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दोबारा जिला आवंटन पर शून्य नहीं होगी सामान्य वर्ग के अध्यापकों की वरिष्ठता

68500 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित जिन अध्यापकों को मेरिट के आधार पर उनकी पसंद के जिले में दोबारा नियुक्ति दी गई है, उनकी वरिष्ठता नई नियुक्ति पर शून्य नहीं होगी. हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 10:10 PM IST

Updated : Feb 1, 2024, 8:51 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित जिन अध्यापकों को मेरिट के आधार पर उनकी पसंद के जिले में दोबारा नियुक्ति दी गई है, उनकी वरिष्ठता नई नियुक्ति पर शून्य नहीं होगी. कोर्ट ने कहा है कि नई नियुक्ति पर भी अध्यापकों की वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति की तिथि से ही जोड़ी जाएगी. यह आदेश सिर्फ पिछड़ा वर्ग के मेधावी अभ्याथियों ही नहीं, सामान्य वर्ग के उन चयनित सहायक अध्यापकों पर भी लागू होगा, जिनको परिषद् ने पूर्व में सही जिलों का आवंटन नहीं किया था. बेसिक शिक्षा परिषद की विशेष अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने दिया है.

सहायक अध्यापकों के अधिवक्ता ओपी एस राठौर का कहना था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में ऐसे सहायक अध्यापकों को उनकी पसंद का जिला आवंटित करने का निर्देश दिया था, जो मेरिट में ऊपर होने के बावजूद अपनी पसंद का जिला नहीं पा सके थे. इस आदेश के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछड़ा वर्ग के उन मेधावी अभ्यर्थियों, जिनका चयन सामान्य श्रेणी में हुआ था तथा मेरिट में अन्य अभ्यर्थियों से ऊपर थे, को उनकी प्राथमिकता वाला जिला आवंटित कर दिया, मगर इसमें यह शर्त रखी गई कि पसंद के जिले में नियुक्ति मिलने पर सहायक अध्यापक की वरिष्ठता शून्य कर दी जाएगी तथा वह नए जिले की वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे होंगे. परिषद के इस आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था तथा कहा कि पुनः ज़िला आवंटन पर वरिष्ठता शून्य नहीं होगी.

इस आदेश के बाद परिषद ने पिछड़ा वर्ग के सहायक अध्यापकों को जिलों का पुनः आवंटन कर दिया मगर इसी स्थिति में सामान्य वर्ग वालों के लिए फिर से वही शर्त लागू कर दी, जिसे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रद्द कर दिया. इसके खिलाफ़ परिषद ने विशेष अपील दाखिल कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी. परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि सामान्य वर्ग के चयनित अध्यापकों को जिलों का आवंटन किया जा चुका है और यदि वह दोबारा प्राथमिकता वाले जिले का आवंटन चाहते हैं तो उनको अपनी वरिष्ठता छोड़नी होगी अन्यथा जो जिला उनको आवंटित किया जाएगा, वहां के शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित होगी. परिषद का कहना था कि पूर्व में खंडपीठ द्वारा 14 सितंबर 2021 को दिए गए निर्णय का लाभ सिर्फ याचिकाकर्ताओं तक सीमित है.

दूसरी तरफ अभ्यर्थियों के अधिवक्ता ओपी एस राठौर का कहना था कि जिलों के पुनः आवंटन को स्थानांतरण की तरह नहीं माना जा सकता है. दोनों भिन्न चीज हैं और इसे लेकर भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना था कि यदि जिलों के पुनः आवंटन को स्थानांतरण माना जाएगा तो अभ्यार्थियों को अपनी वरिष्ठता छोड़नी पड़ेगी जबकि यहां मामला यह है कि कोई भी अभ्यर्थी स्थानांतरण नहीं मांग रहा है, वह जिलों का पुनः आवंटन चाहते हैं, जो कि पूर्व में परिषद ने नियमानुसार नहीं किया था. इसलिए खंडपीठ द्वारा 14 सितंबर 2021 को दिए आदेश को जिलों का सही आवंटन माना जाएगा ना कि स्थानांतरण. जिले के पुनः आवंटन पर वरिष्ठता शून्य नहीं की जा सकती है. खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में एकल न्याय पीठ के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है, इसलिए परिषद की विशेष अपील खारिज की जाती है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट से राहत: अब मुकदमा दर्ज़ होने पर भी जा सकेंगे विदेश

