जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर सहित प्रदेश में सड़कों, रास्तों और फुटपाथ पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव को अतिक्रमण हटाने के लिए अब तक की गई कार्रवाई का पूरा ब्योरा शपथ पत्र सहित अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले में थाना स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की मॉनिटरिंग के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने वकीलों की सूची भी पेश की.
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह सार्वजनिक जमीनों, फुटपाथ पर दुकानों के अवैध निर्माण, गलियों व रास्तों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाए. अदालत ने कहा कि इन जगहों पर अतिक्रमण से ना केवल आधारभूत विकास का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि राजस्थान के शहरों की भव्यता व विरासत भी प्रभावित हो रही है.
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जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज कर इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने को कहा है. सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा ने जयपुर शहर के 58 पुलिस थानों में अतिक्रमण की मॉनिटरिंग के लिए थाना स्तर पर नियुक्त होने वाले 128 वकीलों की सूची पेश की. अदालत ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की इस सूची को रिकार्ड पर लिया है। गौरतलब है कि अदालत ने शहर में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रास्तों, गलियों व फुटपाथ पर अवैध तौर पर हो रहे अतिक्रमण पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. नगर निगम, जेडीए व पुलिस के आला अफसरों को अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए कहा था.