चंडीगढ़: हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की निचली अदालतों में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए जाने की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों प्रदेशों और चंडीगढ़ प्रशासन से जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट की सुरक्षा को लेकर लंबित याचिका के साथ ही अब इस मामले की सुनवाई भी होगी.
याचिकाकर्ता वकील ने बताई बड़ी खामियां
याचिका दाखिल करने वाले वकील अभिषेक मल्होत्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि जिला और तहसील स्तर की अदालतों और ट्रिब्यनलों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. अदालतों के प्रवेश और निकासी द्वारों पर मेटल डिटेक्टर होने चाहिए, जो मौजूद नहीं हैं. यहां तक कि मुख्य द्वारों पर तैनात पुलिसकर्मी भी सही तरीके से अपनी ड्यूटी नहीं करते.
चंडीगढ़ जिला अदालत हत्याकांड का हवाला
याचिकाकर्ता वकील ने बीते 3 अगस्त को पूर्व आईपीएस मलविंदर सिंह द्वारा चंडीगढ़ की जिला अदालत परिसर में अपने दामाद एवं आईआरएस अधिकारी हरप्रीत सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले का उदाहरण दिया. याची ने कहा कि अदालत न्याय का मंदिर होता है लेकिन जब यही सुरक्षित नहीं तो लोगों के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी. याची ने याचिका में गत वर्ष दिल्ली की अदालत में गोली चलने का भी हवाला दिया. याची ने कहा कि जजों और वकीलों को सुरक्षित माहौल मिलने की स्थिति में ही न्याय सुनिश्चित हो सकेगा.
सुरक्षा बढ़ाने के मांग पत्र को तवज्जो नहीं
याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि उन्होंने अदालतों की सुरक्षा बढ़ाने के संबंध में हरियाणा, पंजाब और यूटी प्रशासन को मांग पत्र दिया था. लेकिन इस मांग पत्र देने का कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ. जबकि सर्वोच्च न्यायालय प्रद्यूमन बिष्ट बनाम केंद्र सरकार मामले में अदालतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर चुका है. लेकिन अदालतें अभी भी सुरक्षित नहीं है.
हाईकोर्ट में दाखिल करना है जवाब
हाईकोर्ट ने मामले में हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. इस मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट की सुरक्षा संबंधी लंबित याचिका के साथ ही सुनवाई की जाएगी.