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट का आदेश- वकीलों को हड़ताल से रोकने की गाइडलाइन पेश करे यूपी बार काउंसिल

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित जिन अध्यापकों को मेरिट के आधार पर उनकी पसंद के जिले में दोबारा नियुक्ति दी गई है, उनकी वरिष्ठता नई नियुक्ति पर शून्य नहीं होगी. कोर्ट ने कहा है कि नई नियुक्ति पर भी अध्यापकों की वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति की तिथि से ही जोड़ी जाएगी. यह आदेश सिर्फ पिछड़ा वर्ग के मेधावी अभ्याथियों ही नहीं, सामान्य वर्ग के उन चयनित सहायक अध्यापकों पर भी लागू होगा, जिनको परिषद् ने पूर्व में सही जिलों का आवंटन नहीं किया था. बेसिक शिक्षा परिषद की विशेष अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने दिया है.

सहायक अध्यापकों के अधिवक्ता ओपी एस राठौर का कहना था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में ऐसे सहायक अध्यापकों को उनकी पसंद का जिला आवंटित करने का निर्देश दिया था, जो मेरिट में ऊपर होने के बावजूद अपनी पसंद का जिला नहीं पा सके थे. इस आदेश के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछड़ा वर्ग के उन मेधावी अभ्यर्थियों, जिनका चयन सामान्य श्रेणी में हुआ था तथा मेरिट में अन्य अभ्यर्थियों से ऊपर थे, को उनकी प्राथमिकता वाला जिला आवंटित कर दिया, मगर इसमें यह शर्त रखी गई कि पसंद के जिले में नियुक्ति मिलने पर सहायक अध्यापक की वरिष्ठता शून्य कर दी जाएगी तथा वह नए जिले की वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे होंगे. परिषद के इस आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था तथा कहा कि पुनः ज़िला आवंटन पर वरिष्ठता शून्य नहीं होगी.

इस आदेश के बाद परिषद ने पिछड़ा वर्ग के सहायक अध्यापकों को जिलों का पुनः आवंटन कर दिया मगर इसी स्थिति में सामान्य वर्ग वालों के लिए फिर से वही शर्त लागू कर दी, जिसे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रद्द कर दिया. इसके खिलाफ़ परिषद ने विशेष अपील दाखिल कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी. परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि सामान्य वर्ग के चयनित अध्यापकों को जिलों का आवंटन किया जा चुका है और यदि वह दोबारा प्राथमिकता वाले जिले का आवंटन चाहते हैं तो उनको अपनी वरिष्ठता छोड़नी होगी अन्यथा जो जिला उनको आवंटित किया जाएगा, वहां के शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित होगी. परिषद का कहना था कि पूर्व में खंडपीठ द्वारा 14 सितंबर 2021 को दिए गए निर्णय का लाभ सिर्फ याचिकाकर्ताओं तक सीमित है.

दूसरी तरफ अभ्यर्थियों के अधिवक्ता ओपी एस राठौर का कहना था कि जिलों के पुनः आवंटन को स्थानांतरण की तरह नहीं माना जा सकता है. दोनों भिन्न चीज हैं और इसे लेकर भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना था कि यदि जिलों के पुनः आवंटन को स्थानांतरण माना जाएगा तो अभ्यार्थियों को अपनी वरिष्ठता छोड़नी पड़ेगी जबकि यहां मामला यह है कि कोई भी अभ्यर्थी स्थानांतरण नहीं मांग रहा है, वह जिलों का पुनः आवंटन चाहते हैं, जो कि पूर्व में परिषद ने नियमानुसार नहीं किया था. इसलिए खंडपीठ द्वारा 14 सितंबर 2021 को दिए आदेश को जिलों का सही आवंटन माना जाएगा ना कि स्थानांतरण. जिले के पुनः आवंटन पर वरिष्ठता शून्य नहीं की जा सकती है. खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में एकल न्याय पीठ के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है, इसलिए परिषद की विशेष अपील खारिज की जाती है.

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Last Updated : Feb 1, 2024, 8:51 AM IST
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