प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन साल से फरार चल रहे वारंटी को तलाश पाने में पुलिस की नाकामी पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह आरोपी व्यक्तियों का पता लगाए कि वे देश में कहीं भी हों उनको पकड़ कर संबंधित न्यायालय के समक्ष पेश करें. कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी न्यायालय के समक्ष यह बयान नहीं दे सकता कि अभियुक्तों का पता नहीं चल रहा है. इस मामले में कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक, भदोही को व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की कोर्ट ने विद्या सिंह के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. मामले में भदोही निवासी विद्या देवी के वकील ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी आरोपी व्यक्ति संबंधित अदालत के सामने पेश नहीं हो रहे हैं. पुलिस अधिकारी वारंट तामील नहीं करा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने संबंधित न्यायालय के आदेश पत्र का अवलोकन किया और पाया कि गैर जमानती वारंट 8 दिसंबर 2021 को जारी किया गया था. लगभग तीन साल बीतने के बाद भी पुलिस आरोपियों का पता नहीं लगा पा रही है. पुलिस एक्ट के तहत वारंट तामील कराना पुलिस का कर्तव्य है. कोर्ट ने कहा कि वारंट तामील न होने से पता चलता है कि पुलिस को वारंट तामील कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है. कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि आरोपी भारत में जहां भी हैं, उन्हें कोर्ट के समक्ष पेश करें. यह पुलिस का यह कर्तव्य है.
यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के नौ वकीलों को इस वजह से दिया नोटिस - High Court News