जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला उपभोक्ता आयोग क्रम-4 के आदेश के बावजूद पृथ्वीराज नगर योजना में भूखंड नहीं देने के मामले में जेडीए सचिव हेम पुष्पा शर्मा के गिरफ्तारी वारंट व जोन-12 के डिप्टी कमिश्नर सुनील शर्मा के जमानती वारंट की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने परिवादी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस अनिल उपमन ने यह आदेश जेडीए सचिव व डिप्टी कमिश्नर की याचिका पर दिया.
याचिका में अधिवक्ता अमित कुडी व अन्य ने कहा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने वर्ष 2014 में जब नोटिस दिया था तब याचिकाकर्ता जेडीए में नियुक्त नहीं थे. वहीं जिस समय याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जमानती व गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए, उस समय जेडीए के अधिवक्ता आयोग में ही उपस्थित थे. ऐसे में उन्होंने जेडीए की ओर से पक्ष रख दिया था, लेकिन उसके बाद भी आयोग ने सुनवाई का पर्याप्त मौका दिए बिना ही जेडीए की मौजूदा सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए. इसलिए आयोग के गिरफ्तारी वारंट व जमानती वारंट जारी करने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के गिरफ्तारी व जमानती वारंट पर रोक लगा दी.
गौरतलब है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी शम्भूदयाल अग्रवाल के प्रार्थना पत्र पर इन अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी व जमानती वारंट जारी किए थे. परिवादी को पीआरएन का सफल आवंटी होने के बाद भी भूखंड का कब्जा नहीं दिया था. वहीं मामले में उपभोक्ता आयोग ने 26 जुलाई, 2013 को जेडीए पर 2500 रुपए हर्जाना लगाते हुए परिवादी को पीआरएन में ही भूखंड देने का निर्देश दिया. जेडीए ने इस आदेश को राज्य उपभोक्ता आयोग और बाद में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी, लेकिन दोनों जगह जेडीए हारा और जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला बरकरार रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी 13 फरवरी, 2024 को जेडीए की एसएलपी खारिज कर दी. जिस पर परिवादी ने आयोग से अदालती आदेश की पालना का आग्रह किया था.