जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोविड-19 के दौरान अस्पतालों व नर्सिंग होम्स में बिजली की नियमित सप्लाई के लिए काम में लिए गए ट्रांसफार्मर और उनकी मरम्मत पर खर्च राशि का भुगतान नहीं करने के मामले में अतिरिक्त ऊर्जा सचिव को निर्देश दिए हैं. अदालत ने एसीएस को कहा है कि वे इस संबंध में एवीवीएनएल के एमडी की ओर से 31 जनवरी 2022 को पेश किए प्रार्थना पत्र को जल्द से जल्द तय करें. वहीं, प्रार्थना पत्र तय करते समय प्रथम व द्वितीय अपीलीय अधिकारी की ओर से दिए गए विचारों से प्रभावित नहीं हों और इसे कानूनी प्रावधानों के अनुसार निर्णीत करें. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश मैसर्स ट्रांसफामर्स व अन्य की याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता फर्म स्मॉल स्केल इंडस्ट्री के तहत ट्रांसफार्मर के निर्माण व मरम्मत का काम करती है. ट्रांसफार्मर की मरम्मत और नए ट्रांसफार्मर लगाने के लिए उनका कॉन्ट्रैक्ट 2020 तक था. कोविड-19 के दौरान बिजली कंपनियों ने नया कॉन्ट्रेक्ट करने की बजाय अस्पतालों और नर्सिंग होम में बिजली की बिना रुकावट नियमित सप्लाई की जरूरत के चलते उनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा दिया. कोविड में उनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 5-6 महीने के अंतराल पर बढ़ती रही.
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जब याचिकाकर्ताओं ने अपनी बकाया राशि मांगी, तो बिजली कंपनियों ने कहा कि यह मामला राज्य सरकार के पास चला गया है और बकाया राशि का भुगतान राज्य सरकार से होगा. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि वे स्मॉल स्केल इंडस्ट्री हैं और उनके पास कोई बड़ा फंड नहीं हैं. ऐसे में बकाया भुगतान नहीं मिलने पर उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. इसलिए राज्य सरकार व बिजली कंपनियों से बकाया राशि दिलवाई जाए.