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मानसून सीजन से पहले बाढ़ राहत कार्य ना होने पर HC सख्त, राज्य सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब - disaster in monsoon season - DISASTER IN MONSOON SEASON

Uttarakhand River Channelization मानसून सीजन से पहले बाढ़ राहत कार्य ना होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. उत्तराखंड में हर साल आपदा कहर बरपाती है और नदियों से भूकटाव होने से आवासीय क्षेत्रों को खतरा पैदा होता है.

uttarakhand high court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 12, 2024, 4:39 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों को चैनलाइजेशन, बाढ़ राहत के कार्य व नदियों से मलबा नहीं हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई की तिथि नियत की है.

कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता से अपनी शिकायत को महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव कराने को कहा है. उनके द्वारा तत्काल अपनी शिकायत महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव भी करा दी है. मामले को याचिकाकर्ता ने अति महत्वपूर्ण बताते हुए आज कोर्ट में मेंशन किया. उनके द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त आरटीआई की प्रति कोर्ट के सम्मुख पेश की. जिसमें महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने हेतु 9, 18 अगस्त 2023, 22 सितंबर 2023, 15, 19 फरवरी 2024 व 10 मई 2024 को राज्य सरकार को पत्र भेजा गया. परन्तु उसके बाद भी कोई बाढ़ राहत का कार्य प्रारंभ नहीं हुए.

सिंचाई विभाग ने भी अपनी सूचना में माना है कि बजट नहीं मिलने के कारण 7 जून 2024 तक किसी भी प्रकार का बाढ़ सुरक्षा के कार्य नहीं हुए हैं. मानसून आने में कुछ ही समय बचा हुआ है. इसलिए मामले की शीघ्र सुनवाई की जाए. समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नंधौर नदी सहित गौला कोसी, गंगा,दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनको अभी तक चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण आबादी क्षेत्रों में जल भराव,भू कटाव हो रहा है. माननीय उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया. जबकि उनके द्वारा अपनी जनहित याचिका में कहा है कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू हो जाएगा. लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाए, ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न घटित हो.

पिछले साल बरसात में नदियों के उफान पर आने के कारण हजारों हेक्टेयरवन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थी. नदियों को चैनलाइज नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार , हल्द्वानी, रामनगर,रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो गयी थी. बाढ़ से कई पुल बह गए, आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलबा को नहीं हटाया गया.

पढ़ें-खनन नीति मामले पर हाईकोर्ट का सरकार को नोटिस, जांच और कार्रवाई का मांगा ब्यौरा, जानें क्या है मामला

नैनीताल: उत्तराखंंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों को चैनलाइजेशन, बाढ़ राहत के कार्य व नदियों से मलबा नहीं हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई की तिथि नियत की है.

कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता से अपनी शिकायत को महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव कराने को कहा है. उनके द्वारा तत्काल अपनी शिकायत महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव भी करा दी है. मामले को याचिकाकर्ता ने अति महत्वपूर्ण बताते हुए आज कोर्ट में मेंशन किया. उनके द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त आरटीआई की प्रति कोर्ट के सम्मुख पेश की. जिसमें महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने हेतु 9, 18 अगस्त 2023, 22 सितंबर 2023, 15, 19 फरवरी 2024 व 10 मई 2024 को राज्य सरकार को पत्र भेजा गया. परन्तु उसके बाद भी कोई बाढ़ राहत का कार्य प्रारंभ नहीं हुए.

सिंचाई विभाग ने भी अपनी सूचना में माना है कि बजट नहीं मिलने के कारण 7 जून 2024 तक किसी भी प्रकार का बाढ़ सुरक्षा के कार्य नहीं हुए हैं. मानसून आने में कुछ ही समय बचा हुआ है. इसलिए मामले की शीघ्र सुनवाई की जाए. समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नंधौर नदी सहित गौला कोसी, गंगा,दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनको अभी तक चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण आबादी क्षेत्रों में जल भराव,भू कटाव हो रहा है. माननीय उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया. जबकि उनके द्वारा अपनी जनहित याचिका में कहा है कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू हो जाएगा. लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाए, ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न घटित हो.

पिछले साल बरसात में नदियों के उफान पर आने के कारण हजारों हेक्टेयरवन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थी. नदियों को चैनलाइज नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार , हल्द्वानी, रामनगर,रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो गयी थी. बाढ़ से कई पुल बह गए, आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलबा को नहीं हटाया गया.

पढ़ें-खनन नीति मामले पर हाईकोर्ट का सरकार को नोटिस, जांच और कार्रवाई का मांगा ब्यौरा, जानें क्या है मामला

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