प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय गलती से अधिक वेतन भुगतान की रिटायर्ड दारोगा से वसूली के एसएसपी मेरठ के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने एसएसपी को कारण बताओ नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि क्यों न वसूली का उनका आदेश रद्द हो एवं वसूली गई राशि वापस कराई जाए. रफीक मसीह केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के विपरीत आदेश के लिए दंड स्वरूप उनसे हर्जाना वसूला जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने गजेंद्र सिंह की याचिका पर अधिवक्ता इरफान अहमद मलिक को सुनकर दिया है. अधिवक्ता मलिक ने कोर्ट को बताया कि वेतन निर्धारण में याची की कोई गलती नहीं है. इसलिए वसूली आदेश अवैध है. कोर्ट ने ऐसे ही एक अन्य मामले में पुलिस कांस्टेबल ड्राइवर विजय कुमार से अधिक वेतन भुगतान की वसूली के अपर डिप्टी कमिश्नर पुलिस शिष्टाचार गाजियाबाद के आदेश पर भी रोक लगा दी है और जवाब मांगा है.
सरकार से जवाब तलब : एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय गलती से अधिक वेतन निर्धारण मामले में सीएमओ इटावा द्वारा जारी वसूली कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को जवाब प्रति जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने नीरज दूबे की याचिका पर दिया है. याची के अनुसार वेतन निर्धारण में उसकी कोई भूमिका नहीं है. इसलिए विभाग अपनी गलती की भरपाई उससे नहीं कर सकता है.
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