प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से प्रदेश के अधिवक्ताओं के खिलाफ की गई व्यावसायिक कदाचार (दुर्व्यवहार) की शिकायतों की पूरी सूची तलब की है. कोर्ट ने बार काउंसिल को यह भी निर्देश दिया है कि वह वकीलों के खिलाफ लंबित शिकायतों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण करें. इसके साथ ही शिकायतों के स्टेटस की जानकारी शिकायतकर्ता और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाए. कैलाशपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डोंडी रमेश की खंडपीठ ने दिया है.
याची का कहना था कि उसने अपने अधिवक्ता के खिलाफ व्यावसायिक कदाचार की शिकायत बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से 14 नवंबर 2021 को की थी. इस शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि तय समय सीमा के अनुसार 1 वर्ष के भीतर शिकायत का निस्तारण किया जाना चाहिए. अन्यथा प्रकरण बार काउंसिल आफ इंडिया को स्थानांतरित हो जाएगा. इसके बावजूद बार काउंसिल ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.
इस पर कोर्ट ने कहा कि देखने में आ रहा है कि इस प्रकार की शिकायतों को लेकर तमाम याचिकाए आ रही हैं. जब पूरी व्यवस्था बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पास उपलब्ध है और 1 वर्ष की समय सीमा है. इसके बाद मामला बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ट्रांसफर हो जाता है तो इस स्थिति में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के लिए आवश्यक है कि वह इन मामलों को गंभीरता से ले. सभी शिकायतों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण किया जाए. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं के खिलाफ व्यावसायिक कदाचार की जितनी भी शिकायतें आई हैं, उन सभी की सूची समक्ष प्रस्तुत करने का बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 13 में को होगी.