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हाईकोर्ट का आदेश- वकीलों को हड़ताल से रोकने की गाइडलाइन पेश करे यूपी बार काउंसिल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से वकीलों को हड़ताल और शोक सभाओं जैसे आयोजनों से रोकने के लिए गाइडलाइन प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 29, 2024, 10:21 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से वकीलों को हड़ताल और शोक सभाओं जैसे आयोजनों से रोकने के लिए गाइडलाइन प्रस्तुत करने के लिए कहा है. कोर्ट ने बलिया की रसड़ा तहसील में एक साल से चल रही हड़ताल पर गंभीर रूप अख्तियार करते हुए बार काउंसिल को यह निर्देश दिया है. अदालत ने बार काउंसिल से यह भी पूछा है कि ऐसी स्थिति में जिम्मेदार पदाधिकारी या अधिवक्ताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है या क्या कार्रवाई की गई है, इसकी जानकारी भी दी जाए. बलिया के जंग बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह आदेश दिए.

याची ने जनहित याचिका दाखिल कर बलिया की रसड़ा तहसील में 31 जनवरी 2023 से चल रही हड़ताल का मुद्दा उठाया. कहा गया कि वकीलों की हड़ताल के कारण आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. उनके मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से जानकारी मांगी थी कि उन्होंने इस मसले पर क्या कदम उठाए हैं. बार काउंसिल की ओर से बताया गया कि फिलहाल हड़ताल समाप्त हो गई है.

कोर्ट का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने हरीश उप्पल सहित कई न्यायिक निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि वकीलों की हड़ताल गैर व्यावसायिक है. कोर्ट ने कहा कि अगर अदालतें लंबे समय तक बंद रहेंगी तो लोग न्याय पाने के लिए गैरकानूनी उपायों का सहारा लेने लगेंगे. जैसे कि वह अपराधियों से अपना मामला सुलझाने में मदद ले सकते हैं या खुद अपराध करने लगेंगे या फिर अन्य कोई भ्रष्ट तरीका अपनाएंगे. अगर यह स्थिति लंबे समय तक रहती है तो यह समाज और लोगों तथा देश के हित में नहीं होगी.

कोर्ट ने कहा कि हर मुकदमा जो किसी जज या वकील के सामने आता है उसमें कोई न कोई मानवीय समस्या लोगों के जीवन, स्वतंत्रता, आजीविका, परिवार, व्यवसाय, कार्य, आवास, आश्रय आदि से संबंधित होता है. बहुत से गरीब लोग अदालत आते हैं, जिनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

गैंगस्टर अनिल भाटी की जमानत खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर सुंदर भाटी गैंग के सक्रिय सदस्य अनिल भाटी उर्फ सोनू की गैंगस्टर मामले में दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इससे पूर्व अनिल भाटी को हाईकोर्ट से जमानत दी गई थी. इसके खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. इसके बाद अनिल भाटी की ओर से हाईकोर्ट में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी. जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने सुनवाई की.

याची का कहना था कि उसके खिलाफ दर्ज मुकदमे के ट्रायल पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है. वह लंबे समय से जेल में बंद है और जल्द मुकदमे का ट्रायल पूरा होने की उम्मीद नहीं है. इस स्थिति में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय का कहना था कि मुकदमे के ट्रायल पर रोक की दलील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी दी गई थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने नहीं माना. याची के पास जमानत के लिए कोई नया तथ्य नहीं है. वह सुंदर भाटी गैंग का सक्रिय सदस्य है. गौतम बुद्ध नगर में उसकी हिस्ट्रीशीट खुली हुई है. याची पर हत्या, लूट, डकैती, फिरौती सरीखे तमाम जघन्य अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं. कोर्ट ने जमानत का कोई आधार न पाए हुए अर्जी निरस्त कर दी है.

यह भी पढ़ें : बैनामा निरस्त कराने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया, संपत्ति विक्रय में मूल्य भुगतान अनिवार्य नहीं: हाईकोर्ट

यह भी पढ़ें : नाराज पत्नी को वापस लाने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से वकीलों को हड़ताल और शोक सभाओं जैसे आयोजनों से रोकने के लिए गाइडलाइन प्रस्तुत करने के लिए कहा है. कोर्ट ने बलिया की रसड़ा तहसील में एक साल से चल रही हड़ताल पर गंभीर रूप अख्तियार करते हुए बार काउंसिल को यह निर्देश दिया है. अदालत ने बार काउंसिल से यह भी पूछा है कि ऐसी स्थिति में जिम्मेदार पदाधिकारी या अधिवक्ताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है या क्या कार्रवाई की गई है, इसकी जानकारी भी दी जाए. बलिया के जंग बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह आदेश दिए.

याची ने जनहित याचिका दाखिल कर बलिया की रसड़ा तहसील में 31 जनवरी 2023 से चल रही हड़ताल का मुद्दा उठाया. कहा गया कि वकीलों की हड़ताल के कारण आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. उनके मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से जानकारी मांगी थी कि उन्होंने इस मसले पर क्या कदम उठाए हैं. बार काउंसिल की ओर से बताया गया कि फिलहाल हड़ताल समाप्त हो गई है.

कोर्ट का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने हरीश उप्पल सहित कई न्यायिक निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि वकीलों की हड़ताल गैर व्यावसायिक है. कोर्ट ने कहा कि अगर अदालतें लंबे समय तक बंद रहेंगी तो लोग न्याय पाने के लिए गैरकानूनी उपायों का सहारा लेने लगेंगे. जैसे कि वह अपराधियों से अपना मामला सुलझाने में मदद ले सकते हैं या खुद अपराध करने लगेंगे या फिर अन्य कोई भ्रष्ट तरीका अपनाएंगे. अगर यह स्थिति लंबे समय तक रहती है तो यह समाज और लोगों तथा देश के हित में नहीं होगी.

कोर्ट ने कहा कि हर मुकदमा जो किसी जज या वकील के सामने आता है उसमें कोई न कोई मानवीय समस्या लोगों के जीवन, स्वतंत्रता, आजीविका, परिवार, व्यवसाय, कार्य, आवास, आश्रय आदि से संबंधित होता है. बहुत से गरीब लोग अदालत आते हैं, जिनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

गैंगस्टर अनिल भाटी की जमानत खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर सुंदर भाटी गैंग के सक्रिय सदस्य अनिल भाटी उर्फ सोनू की गैंगस्टर मामले में दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इससे पूर्व अनिल भाटी को हाईकोर्ट से जमानत दी गई थी. इसके खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. इसके बाद अनिल भाटी की ओर से हाईकोर्ट में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी. जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने सुनवाई की.

याची का कहना था कि उसके खिलाफ दर्ज मुकदमे के ट्रायल पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है. वह लंबे समय से जेल में बंद है और जल्द मुकदमे का ट्रायल पूरा होने की उम्मीद नहीं है. इस स्थिति में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय का कहना था कि मुकदमे के ट्रायल पर रोक की दलील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी दी गई थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने नहीं माना. याची के पास जमानत के लिए कोई नया तथ्य नहीं है. वह सुंदर भाटी गैंग का सक्रिय सदस्य है. गौतम बुद्ध नगर में उसकी हिस्ट्रीशीट खुली हुई है. याची पर हत्या, लूट, डकैती, फिरौती सरीखे तमाम जघन्य अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं. कोर्ट ने जमानत का कोई आधार न पाए हुए अर्जी निरस्त कर दी है.

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