) के मरीजों की जांच के बाद रिपोर्ट आने में करीब 20 से 25 दिन तक लग जाते थे. पीजीआई में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बायोसेफ्टी लेवर कल्चर ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग एंड मॉलीक्यूलर नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग ट्यूबरक्लोसिस लेबोरेटरी का उद्घाटन हुआ.

यह लैब इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड, यूपी राज्य कार्यालय यूपीएसओ-1 और पीजीआई के बीच हुए समझौते में सीएसआर के तहत स्थापित हुई है. लैब 3.50 करोड़ रुपये से 3000 वर्ग फुट में तैयार की गयी है.

डॉ. आलोक नाथ ने बताया कि टीबी के जो मरीज बीच में दवा छोड़ देते हैं. उनको एमडीआर टीबी हो जाती है. साथ ही जो एमडीआर की दवा भी पूरी तरह से नहीं लेते हैं, उन्हें और गंभीर एक्सडीआर टीबी हो जाती है. एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के मरीजों की जांच के लिए अभी तक सिर्फ केजीएमयू में यह लैब स्थापित थी. अधिक नमूनों की वजह से जांच रिपोर्ट आने में देरी हो जाती थी. अब शहर में केजीएमयू के बाद पीजीआई में यह लैब स्थापित की गई है. इससे मरीजों के नमूनों की जांच जल्द से जल्द और बहुत ही सटीक हो सकेगी.

इस मौके पर पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन, पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख डॉ. आलोक नाथ, माइक्रोबायोलॉजी लैब की नोडल अधिकारी व प्रभारी डॉ. ऋच्चा मिश्रा, एसटीओ डॉ. शैलेंद्र भटनागर, डीटीओ डॉ. अतुल कुमार सिंघल, आईओसीएल यूपीएसओ 1 महाप्रबंधक अतुल कपूर आदि मौजूद रहे.

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