प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 46 साल पहले हुई हत्या की घटना में दोषियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. सज़ा पाने वाले दो दोषी इससे पहले ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके थे. प्रदेश सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता व न्यायमूर्ति शिवशंकर प्रसाद की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूतों की ट्रायल कोर्ट ने सही से जांच नहीं की.
मामले के अनुसार गोरखपुर के घुघुली क्षेत्र के नेबुइया टोला दुसाधी बारी गांव निवासी अयोध्या व उसके साथी प्यारे सिंह, छोटकू, रामजीत, लखन, सान्हू और छांगुर ने लाठी-भाला लेकर गंगा नाम के युवक की हत्या कर दी थी. गंगा पर आरोप लगाया कि वह अयोध्या की बहन को बहला-फुसलाकर भगा ले गया. इसी से नाराज होकर गंगा की लाठी-डंडे से पीटकर हत्या कर दी गई. घटना के बाद अयोध्या पकड़ा गया जबकि अन्य आरोपी भाग गए. इस मामले में अयोध्या, छोटकू, प्यारे, रामजी, सान्हू, लखन और छांगुर पर मुकदमा दर्ज किया गया. ट्रायल कोर्ट ने अयोध्या, रामजी, सान्हू, लखन और छांगुर को हत्या का दोषी ठहराया और संदेह का लाभ देते हुए छोटकू और प्यारे को बरी कर दिया.
सरकार की ओर से दो आरोपियों के बरी किए जाने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई. वहीं, सज़ा पाए अभियुक्तों ने भी ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की. दोनों अपीलों पर एक साथ सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने व साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलट दिया. प्यारे सिंह व छोटकू को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने सीजीएम गोरखपुर को दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर सजा काटने के लिए जेल भेजने का निर्देश दिया है. साथ ट्रायल कोर्ट से सजा पाए अन्य पांच की सजा बरकरार रखी है. अपीलकर्ता अयोध्या, रामजी, लखन व सान्हू की मृत्यु हो चुकी है.
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